भिंडी की उन्नत किस्में (Lady Finger Varieties): भिंडी एक ऐसी सब्ज़ी है जो बच्चों से लेकर बुज़ुर्गों तक सबको पसंद आती है। गर्मियों के मौसम में मिलने वाली यह सब्ज़ी पोषक तत्वों से भरपूर होती है। इसमें विटामिन, फाइबर, एंटीऑक्सिडेंट और मिनरल्स के साथ ही कैल्शियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस और आयरन की भरपूर मात्रा होती है।
भिंडी की खेती यदि सही समय पर सही मिट्टी में की जाए तो इससे किसानों को अच्छी आमदनी हो सकती है। भिंडी की उन्नत किस्मों के साथ ही उसे लगाने का सही समय क्या है? आइए, जानते हैं।
भिंडी की खेती में मिट्टी और जलवायु (Lady Finger Farming: Soil Preparation)
वैसे तो भिंडी की खेती (Lady Finger Farming) किसी तरह की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन इसके लिए दोमट मिट्टी जिसका पीएच मान 6 से 6.8 हो, सबसे उपयुक्त मानी जाती है। इसके अलावा, बलुई दोमट व मटियार दोमट भी भिंडी की खेती के लिए उपयुक्त है। भिंडी के लिए गर्म जलवायु उपयुक्त होती है। भिंडी की खेती गर्मी और बरसात के मौसम में की जाती है, लेकिन बरसात के मौसम में इस बात का ध्यान रखा जाना जाहिए कि खेत में पानी जमा न हो पाए यानी जल निकासी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए।
बुवाई का सही समय (Best Month To Plant Lady Finger)
गर्मी के मौसम में भिंडी की खेती के लिए फरवरी से मार्च के बीच बुवाई की जानी चाहिए। जबकि मॉनसून में भिंडी की खेती के लिए जून-जुलाई का समय बुवाई के लिए उपयुक्त माना जाता है। इससे पैदावार अच्छी होगी। अगर सही तरीके से खेती की जाए तो प्रति हेक्टेयर 115-125 क्विंटल भिंडी की पैदावर हो सकती है।
भिंडी की उन्नत किस्में (Know About The Bhindi Variety)
- पूसा ए-4 (Pusa A-4) – ये उन्नत किस्म एफिड और जैसिड जैसे कीटों का मुकाबला करने के साथ ही पीतरोग यैलो वेन मोजैकविषाणु रोधी भी है। इस किस्म के फल मीडियम साइज़ के और थोड़े हल्के रंग के होते है। यह चिपचिपी भी कम होती है। इस किस्म को बोने के करीब 15 दिन बाद से ही फल आने लगते हैं।
- परभनी क्रांति (Parbhani Kranti) – Bhindi Variety Parbhani Kranti पीत-रोग का मुकाबला करने में सक्षम हैं। इसके बीज लगाने के करीब 50 दिन बाद फल आने शुरू होते हैं। इस किस्म की भिंडी गहरे हरे रंग की और 15-18 सेंमी. लंबी होती है।
- पंजाब-7 (Pujab-7) – भिंडी की यह उन्नत किस्म भी पीतरोग रोधी है। इस किस्म की भिंडी हरे रंग की और मीडियम साइज़ की होती है और बीज बोने के करीब 55 दिन बाद फल आने लगते हैं।
- अर्का अभय (Arka Abhay) – भिंडी की यह किस्म येलोवेन मोजेक विषाणु रोग से खुद का बचाव करने में सक्षम है। इस किस्म की भिंडी के पौधे 120-150 सेमी लंबे और एकदम सीधे होते हैं।
- अर्का अनामिका (Arka Anamika) – यह किस्म भी येलोवेन मोजेक विषाणु रोग से खुद का बचाव करने में सक्षम है।पौधे की लंबाई 120-150 सेमी. तक होती है और इसमें कई शाखाएं भी होती हैं। इस किस्म की भिंडी के फलों में रोए नहीं होते और वह मुलायम होती है। यह किस्म गर्मी और बरसात दोनों के लिए उपयुक्त है।
- वर्षा उपहार (Varsha Upahar) –येलोवेन मोजेक विषाणु रोग रोधी भिंडी की इस किस्म के पौधे 90-120 सेमी.लंबे होते हैं और इंटरनोट होते हैं। इसमें 2-3 शाखाएं हर नोड से निकलती है। इसके पत्तों का रंग गहरा हरा होते है और मॉनसून में बुवाई के करीब 40 दिनों बाद फूल निकलने लगते हैं।
- हिसार उन्नत (Hisar Unnat) – मॉनसून और गर्मी दोनों मौसम के लिए उपयुक्त इस किस्म की भिंडी के पौधे 90-120 सेमी. तक लंबे होते हैं और इसमें भी पासपास इंटरनोड पासपास होते हैं और हर नोड से लगभग 3-4 शाखाएंनिकलती हैं। इस किस्म की भिंडी 46-47 दिनों में तोड़ने के लिए तैयार हो जाती है।
- वी.आर.ओ.-6 (VRO -6) – भिंडी की इस किस्म को काशी प्रगति भी कहते हैं। यह किस्म पीले मोजेक विषाणु रोग रोधी हैं। इस किस्म के पौधे मॉनसून में 175 सेमी. और गर्मी के मौसम में करीब 130 सेमी. तक लंबे होते हैं। इसमें भी पासपास इंटरनोड होते हैं। इस किस्म में फूल जल्दी निकलते हैं। बुवाई के 38 दिन बाद ही फूल निकलने लगते हैं।
- पूसा सावनी (Pusa Sawni) – गर्मी और बरसात के लिए उपयुक्त इस किस्म की भिंडी के पौधों की लंबाई करीब 100-200 सेमी. होती है। इसके फल गहरे हरे रंग के होते हैं। आमतौर पर इस किस्म में भी येलोवेन मोजेक विषाणु रोग नहीं लगता है।
- पूसा मखमली (Pusa Makhmali) – भिंडी की इस किस्म के फल हल्के हरे रंग के होते हैं, लेकिन यह किस्मयेलोवेन मोजेक विषाणु रोधी नहीं है। इस भिंडी में 5 धारियां होती हैं और यही इसकी खासियत है। इसके फल 12 से 15 सेमी. लंबे होते हैं।
अगर आप भी भिंडी की खेती से अच्छी पैदावर और कमाई करना चाहते हैं, तो उन्नत किस्म की भिंडी की खेती करें।
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