Azolla Cultivation: अजोला की खेती से जैविक खाद से लेकर पशुओं के चारे की समस्या होगी हल

मोहम्मद अयूब अली की अजोला की खेती (Azolla Cultivation) ने उन्हें मुनाफ़ा दिलाया और अन्य किसानों को प्रेरित किया। यह जैविक खाद और पशु चारे का बेहतरीन विकल्प है।

Azolla Cultivation अजोला की खेती

गाय के गोबर की उपलब्धता दिन प्रतिदिन कम होती जा रही है। ऐसे में जैविक खेती को बढ़ावा देने की पहल को झटका लग सकता है, क्योंकि जैविक खेती के लिए गोबर की खाद बहुत ज़रूरी है, मगर खेती की बढ़ती ज़रूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त गोबर की खाद उपलब्ध नहीं है और आने वाले समय में इसमें और कमी आने की संभावना है। ऐसे में अजोला गोबर की खाद का बेहतरीन विकल्प हो सकती है।

पानी में उगने वाल यह छोटा-छोटा पौधा जिसे वैज्ञानिक भाषा में फर्न कहा जाता है बेहतरीन जैविक खाद और इसे पशुओं के चारे के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। त्रिपुरा के जुबराजनगर के रहने वाले मोहम्मद अयूब अली ने अजोला की खेती (Azolla Cultivation) से न सिर्फ अच्छा मुनाफ़ा कमाया, बल्कि उनकी सफलता से दूसरे किसान भी प्रभावित हुए।

क्यों फ़ायदेमंद है अजोला? (Why is Azolla beneficial?) 

अजोला को जैविक खाद और हरी खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका इस्तेमाल चावल की खेती के साथ ही दूसरी फ़सलों के लिए भी किया जा सकता है। अजोला चावल की फ़सल में 40-60 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर स्थिर करता है। इसका उपयोग सुअर, बत्तख और मछली के चारे के रूप में भी किया जाता है। अजोला में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है। 

कृषि विज्ञान केंद्र की सलाह पर शुरू की अजोला की खेती (Azolla cultivation started on the advice of Krishi Vigyan Kendra)

है। त्रिपुरा के जुबराजनगर इलाके के रहने वाले मोहम्मद अयूब अली ने कृषि विज्ञान केंद्र, उत्तरी त्रिपुरा, पानीसागर की सलाह पर अजोला की खेती (Azolla Cultivation) शुरू की। उन्होंने 2015-16 में कृषि विज्ञान केंद्र के निर्देशानुसार घर से ही अजोला की खेती (Azolla Cultivation) की शुरुआत की और इसके लिए पहले 8 गड्ढ़े खोदें। उन्होंने सभी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए ही गड्ढ़ों की खुदाई की।

कृषि विज्ञान केंद्र 2015 खरीफ सीज़न में मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार, विभिन्न फ़सलों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए कम लागत वाली अजोला की खेती (Azolla Cultivation) की संरचना का प्रदर्शन किया। उन्होंने इसका प्रदर्शन मोहम्मद अयूब अली के खेत पर ही किया। इस तकनीक में गड्ढ़ा खोदकर एक छोटे पानी के टैंक का निर्माण किया गया और उसे प्लास्टिक से ढंका गया। प्रगतिशील किसान अयूब खान ने हरी खाद की खेती के लिए इस तकनीक को अपनाया। 

घर पर इस तरह करें अजोला की खेती (Azolla Cultivation at home in this way) 

  • 2 मीटर लंबा, 1 मीटर चौड़ा और 20 सेमी गहरा गड्ढ़ा तैयार करें।
  • उसके ऊपर पॉलीथीन शीट (2.6mx6m) फैलाएं।
  • एसएसपी (10 ग्राम), एमओपी (10 ग्राम), गाय का सूखा गोबर (100 ग्राम) और अजोला (300 ग्राम) को मिलाएं।
  • गड्ढ़े के चारों तरफ से मिट्टी का प्लास्टर जैसा चढ़ा दें 10 सेंमी तक पानी डालें।
  • 15 दिन बाद जब फ़सल तैयार हो जाए तो कटाई करें और इस प्रक्रिया को फिर से दोहराएं।

खेत में ऐसे करें अजोला की खेती (How to cultivate Azolla in the field) 

  • बड़े पैमाने पर खेत में इसे उगाने के लिए पहले मैदान को समान रूप से तैयार और समतल करें।
  • सही तरीके से मेड़ बनाएं और सिंचाई की व्यवस्था सुनिश्चित करें व खेत को 20×5 मीटर में बांट लें। खेत में 10 सेमी पानी का लेवल बनाए रखें
  • प्रति प्लॉट 10 किलो गोबर + 8 किलो अजोला + 100 ग्राम SSP मिलाएं।
  • 15 दिनों के बाद फ़सल कटाई के लिए तैयार है

अजोला की खेती से पूरी हुई खाद की ज़रूरत (The need of fertilizer was fulfilled by the Azolla Cultivation)

अजोला की खेती (Azolla Cultivation) से पहले मोहम्मद अयूब खान की जैविक खाद की ज़रूरत मुश्किल से पूरी हो पाती थी, लेकिन अब न सिर्फ उन्हें पर्याप्त खाद मिल रहा है, बल्कि अपने गाय, बत्तख और मछली के लिए चारा भी मिल रहा है। उनकी सफलता ने ग्रामीण युवाओं को भी अजोला की खेती (Azolla Cultivation) के लिए प्रेरित किया है। इससे तीन फ़ायदे हैं मिट्टी की सेहत में सुधार, किफायती जैविक खाद और पशुओं, बत्तख और मछली के लिए सस्ता चारा। 

कितना हुआ मुनाफ़ा (How much profit did you make)

धान के खेत में खाद के रूप में अजोला के इस्तेमाल से पहले उन्हें 33,451 रुपए का शुद्ध लाभ होता था, लेकिन अजोला के इस्तेमाल के बाद यह बढ़कर 52,113 रुपए हो गया जबकि खेती की लागत में कमी आई। अयूब खान धीरे-धीरे अजोला का उत्पादन बढ़ा रहे हैं। फिलहाल वह अपने 2 एकड़ के धान के खेत में अजोला का इस्तेमाल कर रहे हैं और इसे दूसरे किसानों को भी वितरित कर रहे हैं।

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