Table of Contents
कल्याणी शिंदे की स्टार्टअप की कहानी यहाँ सुनें-
प्याज उत्पादक किसानों के सामने एक सबसे बड़ी चुनौती होती है, अपनी उपज को कटाई के बाद सुरक्षित स्टोर करना। महाराष्ट्र सबसे बड़ा प्याज उत्पादक राज्य है। महाराष्ट्र के नासिक, शोलापुर, पुणे, अहमदनगर और धुले में प्याज की खेती (Onion Farming) बड़े पैमाने पर होती है। इसमें भी नासिक सबसे ज़्यादा मशहूर है। नासिक ज़िले के लासलगांव में एशिया की सबसे बड़ी (Lasalgaon Mandi) प्याज मंडी है। यहां के किसान अच्छे दाम मिलने की उम्मीद में प्याज को स्टोर करके रखते हैं। नासिक ज़िले में मार्च, अप्रैल और मई में सबसे ज़्यादा प्याज का उत्पादन होता है। प्याज के भंडारण के बाद के महीनों में नमी की वजह से और उचित तापमान नहीं होने के कारण अधिकांश प्याज खराब होने लगता है। किसानों को जब तक प्याज की सड़न के बारे में पता चलता है, तब तक प्याज की एक बड़ी मात्रा खराब हो जाती है।
पेशे से इंजीनियर कल्याणी ने निकाला रास्ता
बाढ़ और अधिक बारिश के कारण भी प्याज की फसल को भारी नुकसान पहुंचता है। 40 से 50 फ़ीसदी प्याज की फसल स्टोर में पानी घुसने या नमी की वजह सड़ जाती है। इससे किसानों को आर्थिक तौर पर भारी नुकसान झेलना पड़ता है। किसानों की इसी समस्या के समाधान के लिए महाराष्ट्र की कल्याणी शिंदे ने एक आधुनिक टेक्नोलॉजी विकसित की है। कल्याणी शिंदे ने एक सेंसर विकसित किया है, जो बिजली से चलता है। यह फसल खराब होने पर किसान को सूचित करता है। पूसा कृषि विज्ञान मेले 2022 में पहुंची कल्याणी शिंदे ने किसान ऑफ़ इंडिया से अपनी इस तकनीक पर ख़ास बात की।
कल्याणी शिंदे महाराष्ट्र के लासलगांव से ही आती हैं। उनका परिवार खुद प्याज के उत्पादन से जुड़ा है। कल्याणी शिंदे कहती हैं कि उन्होंने प्याज उत्पादक किसानों का दर्द करीब से देखा है। स्टोरेज में रखा किसानों का प्याज बर्बाद हो जाता है। कम दाम में उन्हें अपनी फसल बेचनी पड़ती है। कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट कल्याणी ने किसानों की स्टोरेज की समस्या को बारीकी से समझा। कई किसानों से मिलीं।
प्याज की खेती में बुवाई से लेकर कटाई तक, आमतौर पर लगभग 120 दिन लगते हैं। इसके बाद, प्याज को आमतौर पर छह से आठ महीने गोदाम में रखा जाता है। कल्याणी ने अपनी रिसर्च में देखा कि एक किसान जो 10 किलो प्याज का भंडारण करता है, उसका लगभग 40 से 50 प्रतिशत प्याज खराब हो जाता है। इसके बाद ही कल्याणी प्याज उत्पादक किसानों के लिए टेक-आधारित समाधान खोजने में लग गईं। यहीं से कल्याणी शिंदे के एग्रीटेक स्टार्टअप ‘गोदाम इनोवेशन्स’ की शुरुआत हुई।
कैसे काम करती है टेक्नोलॉजी?
Godaam Innovations ने Godaam Sense डिवाइस विकसित की है। ये Leverages Internet of Things (IoT) तकनीक से काम करती है। यह फसल खराब होने पर किसान को सूचित करती है। ये डिवाइस ये भी बताती है कि प्याज का कौन सा ढेर खराब हो रहा है। इस डिवाइस की ख़ासियत है कि ये रियल टाइम डाटा इकट्ठा करती है। प्याज से निकलने वाली गैसों का पता लगाती है। साथ ही गोदाम के तापमान के बारे में भी किसानों को स्थानीय भाषा में अलर्ट भेजती है। कल्याणी शिंदे ने बताया कि अब तक कई किसान इस डिवाइस का लाभ ले रहे हैं। इससे उनका फसल नुकसान बीस फीसदी तक कम हुआ है।
इस डिवाइस को मोबाइल फोन की तरह ही चार्ज किया जाता है। एक छिद्रित पाइप (perforated pipe) के अंदर इस डिवाइस को डालकर प्याज के ढेर में डाला जाता है। Godaam Innovations की टीम किसानों के गोदामों में ये डिवाइस खुद जाकर इंस्टॉल करती है।
कल्याणी शिंदे ने बताया कि किसान सूंघकर ही प्याज की सड़न के बारे में जान पाते हैं, पर तब तक बहुत देर हो जाती है। स्टोर करने की जगह बहुत पारंपरिक होती है। कच्ची झोपड़ी में प्याज स्टोर करके रखते हैं। इसके लिए Godaam Innovations पहले बुनियादी ढांचा बनाने पर काम करता है। गोदाम में वेंटिलेशन की व्यवस्था की जाती है। इससे गोदाम का तापमान सही बना रहता है।
एक डिवाइस की कितनी कीमत?
Godaam Sense की एक डिवाइस 10 हज़ार रुपये की है। डिवाइस की एक यूनिट को 7 टन प्याज के लिए लगाया जा सकता है। कल्याणी शिंदे ने बताया कि ये किसानों के लिए वन टाइम इनवेस्टमेंट की तरह है। पांच से 6 साल बाद न्यूनतम सर्विस चार्ज पर इसकी सर्विसिंग आप करा सकते हैं। गोदाम की जगह को देखते हुए भी टीम किसानों को बताती है कि उन्हें डिवाइस के कितने यूनिट्स की ज़रूरत होगी।
इस स्टार्टअप को किसानों तक पहुंचाने में सरकार की भूमिका
कल्याणी शिंदे कहती हैं कि उनका स्टार्टअप किसानों के लिए ही काम कर रहा है। इस डिवाइस पर किसानों को सब्सिडी उपलब्ध कराने को लेकर सरकार से बातचीत चल रही है। साथ ही सरकार के जो भंडारण गृह है, उन पर भी इस डिवाइस को लगाने को लेकर बात हो रही है। कल्याणी शिंदे का लक्ष्य आने वाले समय में इस डिवाइस को हर प्याज उत्पादक किसान के घर-घर तक पहुंचाने का है।
ये भी पढ़ें: अब सीधा किसानों को पैसा, बिचौलियों की भूमिका खत्म, इस स्टार्टअप ने कई लोगों को दिया रोजगार
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।
- Equipments For Hydroponic Farming: जानिए हाइड्रोपोनिक खेती के उपकरणों के बारे मेंहाइड्रोपोनिक खेती के उपकरणों (Hydroponic Farming Equipments) में ग्रो लाइट्स, पंप, नली, पीएच मीटर, पोषक तत्व समाधान, ग्रो बेड्स, और कंटेनर शामिल होते हैं।
- Poultry Health Management: पोल्ट्री की देखभाल और प्रबंधन कैसे करें? जानिए कुछ प्रभावी टिप्सपोल्ट्री स्वास्थ्य प्रबंधन (Poultry Health Management) रोगों से बचाव, उत्पादकता बढ़ाने, गुणवत्ता सुधारने और आर्थिक नुकसान कम करने के लिए ज़रूरी है।
- Budget 2024: Agriculture Sector में सरकार की मुख्य घोषणाएं, कृषि क्षेत्र के बजट में बढ़ोतरीइस साल कृषि क्षेत्र के लिए बजट (Budget 2024) को बढ़ाकर 1.52 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है। जानिए आम बजट 2024 में कृषि क्षेत्र के लिए मुख्य ऐलान।
- National Mango Day 2024: मल्लिका, आम्रपाली और प्रतिभा समेत पूसा की उन्नत आम की किस्मेंहमारे देश में लगभग 1500 से अधिक आम की किस्में (Mango Varieties) पाई जाती हैं, जो उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक फैली हुई हैं।
- Sheep Farming Tips: भेड़ों की देखभाल और प्रबंधन के उन्नत तरीकेभेड़ पालन में सफलता के लिए साफ-सुथरा और सुरक्षित आवास, पोषक आहार और नियमित टीकाकरण, ज़रूरी है। यहां हम भेड़ पालन के टिप्स (Sheep Farming Tips) शेयर कर रहे हैं।
- Tuber Crops Cultivation: जानिए कंद फसलों की खेती से जुड़ी जानकारी और कमाएं मुनाफ़ाकंद फसलों की खेती (Tuber Crops Cultivation), जैसे आलू और शकरकंद, किसानों के लिए लाभकारी है। ये पौष्टिक, उच्च मूल्य वाली और कम पानी की आवश्यकता वाली होती हैं।
- Nutritional Balance In Livestock Feed: पशुओं के लिए संतुलित आहार कैसा हो?पशुओं की खुराक में पोषण संतुलन (Nutritional Balance In Livestock Feed) उनकी सेहत, उत्पादकता, रोग प्रतिरोधकता और पशुपालकों के आर्थिक विकास के लिए ज़रूरी है।
- Millet Business Ideas: FPO OTLO के मिलेट्स व्यवसाय से जुड़े 4 हज़ार किसान और महिलाओं को रोज़गारबहुत से FPO और कंपनियां मिलेट्स व्यवसाय में उतरी हैं। प्रोसेसिंग कर मिलेट्स से ढेर सारी हेल्दी चीज़ें बना रही हैं, ऐसा ही एक FPO गुजरात के डांग ज़िले में काम कर रहा है।
- Balanced Diet For Livestock: जन्म से लेकर गर्भावस्था तक क्यों ज़रूरी पशुओं के लिए संतुलित आहार? जानिए हरविंदर सिंह सेपशुओं के लिए संतुलित आहार (Balanced Diet For Livestock) से पशुपालक न केवल लागत में कमी ला सकते हैं, बल्कि दूध का भी बंपर उत्पादन भी ले सकते हैं।
- Fish farming Practices: तालाब बनाने से लेकर मछलियों के बीज और बाज़ार भाव पर विनीत सिंह से बातमछली पालन में उन्नत प्रबंधन (Advanced Management in Fisheries) शामिल करता है: स्वच्छ जल और आहार प्रबंधन, रोग नियंत्रण, प्रौद्योगिकी उपयोग, और सरकारी योजनाएं।
- Live Fish Packing: भारत का पहली लाइव फ़िश यूनिट! वंदना का मंत्र, अच्छा दाना और भरपूर ऑक्सीजनलाइव फ़िश पैकिंग तकनीक (Live Fish Packing Technique) मछलियों को जीवित रखते हुए पैक और परिवहन करने की प्रक्रिया है, जिससे वो लंबे समय तक ताज़ी रह सकती हैं।
- जैविक खेती के तरीके: बागपत के इस किसान ने Multilayer Farming का बेहतरीन मॉडल अपनायाविनीत चौहान ने 5 साल पहले बागवानी की शुरुआत की। वो पूरी तरह से जैविक खेती के तरीके (Organic Farming Techniques) अपनाते हुए ऑर्गेनिक उत्पादन लेते हैं।
- Dragon Fruit Farming: ड्रैगन फ़्रूट फ़ार्मिंग में कितनी लागत और क्या है बाज़ार? जानें किसान सुनील सेड्रैगन फ़्रूट की खेती में लागत और लाभ की बात करें तो किसानों को पहला उत्पादन तीन से चार लाख रुपये का मिलता है। एक एकड़ से 4 से 5 टन का उत्पादन मिल जाता है।
- Vegetable Nursery Guide: सब्ज़ियों की नर्सरी कैसे तैयार कर सकते हैं? जानिए नसीर अहमद सेकिसान नसीर अहमद पिछले करीब 5-6 सालों से सब्ज़ियों की नर्सरी (Vegetable Nursery Business) का बिज़नेस कर रहे हैं। सब्ज़ियों की नर्सरी से जुड़ी कई अहम बातें उन्होंने बताईं।
- Barley Cultivation Variety: जौ की उपज दोगुनी करने वाली नयी किस्म है DWRB-219भारतीय गेहूं और जौ अनुसन्धान संस्थान ने जौ की उपज की DWRB-219 किस्म ईज़ाद की है, जिसकी पैदावार परम्परागत किस्मों के मुक़ाबले दोगुनी है।
- Allelochemical Weed Management: कपास की खेती में अंतरवर्तीय फसल प्रणाली से खरपतवार नियंत्रणकपास की फ़सल को खरपतवार से सुरक्षित रखने में अंतरवर्तीय फसल प्रणाली (Intercropping System) की तकनीक बेहद उपयोगी और किफ़ायती साबित होती है।
- यहां से लें Pearl Farming की ट्रेनिंग, आवेदन करने की ये है आखिरी तारीख़ICAR- Central Institute Of Freshwater Aquaculture, Bhubaneswar (CIFA) मीठे पानी में मोती पालन (Pearl Farming) के राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है।
- Drip Irrigation Technique: पानी और पैसा दोनों बचाएं ड्रिप इरिगेशन से, जानें टपक सिंचाई तकनीक के फ़ायदेड्रिप सिंचाई प्रणाली (Drip Irrigation System) एक अत्याधुनिक सिंचाई तकनीक है जो पानी की बचत और फसलों की उत्पादन क्षमता को बढ़ाने में मदद करती है।
- Crop Rotation In Agriculture: जानिए क्यों अहम है खरीफ़ मौसम में उन्नत फ़सल चक्रखरीफ़ मौसम के दौरान कृषि में फ़सल चक्र (Crop rotation in agriculture) अपनाकर किसान अपने खेत को कई तरह की परेशानियों से बचाते हैं।
- खरीफ़ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) में कितनी हुई बढ़ोतरी?भारत सरकार अपने बफ़र स्टॉक या सार्वजनिक वितरण प्रणाली को बनाए रखने के लिए लगभग 23 फसलों के उपज को MSP पर खरीद करती है।