Potato Varieties: आलू की 10 बेहतरीन किस्में, जिन्हें उगाने से बढ़ सकती है कमाई

ये आलू की खुदाई का मौसम है। वैसे हमारे देश के कई इलाकों में तो पूरे साल आलू की पैदावार होती है। यदि आप भी आलू की खेती कर रहे हैं और इससे अपनी आमदनी बढ़ाना चाहते हैं, तो आलू की कुछ खास किस्मों की खेती करें जिसमें पैदावर अधिक होती है।

Potato Varieties आलू की किस्में 13

हमारे देश में चावल, गेहूं और गन्ने  के बाद आलू की ही खेती सबसे अधिक होती है। आलू में 80 से 82 प्रतिशत तक पानी और 14 प्रतिशत स्टार्च होता है। आलू एक ऐसी सब्ज़ी है जिसे कितने भी दिनों तक स्टोर करके रखा जा सकता है और तरह-तरह के व्यंजन बनाए जा सकते हैं। शायद इसीलिए इसे सब्ज़ियों का राजा कहा जाता है। आलू के परांठे से लेकर चिप्स और कई तरह की सब्ज़ियां बनाई जाती हैं जो हर किसी को पसंद आती हैं। आज हम आपको आलू की उन्नत किस्मों के बारे में बात रहे हैं। 

आलू की उन्नत किस्मों की सूची (List Of Potato Varieties In India)

 

कुफरी अलंकार (Kufri Alankar)

यह आलू की उन्नत किस्म है जो प्रति हेक्टेयर 200 से 250 क्विंटल तक उपज देती है। इस किस्म के आलू की फसल 70 दिनों में ही तैयार हो जाती है। उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में इसकी पैदावार अच्छी होती है।

Potato Varieties आलू की किस्में 2

 

कुफरी चंद्रमुखी (Kufri Chandramukhi)

इस किस्म के आलू के पौधे का तना लाल-भूरे रंग के धब्बे के साथ हरा होता है। फसल तैयार होने में 80 से 90 दिनों का समय लगता है। प्रति हेक्टेयर इसकी पैदावार 200 से 250 क्विंटल है। उत्तर भारत के मैदानी और पठारी इलाके इसकी खेती के लिए अच्छे हैं।

Potato Varieties आलू की किस्में 4

 

कुफरी गंगा (Kufri Ganga)

आलू की यह किस्म कम समय में अधिक पैदावार देती है। प्रति हेक्टेयर इसकी पैदावार 250 से 300 क्विंटल है। इसकी फसल 75 से 80 दिनों में तैयार हो जाती है और उत्तर भारत के मैदानी इलाके इसकी खेती के लिए अच्छे हैं।

Potato Varieties आलू की किस्में 5

 

कुफरी नीलकंठ (Kufri Neelkanth)

 एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर यह बेहतरीन किस्म का आलू है, जो ज़्यादा ठंड के मौसम को भी बर्दाशत कर सकता है। इसकी उत्पादन क्षमता अन्य किस्मों से अधिक है और 90 से 100 दिनों में फसल तैयार होती है। स्वाद में भी यह आलू बहुत अच्छा होता है। प्रति हेक्टेयर इसकी उत्पादन क्षमता 350-400 क्विंटल है। उत्तर भारत के मैदानी इलाकों के लिए यह किस्म अच्छी है।

Potato Varieties आलू की किस्में 6

 

Potato Varieties: आलू की 10 बेहतरीन किस्में, जिन्हें उगाने से बढ़ सकती है कमाई

कुफरी ज्योति (Kufri Jyoti)

इसकी गिनती भी आलू की बेहतरीन किस्मों में की जाती है। यह किस्म पहाड़ी, मैदानी और पठारी इलाकों के लिए उपयुक्त है। इसकी फसल 80 से 150 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। मैदानी इलाकों में फसल जल्दी तैयार होती है। प्रति हेक्टेयर इसकी पैदावार 150 से 250 क्विंटल तक होती है।

Potato Varieties आलू की किस्में 8

 

कुफरी सिंदूरी (Kufri Sindhuri)

आलू भी आलू की उन्नत किस्म है जो पाले को भी सहन कर सकती है। मैदानी और पाहड़ी इलाकों में इसकी खेती की जा सकती है। पहाड़ी इलाके के मुकाबले मैदानी इलाके में फसल जल्दी तैयार हो जाती है। यह किस्म 120 से 125 दिनों में तैयार होती है और प्रति हेक्टेयर 300 से 400 क्विंटल तक पैदावार देती है।

Potato Varieties आलू की किस्में 9

 

कुफरी देवा (Kufri Dewa)

यह किस्म भी मैदानी और पहाड़ी दोनों इलाकों के लिए उपयुक्त है। उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र और मध्यवर्ती मैदानों में इसकी अच्छी खेती होती है। इस किस्म की फसल 120 से 125 दिनों में तैयार हो जाती और प्रति हेक्टेयर 300 से 400 क्विंटल पैदवार होती है।

Potato Varieties आलू की किस्में 10

 

कुफरी लालिमा (Kufri Lalima)

यह भी कम समय में अधिक पैदावार देने वाली आलू की एक उन्नत किस्म है जो 90 से 100 दिन में ही तैयार हो जाती है। प्रति हेक्टेयर इसकी पैदावार 200-250 क्विंटल है। यह किस्म उत्तर भारत के मैदानी इलाकों के लिए अच्छी है।

Potato Varieties आलू की किस्में 11

 

कुफरी स्वर्ण (Kufri Swarna)

दक्षिण भारत के पहाड़ी इलाके इस किस्म के आलू के उत्पादन के लिए अच्छे है। इसकी फसल करीब 110 दिनों में तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर 300 क्विंटल पैदावार होती है। आलू की यह किस्म अन्य के मुकाबले जल्दी खराब हो जाती है।

Potato Varieties आलू की किस्में 12

 

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कुफरी बहार (Kufri Bahar)

उत्तरी भारत के मैदानी इलाकों के लिए यह किस्म अच्छी है। यह 90 से 110 दिन में तैयार होती है और  इसी में कुछ ऐसी  किस्में  हैं जो  100 से 135 दिन में तैयार होती है। इसकी पैदावार प्रति हेक्टेयर करीब 200-250 क्विंटल है।  

Potato Varieties आलू की किस्में 13

आलू की खेती के लिए 15 से 25 डिग्री सेल्सियस का तापमान आदर्श माना जाता है। इसके बीजों को अंकुरित होने के लिए 25 डिग्री सेल्सियस तापमान की ज़रूरत होती है।

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