Fish Farming Business: मछली पालन व्यवसाय से जुड़ी अहम जानकारी, जानिए क्या है विशेषज्ञों और अनुभवी मछली पालकों की राय?

मछली पालन उद्योग का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा है। देश के मछुआरों और मछली पालन उद्योग एक बड़े सेक्टर के रूप में उभर कर आया है। भारतीय मत्स्य पालन की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 1980 के दशक में जो मछली उत्पादन 36 फ़ीसदी था, वो बढ़कर आज के वक्त में 70 फ़ीसदी पर पहुंच गया है। जानिए मछली पालन से जुड़े अहम बिंदुओं के बारे में।

Fish Farming Business: मछली पालन व्यवसाय से जुड़ी अहम जानकारी, जानिए क्या है विशेषज्ञों और अनुभवी मछली पालकों की राय?

मछली उत्पादन (Fish Farming Business) में भारत वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है। भारत में जब नीली क्रांति की शुरूआत हुई तब से मछली पकड़ने और एक्वाकल्चर उद्योगों में बहुत सुधार देखा गया। इससे देश के मछुआरों और मछली पालन उद्योग एक बड़े सेक्टर के रूप में उभर कर आया।

मछली पालन उद्योग का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा है। भारतीय मत्स्य पालन की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 1980 के दशक में जो मछली उत्पादन 36 फ़ीसदी था, वो बढ़कर आज के वक्त में 70 फ़ीसदी पर पहुंच गया है। 2021-22 के दौरान मछली उत्पादन (Fish Production) 16.25 एमएमटी के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंचा और 57,586 करोड़ मूल्य का समुद्री निर्यात किया गया।

मछली पालन व्यवसाय (Fish Farming Business) के लिए आज के वक्त में नई-नई तकनीकों के साथ सरकार की तरफ़ से सब्सिडी भी दी जाती है। आप बायोफ्लॉक तकनीक (Biofloc Technique) के ज़रीये लाखों का मुनाफ़ा ले सकते हैं।

बायोफ्लॉक तकनीक क्या है? (What Is Biofloc Technology?)

बायोफ्लॉक तकनीक के बारे में किसान ऑफ़ इंडिया ने उत्तर प्रदेश के मत्स्य विभाग विंध्याचल मंडल मिर्ज़ापुर के उपनिदेशक मुकेश कुमार सांरग से बात की। वो बताते हैं कि बायोफ्लॉक तकनीक उनके लिए अच्छा विकल्प है, जिनके पास जगह कम है।

बायोफ्लॉक तकनीक एक आधुनिक टेक्नोलॉजी है। इस टेक्नोलॉजी की मदद से मछलियों को सीमेंट या फिर मोटे पॉलिथीन के बनें टैंक में डाला जाता है। इन टैंक में ऑक्सीजन देने की अच्छी व्यवस्था होती है। इसके बाद मछलियों को खाना दिया जाता है। मछलियां अपने खाने का 75 फीसदी मल के रूप में निकालती हैं। ये वेस्ट टैंक में ही रहता है। इस वेस्ट को साफ़ करने के लिए बैक्टीरिया का इस्तेमाल किया जाता है। इस बैक्टीरिया की ख़ासियत ये है कि ये मछली के वेस्ट को प्रोटीन में बदल देता है। फिर यही प्रोटीन मछलियों का आहार बन जाता है।

मुकेश कुमार सांरग आगे जानकारी देते हैं कि बायोफ्लॉक तकनीक से आहार में लगने वाले पैसों में बचत होती है। तालाब में जहां तीन बोरी खर्चा रहता है, वहीं इस तकनीक के इस्तेमाल से दो बोरी का खर्चा आता है।

मछली पालन का व्यवसाय कैसे शुरू करें? (How To Start Fish Farming Business?)

अगर आप मछली पालन शुरू करना चाहते हैं तो ऐसी जगह से शुरुआत करें जहां पानी अच्छे से मुहैया हो सके या फिर वहां पर पानी का स्रोत अच्छा हो, जैसे- नदियां, तालाब, नहर या फिर पोखरे वगैरह हो। मछली पालन के लिए आपको तालाबों की ज़रूरत होगी, जहां पर आप मछलियों का प्रोडक्शन कर सकें। ये तालाब आप खुद खरीद कर या फिर किराये पर भी ले सकते हैं।मछलियां बड़ी हो जाने पर (जब तक वजन एक किलो से दो किलो तक ना हो जाए) इसे मार्केट में बेच सकते हैं।

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तालाब बनाकर मछली पालन (Fish Pond For Fish Farming)

तालाब के ज़रीय आप मछली पालन कर सकते हैं। तालाब में मछली पालन का तरीका सबसे लाभदायक होता है, लेकिन इसके व्यापार और रख-रखाव को सही तरह से चलाने के लिए आपको थोड़ा पैसा भी खर्च करना पड़ सकता है, लेकिन इस विधि से आप मछलियों की अच्छी पैदावार कर सकते हैं।

किसान ऑफ़ इंडिया ने मध्यप्रदेश के सीहोर ज़िले के रहने वाले मछली पालक रामचंद्र से तालाब में मछली पालन के बारे में जाना। उन्होंने बताया कि ट्रेनिंग लेने के बाद ही उन्होंने मछली पालन व्यवसाय 2018 में शुरू किया था। वो अपने तालाब में कॉमन कार्प, रोहू और कतला, ये तीन प्रजाति की मछलियां पालते हैं। रो

रोहू मछली के मार्केट दाम पर उन्होंने बताया कि अगर सीधे तालाब से रोहू मछली की बिक्री हो तो 100 से 120 रुपये प्रति किलो की कीमत मिल जाती है। आगे उन्होंने जानकारी दी कि कोई अगर मछली पालन शुरू करना चाहता है तो जल्दी तैयार होने वाली पंगेसियस मछली पालन से शुरुआत कर सकता है।

RAS तकनीक से मछली पालन (Fish Farming RAS Technique)

मछली पालन के आप प्लास्टिक या फिर आरसीसी टैंक इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए आपको टेक्नोलॉजी का यूज करते हुए मछलियों के रहने के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करना होगा। इसके लिए उपकरणों के साथ बिजली व्यवस्था और पानी की अच्छी व्यवस्था करनी होगी। आजकल मछली पालन की RAS तकनीक का खूब इस्तेमाल हो रहा है।

खारे पानी की मछली (Salt Water Fish)

खारे पानी की मछलियों में तिलापिया सबसे अच्छी मानी जाती है। साथ ही ये आपके बिज़नेस के लिए भी फायदेमंद है। इस मछली को फार्मों में पालना और उनका प्रजनन करना आसान होता है। इनमें से अधिकांश प्रजातियां ताजे और खारे पानी दोनों में ही जिंदा रह सकती हैं।

मीठे पानी की मछली (Freshwater Fish)

मीठे पानी के मछलियां मिट्टी के बेसिन या कंक्रीट वाले तालाबों से पैदा होती हैं। मीठे पानी की मछली झरने, जल धारा, तालाबों में पाई जाती हैं। मीठे पानी की मछली खारे पानी में जिंदा नहीं रह पाती है।

मछली पालन व्यवसाय में लागत (Cost In Fish Farming Business)

मछली पालन व्यवसाय आप अपनी पूंजी के हिसाब से बड़े या फिर छोटे स्तर पर शुरू कर सकते हैं। आपको बता दें कि एक बीघा के तालाब से अगर आप मछली पालन शुरू कर रहे हैं तो लगभग 50,000 से एक लाख रुपये का खर्च आ सकता है।

मछली पालन के लिए लाइसेंस (License For Fishing)

अगर आप छोटे स्तर पर मछली पालन करना शुरू कर रहे हैं तो इसके लिए किसी तरह के लाइसेंस की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। वहीं अगर आप बड़ा बिजनेस करना चाहते हैं तो लाइसेंस के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना हता है। MSME रेजिस्ट्रेशन, जीएसटी, FSSAI लाइसेंस की ज़रूरत होगी।

मछली पालन व्यवसाय में लोन और सब्सिडी (Loan & Subsidy In Fish Farming Business)

मछली पालन उद्योग के लिए आप किसान क्रेडिट कार्ड के ज़रीये किसी भी सरकारी बैंक से कम ब्याज दर पर लोन ले सकते हैं। वहीं मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ‘प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना’ के तहत सब्सिडी देती है। इसमें 50 फ़ीसदी अनुदान केंद्र और 25 फीसदी राज्य सरकार की तरफ़ से वहन किया जाता है। इस तरह 75 फ़ीसदी धनराशि आपको सब्सिडी के रूप में मिलती है।

मछली पालन व्यवसाय के लिए ट्रेनिंग (Training For Fish Farming Business)

भारत के कृषि मंत्रालय के मत्स्य विभाग की तरफ़ से मछली पालन को लेकर प्रशिक्षण दिया जाता है। ये प्रशिक्षण निशुल्क होता है। मत्स्य विभाग की वेबसाइट प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना पर प्रशिक्षण से सम्बन्धित सभी तरह की जानकारियां ले सकते हैं।

मछली पालन बिज़नेस में बाज़ार (Know Your Market Target )

अगर आप स्मॉल स्केल पर मछली पालन व्यवसाय शुरू करने वाले हैं तो सबसे अहम ये है कि इसके लिए आपको प्लानिंग बनाना ज़रूरी हो जाता है। इसके साथ ही आपको मछली पालन व्यवसाय शुरू करने से पहले मार्केट शोध ज़रूर कर लेना चाहिए। आपको इस पर फोकस करना होगा कि आपके आसपास का मछली बाज़ार कैसा है? उसकी मांग क्या है? आपके ग्राहक कैसे हैं और वो किस प्रजाति की मछली को खाना अधिक पसंद करते हैं, साथ ही आप एक्सपोर्ट करते हैं तो उन स्थानों के बाज़ार के बारें में ज़रूर जानें।

मछली पालन में चुनौतियां और समाधान (Fish Farming Challenges & Solutions)

आपको अपने बजट को लेकर बहुत ध्यान से चलना होगा जिससे की आप अपनी पूंजी में रहकर ही बिज़नेस कर सकें। बजट बढ़ने से कहीं आपको अपनी परियोजना को रोकना न पड़े। इसलिए सोचते और समझते हुए प्रभावी प्लानिंग और बजट के साथ आगे बढ़े।

आप मछली पालन के साथ दूसरे व्यवासाय भी कर सकते हैं, जो फ़िश फ़ार्मिंग से जुड़े हों, जैसे बतख पालन और मुर्गी पालन

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मछली पालन बिज़नेस में प्लानिंग अहम

  • ये तय करें कि फ़िश फ़ार्म की जगह पर लगातार पानी की आपूर्ति हो रही हो।
  • सुनिश्चित करें कि पानी का तापमान, तालाब या टैंक की मछलियों के लिए सही हो।
  • मछली पालन शुरू करने से पहले केमिकल और बैक्ट्रियोलॉजी (Bacteriologist) दोनों तरह से पानी का टेस्ट करें।
  • मछली पालन शुरू करने से पहले कानूनी अनुपालन और अनुमति पर ध्यान देना ज़रूरी है।
  • साइट पर अच्छी ट्रांसपोर्टेशन फैसिलिटी होनी चाहिए, जिससे मार्केटिंग पर अच्छा प्रभाव दिखे।
  • विशेषज्ञों या पेशे से जुड़े लोगों से ज़रूरी सुझाव लें।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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