Kiwi Farming: कश्मीर में कीवी की खेती से मिली सफलता की नई राह

1987 में कश्मीर में कीवी की खेती (Kiwi Farming) की शुरुआत हुई। आज, उत्तरी कश्मीर के किसान इसकी सफलता से प्रति वर्ष 300 पेटी तक उत्पादन प्राप्त कर रहे हैं।

Kiwi Farming कीवी की खेती

1987 में प्रयोग के तौर पर एक व्यक्ति ने कश्मीर के कई इलाकों में कीवी के पौधे लगाए। राज्य सरकार के बागवानी विभाग ने नर्सरी की स्थापना की। पाटन, बारामूला और उरी की नर्सरी में कीवी के पौधे लगाए जा रहे हैं। उत्तरी कश्मीर के कई इलाकों में किसानों ने कीवी की खेती (Kiwi Farming) शुरू की है। अगर हम एक किसान के एक छोटे से खेत से कीवी के उत्पादन की बात करें तो यह प्रति वर्ष कीवी के 300 पेटी तक बढ़ता है। अगर किसी नर्सरी में 100 कीवी के पौधे हों तो कीवी के ढाई सौ से अधिक डिब्बे तैयार किए जाते हैं।

बशीर अहमद के अनुभव से मिली सीख (Lessons learned from Bashir Ahmed’s experience)

तीन साल पहले हिमाचल परदेश से कीवी के पौधे लाने वाले किसान बशीर अहमद ने कहा, “हम थोड़े से निवेश के साथ अच्छी मात्रा में फल पैदा कर रहे हैं।” 

हालांकि, बशीर ने पैकेजिंग के लिए आवश्यक सामग्री की कमी के कारण फलों के निर्यात में आने वाली कठिनाई के बारे में भी बताया। 

उन्होंने कहा कि इस फल को सुखाने के बाद इसकी क़ीमत 1,800 रुपये प्रति किलो है, जो वास्तव में उनकी मेहनत का प्रतिफल है। वॉर ने कहा कि लोगों को कीवी की खेती (Kiwi Farming) के बारे में पूरी जानकारी नहीं है, लेकिन एक बार जब वे जान जाते हैं, “मुझे यकीन है कि लोग इस काम में लग जाएंगे, क्योंकि यहां अच्छा मुनाफ़ा है और कम मेहनत की जरूरत है।” उन्होंने कहा कि ये बागवानी क्षेत्र में सबसे अच्छा विकल्प साबित हो सकता है।

“पहले मैं कीवी के बारे में कुछ नहीं जानता था और मुझे लगा कि ये न्यूजीलैंड में उगाया जाता है और उन्होंने इस फल का नाम अपने राष्ट्रीय पक्षी “कीवी” के नाम पर रखा है। जैसे-जैसे मेरी रुचि बढ़ी, मैंने इंटरनेट पर खोज की और कीवी खेती के बारे में जानकारी लेनी शुरु की, ”बशीर ने कहा। 

बशीर ने बताया -“दुबई की अपनी यात्रा के दौरान, मैंने देखा कि कीवी बाज़ारों में हर तरफ़ बिक रहे थे और मैंने सोचा कि मैं उन्हें अपने बगीचे में क्यों नहीं उगा सकता?” कृषि और बागवानी के विशेषज्ञों से परामर्श करने के बाद, उन्होंने कहा कि उन्होंने आखिरकार तय किया कि वो अपने बागान में कीवी की खेती (Kiwi Farming) करेंगे। 

कीवी विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है। कोलेस्ट्रॉल और तेज बुखार में फ़ायदेमंद होता है। बाज़ार में फल की अच्छी क़ीमत मिल जाती है। पांच साल की उम्र में पौधा पूरी तरह से विकसित हो जाता है और फल देना शुरू कर देता है। एक पौधा प्रति वर्ष औसतन 20 रुपये की क़ीमत के साथ 1,000 से 1,200 फल दे सकता है। 

कीवी की खेती (Kiwi Farming)

कीवी के फल की व्यावसायिक खेती कई क्षेत्रों में नए व्यवसाय के रूप में उभर रही है। आप इस अवसर का लाभ उठा सकते हैं। कीवी का फल चीन का मूल निवासी है, जिसे चीनी आंवले के नाम से भी जाना जाता है। यह मीठा और तीखा छोटा फल कई पोषक तत्वों से भरा होता है और इसलिए कई स्वास्थ्य लाभ भी देता है। भारत में कीवी मुख्य रूप से जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और केरल में उगाई जाती है।

जैविक कीवी फल (Organic Kiwi Fruit)

कीवी एक जैविक फल है। कोई कीटनाशक या रसायन का उपयोग नहीं किया जाता है। कीवी का पौधा बीमारियों से ग्रस्त भी नहीं होता, इसलिए कश्मीर के किसान कीवी की खेती (Kiwi Farming) को पसंद करने लगे हैं। कीवी का फल भारत के ठंडे, पहाड़ी इलाकों में उगाया जाता है। समुद्र से 900 से 1,800 मीटर की ऊंचाई पर ज़मीन कीवी के लिए सबसे अच्छे हैं। सेब के उत्पादन को गर्म क्षेत्रों में और नींबू-आम, कीवी जैसी किस्मों को ठंड में उगाया जा सकता है। 

पोषक तत्वों से भरपूर कीवी को लोग बड़े चाव से खाते हैं। ये कई तरह के विटामिन से भरपूर होता है। कोरोनावायरस संकट और डेंगू जैसी बीमारियों के समय में कीवी की बिक्री काफी बढ़ जाती है। कीवी के फल को विटामिन सी का एक बड़ा स्रोत माना जाता है। कीवी के फल को हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों में बड़े पैमाने पर उगाया जाता है। 

कीवी का फल काफी कठोर होता है और अलग-अलग तरह के तापमान में उगते हैं, लेकिन सबसे अच्छी गुणवत्ता वाली कीवी का उत्पादन करने के लिए उन्हें चाहिए:

  1. उपजाऊ, अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी
  2. हवा से बचाव 
  3. पूरे वर्ष पर्याप्त आर्द्रता 
  4. शरद ऋतु और वसंत की ठंढ से बचाव  

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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