अंग्रेज़ी का लोकप्रिय कथन है- ऐज इज़ जस्ट अ नंबर’ (Age Is Just A Number)..! और कश्मीर के गुलाम मोहिउद्दीन भट्ट ने 60 साल की उम्र में इसे साबित भी किया है। जम्मू-कश्मीर पुलिस में 35 साल की सेवा के बाद जब सरकार ने रिटायर किया तो इस सहायक सब इंस्पेक्टर ने अपना वो सपना साकार करने की तरफ़ कदम बढ़ाया, जो कई साल पहले अच्छबल और कोकरनाग में अपनी तैनाती के दौरान देखा था। ये था ट्राउट मछली (Trout Fish) का अपना फ़ार्म बनाना।

क्या है ट्राउट मछली?
ट्राउट, ठंडे और ताज़े पानी की एक ऐसी मछली है, जिसकी गिनती भारत में महंगी और स्वाद में लज़ीज़ नस्ल की मछलियों में होती है। इसी मछली को खाने के शौक़ीन भारत के पूर्व प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी भी थे, जो हिमाचल प्रदेश में मनाली में प्रवास के दौरान व्यास के ठंडे पानी में पैदा ट्राऊट मछली (Trout Fish) चाव से खाते थे।
कुदरती पानी के स्रोत का किया इस्तेमाल
गुलाम मोहिउद्दीन भट्ट की ट्राउट फिश फ़ार्म बनाने को लेकर पहले से रुचि थी। उन्होंने खाकी वर्दी टांगने के बाद कश्मीर के मत्स्य विभाग की तरफ़ से नए मछली पालकों को दी जाने वाली तीन दिन की ट्रेनिंग में हिस्सा लिया। फ़ार्म कहाँ खोलना है, इसकी जगह का चुनाव उन्होंने पहले से कर रखा था। ट्राउट मछली को लगातार बहता पानी चाहिए। पुलवामा के मलिकपोरा में 18 मरले का टुकड़ा (1 मरले में तक़रीबन 25 मीटर होते हैं) जिसके कुछ ही फासले पर ताज़े पानी का कुदरती स्रोत भी मौजूद था। उन्होंने भूमिगत झरने से निकले पानी को खेत के बिल्कुल नज़दीकी हिस्से लाने के लिए सीमेंट की नाली बनवाई। पानी की उपलब्ध मात्रा को ध्यान में रखते हुए ही उन्होंने दो मध्यम दर्जे के पक्के तालाब बनवाए।

ट्राउट मछली का मिलता है अच्छा दाम
ट्राउट मछली को ऑक्सीजन की बहुत ज़रुरत होती है, जो पानी में लगातार मूवमेंट या बहाव से संभव है। गुलाम मोहिउद्दीन भट्ट कहते हैं,” पानी का बहाव रुकने के 10 मिनट बाद ही मछली छटपटाने लगती है और ज़्यादा से ज़्यादा 15 मिनट तक ज़िंदा रह पाती है।” इसका मतलब ये है कि ट्राउट पालने में सबसे बड़ी चुनौती ही लगातार बहते पानी की उपलब्धता है। वो चाहे कुदरती हो या फिर बिजली अथवा डीज़ल से चलने वाले जनरेटर सेट और पम्प के सहारे सुनिश्चित किया जाए। कश्मीर के जिस हिस्से में गुलाम मोहिउद्दीन भट्ट रहते हैं वहाँ बिजली से आँख मिचौली आम बात है। बहरहाल कुल मिलाकर बात ये है कि पानी का कृत्रिम बहाव बनाना और पानी को फ़िल्टर करना लागत में काफ़ी इज़ाफ़ा कर देता है। फिर जहां सरकार उत्पाद की अधिकतम कीमत खुद तय करती हो वहां लागत वृद्धि के हिसाब से मछली पालक भाव भी नहीं बढ़ा सकता। गुलाम मोहिउद्दीन भट्ट बताते हैं कि उनके क्षेत्र में ट्राउट मछली का फिक्स दाम 500 रुपये प्रति किलो है।
गुलाम मोहिउद्दीन भट्ट से बातचीत चल ही रही थी एक नौजवान उनसे मछली खरीदने उनके फ़ार्म पर पहुंचा। कोई मोल भाव नहीं हुआ। हमारे सामने ही गुलाम ने ताज़े पानी से दो मछली निकाली और तोली तो उनका वजन पूरा एक किलो निकला। ग्राहक के कहने पर गुलाम मोहिउद्दीन ने मछली काट कर साफ़ करके भी उसे दे दी। गुलाम मोहिउद्दीन बताते हैं कि आमतौर पर ग्राहक साबुत मछली खरीदते है, लेकिन अगर कोई कस्टमर कहे तो हम काट भी देते है।
कम लागत और सबसिडी भी
मत्स्य पालक गुलाम मोहिउद्दीन भट्ट दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग ज़िले में कोकरनाग में स्थापित ट्राउट अंडक उत्पत्तिशाला (trout Hatchery) से मछली के बीज लाते हैं। वहां यूरोपियन यूनियन की सहायता से 1984 ट्राउट फ़ार्मिंग प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है। यही वजह है कि बीते दो दशक में जम्मू-कश्मीर में मछली के कारोबार में काफ़ी इज़ाफ़ा हुआ है। ट्राउट मछली पालन को यहा की सरकार ने काफ़ी बढ़ावा दिया है और इसके लिए कई तरह की योजनाएं हैं।
गुलाम मोहिउद्दीन भट्ट बताते हैं कि तीन साल पहले उन्होंने सिर्फ़ 2 लाख रुपये की लागत से मछली पालन शुरू किया था। ज़मीन उनकी अपनी थी। सारा सिस्टम खड़ा करने और मत्स्य बीज लाने में जो दो लाख रूपये खर्च हुए, उसमें से 1 लाख 20 हज़ार रूपये सबसिडी के रूप में उनको सरकार से वापस मिल गए। इन मछलियों को खाने के लिए जो दाना डाला जाता है वो मछलियों को ही सुखाकर, पीसकर पहले पाउडर बनाया जाता है और फिर उनको छोटी छोटी गोलियों में तब्दील कर दिया जाता है। यही मछलियों का दाना है और गुलाम मोहिउद्दीन भट्ट ने जानकारी भी दी कि इस दाने को खरीदने में भी सरकार की तरफ से 50 फ़ीसदी सब्सिडी मिलती है।

मछली पालन से आमदनी
मछली पालन और बिक्री के काम से गुलाम मोहिउद्दीन भट्ट साल में 3 से 4 लाख रूपये कमा लेते हैं। 5 साल पहले तक उनके पुश्तैनी खेत में अब तक धान उगाया जाता था। अब वहां विदेशी किस्म वाले इटली सेब के पेड़ हैं। आमदनी बढ़ाने और आधुनिकता को अपनाने के जुनूनी किसान भट्ट बताते हैं कि उनके काम में उनकी पत्नी मदद करती है और साथ ही एक कर्मचारी की सहायता भी लेते हैं। उनका एक बेटा है, जो एक प्राइवेट काम देखता है। लिहाज़ा खेतीबाड़ी से लेकर मछली पालन तक सब वो खुद ही देखते हैं। वो कहते हैं कि इस व्यवसाय में अच्छा मुनाफ़ा है और विदेश में भी ट्राउट मछली की मांग है। दुबई में ट्राउट मछली का निर्यात करने वाले 1500 रुपये किलो के हिसाब से भेजते हैं। मछली पालन से साल के 12 महीने उनकी आमदनी होती है। यहाँ तक कि खूब बर्फ़ पड़ने वाले महीनों दिसम्बर-जनवरी में भी आमदनी का सिलसिला जारी रहता है।
गुलाम मोहिउद्दीन भट्ट कहते हैं कि जितनी सर्दी होगी उतना ट्राउट के लिए अच्छा है और क्योंकि ये मछलियां झरने के पानी वाले तालाब में पलती है इसलिए सुरक्षित रहती हैं। झरने का पानी गर्म होता है। इन दिनों में यहां लोग मछली भी ज़्यादा खाते हैं, लिहाज़ा मुनाफ़ा भी होता है।

हमेशा से नया करने का जुनून
धान की खेती से सेब बागान और फिर मछली पालन के मैदान में उतरे गुलाम मोहिउद्दीन भट्ट कुछ नया करने को हमेशा तत्पर रहते हैं। मछली पालन में मिली कामयाबी से उत्साहित भट्ट अब मुर्गी पालन की तरफ़ कदम बढ़ाने वाले हैं। गुलाम मोहिउद्दीन मलिकपोरा स्थित फिश फ़ार्म के पास ही खाली पड़ी ज़मीन के छोटे से टुकड़े पर मुर्गी फ़ार्म शुरू करने के प्लान पर काम कर रहे हैं। उनका विचार मुर्गे की किस्म कडकनाथ पालने का है। उनका कहना है कि कड़कनाथ नस्ल के मुर्गे का गोश्त बकरे के गोश्त से भी महंगा है, जो 700 रूपये प्रति किलो तक बिकता है। यही नहीं इस नस्ल की मुर्गी का एक अंडा 50 रुपये में बिकता है। ये अंडा भी काले रंग का होता है।
गुलाम मोहिउद्दीन भट्ट को नया करने के आइडिया कहां से आते हैं? इस सवाल के पूछने पर इस प्रगतिशील किसान का जवाब रहा कि दुनिया में क्या कुछ हो रहा है, इसकी जानकारी रखना उनकी दिलचस्पी है। वो नियम से टीवी पर न्यूज़ देखते हैं और अखबार पढ़ते हैं। पुलिस की नौकरी हासिल करने का रास्ता भी उनको उर्दू अखबार ‘ आफ़ताब’ ने दिखाया था। ‘आफ़ताब’ में छपे जम्मू-कश्मीर पुलिस में सिपाहियों की भर्ती के विज्ञापन को पढ़कर ही जनवरी 1984 की सुबह एसपी दफ़्तर पहुंचे थे जहां भर्ती चल रही थी। पुलिस में जाने से पहले तक गुलाम मोहिउद्दीन किसी के लिए फ़र्नीचर बनाने का काम किया करते थे। असल में दसवीं पास करने के बाद उन्होंने स्कूली पढ़ाई छोड़ दी थी और आईटीआई से कारपेंटरी कोर्स किया था। हालांकि, इससे परिवार का गुज़ारा नहीं होता था और उनकी शादी भी 22 साल की उम्र में हो गई थी। शादी के 2 साल बाद वे सिपाही के तौर पर भर्ती हुए थे और उनको पहली तनख्वाह 533 रुपये मिली थी। परिवार में सबसे बड़े बेटे होने के नाते उनकी ज़िम्मेदारी भी ज़्यादा थी, लिहाज़ा पुलिस में भर्ती होने के पीछे मुख्य मकसद आर्थिक हालात ठीक करना था और फिर ऐसा हुआ भी।
गुलाम मोहिउद्दीन बताते हैं कि वे इस काम में भी कुछ न कुछ नया सीखने के लिए नियमित रूप से प्रशिक्षण कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हैं। उनको मछली के बेहतर पालन पोषण के आधुनिक और रिसर्च आधारित तौर तरीके या नुस्खे बताए जाते हैं। इससे उनके काफ़ी मदद मिलती है।

बेरोज़गार युवाओं के लिए प्रेरणा
पुलिस की नौकरी के दौरान उनका ज़्यादा समय आतंकवाद प्रभावित जम्मू-कश्मीर में अलग अलग जगह बीता। इस दौरान सोपोर में एक आतंकवादी हमले में वे बाल-बाल बचे, जब पुलिस की उस बस पर आतंकवादियों ने एके 47 राइफलों से अंधाधुंध गोलियां बरसाई थी जिसमें उनके साथ तकरीबन 2 दर्जन पुलिसकर्मी और थे। इस हमले ने या ऐसी और घटनाओं से वे कभी भी विचलित नहीं हुए। आज की तारीख में उनका जुनून उन्हें नए प्रयोग करने की ताकत और आत्मविश्वास देता है। जम्मू-कश्मीर में बेरोज़गारी के इस दौर में नौकरी के लिए भटकते युवाओं के लिए किसान गुलाम मोहिउद्दीन एक शानदार प्रेरणा का स्त्रोत है।
ये भी पढ़ें: मछली के साथ बत्तख पालन यानी दोगुना लाभ, एक्सपर्ट एनएस रहमानी से जानिए कैसे शुरू करें Fish Cum Duck Farming
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

ये भी पढ़ें:
- VIV ASIA Poultry Expo 2026: भारत में पहली बार होने जा रहा है लाइव स्टॉक एक्सपो का महाकुंभ!दुनिया के सबसे बड़े लाइव स्टॉक और पोल्ट्री एक्सपो (The world’s largest livestock and poultry expo) में से एक, VIV ASIA, (VIV ASIA Poultry Expo 2026) अब भारत में होने जा रहा है। ये पहली बार है जब ये प्रतिष्ठित एक्सपो थाईलैंड और यूरोप से निकलकर भारत की राजधानी दिल्ली में आयोजित किया जाएगा।
- हेम्प वेस्ट से बन रही बायो-प्लास्टिक, पर्यावरण संरक्षण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिल रहा नया सहाराहेम्प वेस्ट से बन रही बायो-प्लास्टिक (Bio-plastic being made from hemp waste) दे रही पर्यावरण को राहत और गांवों को रोज़गार, संभल में शुरू हुआ हरित नवाचार।
- 200 Years of Assam Tea: स्वाद, विरासत और इनोवेशन संग न्यूयॉर्क में जश्न, धूमधाम से मना असम चाय का द्विशताब्दी समारोहन्यूयॉर्क में समर फैंसी फूड शो 2025 (Summer Fancy Food Show 2025) में असम चाय के 200 साल पूरे (200 Years of Assam Tea) होने का भव्य उत्सव मनाया।
- National Turmeric Board Inaugurated: किसानों को मिली बिचौलियों से मुक्ति, अब दुनियाभर में धाक जमाएगी ‘निज़ामाबाद की हल्दी’केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह (Union Cooperation Minister Amit Shah) ने ‘राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड’ (National Turmeric Board) का उद्घाटन किया। ये कदम दशकों से हल्दी किसानों की मांग को पूरा करने वाला साबित होगा।
- गुना का गुलाब अब महकेगा पेरिस और लंदन तक – गुलाब की खेती से किसानों को मिलेगा अंतरराष्ट्रीय बाज़ारगुलाब की खेती से गुना के किसान अब पेरिस और लंदन में गुलाब भेजने को तैयार हैं। गुना का गुलाब देगा अंतरराष्ट्रीय पहचान।
- Obesity in India: पीएम मोदी ने ‘मन की बात’ में की ‘कम तेल,अच्छी सेहत’ की अपील, FSSAI ने दिये मोटापा कम करने के ज़बरदस्त टिप्स!मोटापे की बढ़ती समस्या (Obesity in India) पर चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रव्यापी मुहिम शुरू करने का आग्रह किया है। यह सिर्फ एक सुझाव नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय मिशन है, जिसमें हर नागरिक की भागीदारी जरूरी है। साथ ही, FSSAI (भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण) और AIIMS की विशेषज्ञ डॉ. स्वप्ना चतुर्वेदी ने स्वस्थ खानपान के ऐसे ऑप्शन सुझाए हैं, जो न सिर्फ आसान हैं बल्कि सेहत के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकते हैं।
- डोंडुबाई हन्नू चव्हाण जिन्होंने अपनाई एकीकृत कृषि प्रणाली और बदल दी ज़िंदगीएकीकृत कृषि प्रणाली अपनाकर डोंडुबाई चव्हाण ने खेती की तस्वीर बदली, कम ज़मीन में हासिल की लाखों की कमाई और सम्मान।
- Agri Infra Fund (AIF): किसानों और उद्यमियों के सपनों को कृषि इंफ्रा फंड दे रहा नई उड़ान, जानिए कैसे करें अप्लाईकृषि अवसंचना कोष (Agri Infra Fund – AIF) के जरिए सरकार किसानों, एग्री-उद्यमियों, FPOs (किसान उत्पादक संगठनों) और कृषि व्यवसायियों को वित्तीय सहायता देकर आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने में मदद कर रही है।
- DialogueNEXT 2025: विश्व खाद्य पुरस्कार फाउंडेशन, CIMMYT और बोरलॉग संस्थान के साथ किसानों से होगा संवाद, बढ़ेगी विज्ञान की रफ्तार!DialogueNEXT 2025 का आयोजन ICAR, विश्व खाद्य पुरस्कार फाउंडेशन (World Food Prize Foundation), CIMMYT और बोरलॉग इंस्टीट्यूट (Borlaug Institute) के साथ मिलकर 8-9 सितंबर 2025 में किया जा रहा है।
- Agri Stack: ‘किसान पहचान पत्र’ से लेकर किसानों का नया डिजिटल साथी Multilingual AI Chatbot के बारें में अहम बातेंएग्री स्टैक (Agri Stack) भारत सरकार की एक डिजिटल पहल है, जिसका उद्देश्य किसानों को तकनीक के जरिए बेहतर सुविधाएं प्रदान करना है। भारत सरकार की ‘एग्री स्टैक’ (‘Agri Stack’) पहल के तहत एक मल्टीलिंगुअल AI चैटबॉट लॉन्च (Multilingual AI chatbot) किया गया है, जो किसानों को उनकी भाषा में सलाह देता है।
- प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना सप्ताह 1 जुलाई से आरंभ, इस ख़रीफ़ सीजन में अपनाएं PMFBY का सुरक्षा कवचख़रीफ़ 2025 के लिए फ़सल बीमा पंजीकरण शुरू हो रहा है। प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना से फ़सल और किसान दोनों होंगे सुरक्षित।
- बुरहानपुर में राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के तहत कृषि सखियां बनीं गांव की नई कृषि मार्गदर्शकराष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन से जुड़कर कृषि सखियां गांवों में प्राकृतिक खेती का ज्ञान फैला रही हैं और महिला किसानों को सशक्त बना रही हैं।
- Cloud Farming: क्लाउड फ़ार्मिंग आसमान से फ़सलों को पानी देने का एक नया तरीकाक्लाउड फ़ार्मिंग (Cloud Farming) एक तकनीक है जिससे कोहरे, धुंध और ओस जैसे अदृश्य जल स्रोतों को इकट्ठा कर सूखे क्षेत्रों में पानी जुटाया जाता है।
- Red Flour Beetle: अनाज का दुश्मन नंबर-1 ‘लाल आटा बीटल’ से बचाव के लिए IARI ने टेस्ट डेवलप किया‘लाल आटा बीटल’ (Red Flour Beetle) भंडारित अनाज को अंदर से खोखला कर देते हैं। ये कीट न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया में किसानों और अनाज भंडारकर्ताओं (grain storekeepers) के लिए एक बड़ी समस्या बने हुए हैं।
- Improved Varieties Of Soybean: जीनोम एडिटिंग से तैयार की जाएंगी सोयाबीन की उन्नत किस्में, कृषि मंत्री का ऐलानभारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान (Indian Soybean Research Institute) में आयोजित बैठक की। अब जीनोम एडिटिंग (Genome Editing) के ज़रीये से सोयाबीन की उन्नत किस्मों (Improved Varieties of Soybean) को उगाया जाएगा।
- समुद्र का रंग-बिरंगा जादूगर Clownfish: CMFRI ने क्लाउनफिश के Captive Breeding में सफलता पाईभारत के केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (Central Marine Fisheries Research Institute) यानि CMFRI ने हाल ही में क्लाउनफिश (Clownfish) के बंदी प्रजनन (Captive breeding) में सफलता हासिल की है। इससे न सिर्फ़ समुद्री सजावटी मछलियों (marine ornamental fishes) के व्यापार को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव भी कम होगा।
- Permaculture: सिंगापुर से लौटकर अमनिंदर नागरा ने भारत में शुरू की प्राकृतिक खेतीपर्माकल्चर (Permaculture) और टेरेस गार्डनिंग से अमनिंदर नागरा ने अपने खेत को बनाया हरियाली का प्रतीक और गांव को दिया आत्मनिर्भरता का रास्ता।
- मिट्टी की सेहत अब मिनटों में जानिए! ICRISAT की नई तकनीक किसानों के लिए साबित होगी वरदानICRISAT (अंतरराष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान) के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी क्रांतिकारी तकनीक विकसित की है, जो मिट्टी की सेहत का पता कुछ ही मिनटों में लगा देगी।
- National Fisheries Digital Platform (NFDP): राष्ट्रीय मत्स्य डिजिटल प्लेटफॉर्म पर मछली पालक करें रजिस्ट्रेशन, पाएं स्वागत प्रोत्साहन राशिराष्ट्रीय मत्स्य डिजिटल प्लेटफॉर्म (NFDP) एक ऑनलाइन पोर्टल है, जिसका उद्देश्य मछुआरों और मत्स्य किसानों को औपचारिक बैंकिंग और सरकारी योजनाओं से जोड़ना है। इस प्लेटफॉर्म पर रजिस्ट्रेशन करके वे बैंक लोन,, मत्स्य बीमा, प्रदर्शन अनुदान और अन्य वित्तीय सहायता पा सकते हैं।
- International Potato Center To Be Built In Agra: आगरा के किसानों को मिलेगी हाईटेक आलू की किस्में, बढ़ेगा निर्यातआगरा ज़िले के सिंगरा में अंतर्राष्ट्रीय आलू केंद्र (CIP) के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र की स्थापना (International Potato Center To Be Built In Agra) को मंज़ूरी दे दी है। ये फैसला भारतीय कृषि के लिए एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है