लखनऊ के बालकिशन कालू यादव के यहां पीढ़ियों से पशुपालन हो रहा है और वह खुद भी बचपन से इसी काम में लगे हुए हैं। किसान ऑफ़ इंडिया से बातचीत में उन्होंने अपने डेयरी फ़ार्मिंग के व्यवसाय के बारे में कई बातें बताईं।
क्या आप भी अतिरिक्त आमदनी के लिए पशुपालन व्यवसाय शुरू करने की सोच रहे हैं, लेकिन समझ नहीं आ रहा कि शुरुआत कैसे करें या गाय की देखभाल कैसे करते हैं, उन्हें क्या खिलाना चाहिए? तो आपकी इसी समस्या के समाधान के लिए किसान ऑफ़ इंडिया के संवाददाता पंकज शुक्ला पहुंचे लखनऊ के न्यू हैदरगंज इलाके में और वहां उन्होंने बात की एक सफल डेयरी फ़ार्म चलाने वाले पशुपालक बालकिशन कालू यादव से। बालकिशन के यहां पीढ़ियों से पशुपालन हो रहा है और वह खुद भी बचपन से इसी काम में लगे हुए हैं। वह बता रहे हैं कि कैसे हुई डेयरी फ़ार्मिंग की शुरुआत, गाय की देखभाल कैसे करनी चाहिए और कोई नया व्यक्ति यदि पशुपालन करना चाहता है तो उसे किस तरह से शुरुआत करनी चाहिए।
हर नस्ल की गाय
अपने पिता और दादा के साथ बचपन से ही गाय की सेवा में जुटे बालकिशन बताते हैं कि उनकी डेयरी में हर नस्ल की गाय हैं। पंजाब के मुक्तसर और राजस्थान से लाई गईं गायें तो हैं हीं, साथ ही उन्होंने घर की बछिया की अच्छी तरह देखभाल करके उनकी उन्नत नस्ल तैयार की हैं। बालकिशन कालू यादव बताते हैं कि अब उनके डेयरी फ़ार्म में उच्च गुणवत्ता वाले दूध का उत्पादन होता हैं। डेयरी फ़ार्मिंग व्यवसाय से उन्हें अच्छा मुनाफ़ा अर्जित हो रहा है।
गाय का चारा
वैसे तो गाय के लिए हरा चारा अधिक पौष्टिक माना जाता है, मगर हर जगह इसकी उपलब्धता और कीमत अधिक होने के कारण सभी पशुपालक इसे नहीं खरीद पाते। बालकिशन का कहना है कि वह अपनी गायों को बाज़ार में उपलब्ध पशु आहार खिलाते हैं। हरा चारा बहुत महंगा पड़ता है, जिससे मुनाफ़ा बहुत कम हो जाता है।
गाय के स्वास्थ्य पर दें विशेष ध्यान
बालकिशन कहते हैं कि गाय पाल रहे हैं तो आपको उनके रहने की जगह की साफ-सफाई का ख़ास ध्यान रखना होगा। गोबर और गौमूत्र को समय-समय पर गौशाला से हटाते रहना चाहिए।
बालकिशन साफ-सफाई के साथ ही हर हफ़्ते या महीने में गायों को रखने वाली जगह पर चूने का छिड़काव करते हैं। उनका कहना है कि गाय बहुत ही नाजुक जानवर है, इसलिए उन्हें जल्दी बीमारियां होने की आशंका रहती है। ऐसे में गाय की अच्छी देखभाल करने की ज़रूरत है। समय पर टीकाकरण कराना ज़रूरी है। सरकार की ओर से पशुओं को नि:शुल्क टीकाकरण की व्यवस्था भी है। बीमारी के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने चाहिए।
गर्भवती गाय की देखभाल
बालकिशन का कहना है कि गर्भवती गाय की ज़्यादा देखभाल करनी चाहिए। वह 4 से 5 महीने बाद गर्भवती गायों को पशु आहार में हरा चारा ज़्यादा देते हैं । साथ ही 15 दिन बाद 250 ग्राम घी या सरसों का तेल देते हैं। दाना कम कर देते हैं, क्योंकि दाना गरम होता है, जिससे बच्चे को नुकसान पहुंच सकता है, जबकि हरा चारा ठंडा होता है और यह गाय की कैल्शियम की ज़रूरत को पूरा करता है।
बछड़ो को जन्म के बाद दूध की मात्रा कैस बढ़ाएं?
अगर आप चाहते हैं कि गाय अधिक दूध दे, तो आपको उनका ख़्याल भी ज़्यादा रखना होगा और पौष्टिक चारा देना होगा। साथ ही अधिक विटामिन खिलाने होगें। बालकिशन का कहना है कि तेल और बरसीम गायों के लिए सबसे अच्छे विटामिन के स्रोत हैं।
ठंड के मौसम में गाय की देखभाल
अगर कोई गाय ज़्यादा दुबली है तो ठंड के मौसम में उसे बोरा पहना देते हैं। इसके अलावा, उसके रहने की जगह के आसपास आग जलाते हैं। गुड़-तेल पकाकर खिलाते हैं, जिससे उन्हें एनर्जी मिलती है। बालकिशन के मुताबिक, देसी गाय कम बीमार पड़ती है और ये वातावरण में आसानी से ढल जाती हैं। इनकी सही देखभाल न करने पर यह ज़्यादा दूध नहीं देती हैं।
ऐसे करते हैं मार्केटिंग
बालकिशन का कहना है कि घर-घर दूध देने की बजाय वह मिठाई की दुकान पर दूध देते हैं। दुकान पर दूध सप्लाई करने से अच्छी कीमत मिलती है और पैसे भी नकद में मिल जाते हैं, जिससे गाय का दाना-पानी खरीदना आसान हो जाता है।
गाय को देखकर पता चल जाती है बीमारी
बालकिशन बताते हैं कि जिस तरह डॉक्टर इंसान का चेहरा देखकर बता देता है कि वह बीमार है, उसी तरह वह अपनी गाय का चेहरा देखकर बता सकते हैं कि वह बीमार है। यदि गाय सुस्त है, ठीक से चारा नहीं खा रही तो सबसे पहले थर्मामीटर लगाकर उसका बुखार चेक करें। बुखार होने पर डॉक्टर की सलाह पर दवा दे देते हैंरें। इसके अलावा अन्य कई दवाएं भी वह रखते हैं।
कैसे करें शुरुआत?
नए पशुपालकों को बालकिशन सलाह देते हैं कि एक देसी गाय से शुरुआत करें। उसके पहले आप किसी डेयरी में काम करके गोबर उठाना, गाय की देखभाल करना और दूध निकालना सीखें। बिना अनुभव के डेयरी फ़ार्म शुरू करने पर आप असफल भी हो सकते हैं।
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