विदेशी सब्जियों की खेती की तरफ किसानों का रुझान बढ़ा है। इसकी वजह है मांग का दिन-ब-दिन बढ़ना। विदेशी सब्ज़ियों (Exotic Vegetables) की मांग अब शहरी क्षेत्रों में बहुत बढ़ रही है, और सेहत के प्रति जागरुक लोग ब्रोकली, लेट्यूस जैसी सब्ज़ियों का सलाद बहुत पसंद करते हैं। यही वजह है कि अब स्थानीय बाज़ार में भी खूब विदेशी सब्जियां मिल रही है। विदेशी यानी एग्जॉटिक सब्जियां किसानों की कमाई का नया ज़रिया बनती जा रही है, क्योंकि इसमें मुनाफ़ा पारंपरिक सब्जियों से अधिक होता है। किसान ब्रोकली (Broccoli), चाइनीज गोभी (Chinese Cabbage), लाल एवं पीली शिमला मिर्च (Red & Yellow Capsicum), सेलरी (Celery), पार्सले (Parsley), लेट्यूस (Lettuce), चेरी टमाटर (Cherry Tomato), ब्रुसेल्स स्प्राउट्स (Brussels Sprouts), एस्पेरेगस (Asparagus) जैसी विदेशी सब्जियों की खेती कर रहे हैं।
लखनऊ के किसान रमेश वर्मा ने कृषि विज्ञान केंद्र की मदद से विदेशी सब्ज़ियों के बारे में सारी जानकारी जुटाकर इसकी खेती की और अच्छा-खासा मुनाफ़ा कमाया। इससे दूसरे किसान भी प्रेरित हो रहे हैं। यदि आप भी अपनी आमदनी बढ़ाना चाहते हैं, तो इन विदेशी सब्जियों की खेती कर सकते हैं।
ब्रोकली (Broccoli)
फूलगोभी की तरह दिखने वाली यह सब्ज़ी हरे रंग की होती है और ठंडी के मौसम में आपको यह स्थानीय बाज़ार में दिख जाती है। सलाद या करी में इस्तेमाल करने के लिए यह लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय है। हर क्षेत्र के हिसाब से इसकी खेती अलग-अलग महीने में की जाती है। आमतौर पर सितंबर से अक्टूबर महीने में इसकी नर्सरी तैयार की जाती है। मीडियम ऊंचाई वाले इलाके में अगस्त-सितंबर और पहाड़ी इलाकों में मार्च-अप्रैल में इसकी नर्सरी बनाई जाती है।
ब्रुसेल स्प्राउट्स (Brussels Sprouts)
यह विदेशी सब्ज़ी देखने में पत्तागोभी की तरह होती है और साइज़ में छोटी होती है। इसकी बुवाई के लिए अगस्त-सितंबर का समय अच्छा माना जाता है। एक एकड़ में लगभग 20 से 40 क्विंटल ब्रुसेल स्प्राउट की खेती की जा सकती है।
लेट्यूस (Lettuce)
बड़े होटलों में सलाद, बर्गर आदि में इस्तेमाल होने वाला यह हरा पत्ता विटामिन, कैल्शियम व आयरन से भरपूर होता है। इसकी खेती सीधे तौर पर और नर्सरी बनाकर भी की जा सकती है।
सेलरी (Celery)
फाइव स्टार होटलों में इसकी भी काफी डिमांड है और सलाद के साथ ही सूप व चटनी बनाने में इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसकी खेती उन जगहों पर अच्छी होती है जहां नमी के साथ ही सूरज की अच्छी रोशनी आती है।
रेड स्विस चार्ड (Red Swiss Chard)
इस विदेशी सब्ज़ी का पौधा चुकंदर जैसा दिखता है और बाज़ार में यह काफी महंगा बिकता है। इसकी कीमत 600 से 1200 रुपए प्रति किलो है। इसकी पत्तियों को सलाद के रूप में खाया जाता है।
रेड बेसिल यानी लाल तुलसी (Red Basil)
हमारे यहां तो तुलसी के पौधे की पूजा की जाती है, लेकिन लाल तुलसी का इस्तेमाल कई विदेशी व्यंजनों में किया जाता है। यह करीब 500 से 600 रुपए प्रति किलो बिकती है। अपनी सेहत को लेकर जागरुक लोगों के बीच भी इसकी काफी डिमांड है।
ग्रीन स्विस चार्ड (Green Swiss Chard)
इसकी पत्तियों का इस्तेमाल सलाद के रूप में किया जाता है और बर्गर में भी इसका इस्तेमाल होता है। पत्ते के साथ ही इसके डंठल का भी उपयोग किया जाता है और यह पौष्टिक तत्वों से भरपूर होती है। अन्य एग्जॉटिक सब्ज़ियों की तरह ही इसकी मांग भी बड़े होटलों में अधिक है।
विदेशी सब्ज़ियों की खेती के लिए खाद
विदेशी सब्ज़ियों की अच्छी फसल के लिए खरपतवार, सब्ज़ियों के पत्ते व डंठल (अवशेष) आदि से तैयार खाद, वर्मीकम्पोस्ट, गोबर की खाद आदि का इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे रासायनिक खाद की ज़रूरत कम पड़ती है जिससे लागत कम हो जाती है। अधिक मुनाफा कमाना चाहते हैं तो विदेशी सब्ज़ियों की खेती मौसम के अनुसार ही करें। आप चाहें तो अपने किचन गार्डन में भी इन सब्ज़ियों को उगा सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए अपने इलाके के कृषि केंद्र या किसी कृषि विशेषज्ञ से सलाह ले सकते हैं।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।