जानिए सब्जियों की खेती में दिल्ली से हिमाचल गया युवा कैसे बना मिसाल, अच्छी नौकरी छोड़ी अपनाई खेती

सब्ज़ियों की खेती अगर सही तरीके से और वैज्ञानिकों की सलाह से की जाए तो इससे अच्छा मुनाफ़ा कमाया जा सकता है। हिमाचल प्रदेश के किसान रमेश कुमार इसकी बेहतरीन मिसाल हैं, जिन्होंने नौकरी छोड़ खेती को पेशा बनाया।

सब्जियों की खेती vegetable farming

वक़्त के साथ खेती करने का तरीका बदला है। उन्नत तकनीकों के इस्तेमाल से खेती उन्नत हुई है। यही वजह है कि कई युवा बेहतरीन वेतन वाली नौकरी छोड़कर गांव का रुख कर रहे हैं। खेती में किस्मत आज़मा रहे हैं। ऐसे ही एक युवा किसान हैं हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर ज़िले के रहने वाले प्रगतिशील किसान रमेश कुमार। रमेश कुमार ने दिल्ली की अच्छे वेतन वाली नौकरी छोड़ अपने घर हिमाचल प्रदेश लौटने का फैसला किया। किसान के रूप में नए पेशे की शुरुआत की। आज की तारीख में कड़ी मेहनत और नई तकनीक को तत्परता से अपनाने की उनकी क्षमता ने उन्हें एक सफल किसान बनाया है।

जानिए सब्जियों की खेती में दिल्ली से हिमाचल गया युवा कैसे बना मिसाल, अच्छी नौकरी छोड़ी अपनाई खेती
तस्वीर साभार: agrifarming

पॉलीहाउस और खुले खेत में करते हैं खेती

रमेश कुमार खुले खेत में कई तरह की सब्ज़ियां उगाते हैं, जिसमें भिंडी, करेला, कद्दू, लौकी, मटर, खीरा, गोभी, हरी पत्तेदार सब्ज़ियां, धनिया पत्ती, बीन्स शामिल हैं। खुले में वो करीब 25 कनाल क्षेत्र में खेती करते हैं। 500 स्क्वायर मीटर के दो ग्रीन हाउस में टमाटर की खेती करते हैं। पहले वो रंगीन शिमला मिर्च उगाते थे, लेकिन मार्केटिंग की समस्या के कारण उन्होंने इसे बंद करके शिमला मिर्च उगाना शुरू कर दिया। ज़िले में टमाटर की मांग ज़्यादा है और इससे मुनाफ़ा भी अच्छा मिलता है।

वैज्ञानिकों से मिली मदद

रमेश कुमार के खेत का निरीक्षण करने वैज्ञानिक आते हैं। उन्हें ज़रूरी सलाह देते हैं। वैसे तो वो पहले से ही वैज्ञानिक तरीकों का इस्तेमाल करके फसल से अच्छी कमाई करने में सफल रहे हैं। उन्हें फसल की गुणवत्ता के कारण बाज़ार में अच्छी कीमत मिल जाती है।

रमेश कुमार
हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर ज़िले के प्रगतिशील किसान रमेश कुमार सिंह (तस्वीर साभार: manage)

अब विक्रेता खुद आते हैं सब्जी खरीदने

रमेश कुमार कभी छोटे पैमाने पर सब्ज़ियां उगाया करते थें और उसे बाज़ार में जाकर बेचते थे। जबसे उन्होंने बड़े पैमाने पर सब्ज़ियां उगानी शुरू की, तबसे स्थानीय सब्ज़ी विक्रेता खुद उनके पास खरीदारी के लिए आते हैं। उन्हें पता है कि रमेश कुमार की सब्जियों की गुणवत्ता बहुत अच्छी रहती है। रमेशा बहुत मेहनती है और नई तकनीक को वो बहुत जल्दी अपना लेते हैं। यही वजह है कि वह खेती से जल्दी मुनाफ़ा कमाने में कामयाब रहे। उन्होंने परिवार के 4 सदस्यों के साथ 2 अन्य लोगों को भी रोज़गार दिया है।

कीटों के प्रकोप को रोकने पर किया काम

वैज्ञानिकों ने उनके खेत के दौरे के दौरान नेमाटोड की समस्या देखी। इससे निपटने के लिए रमेश कुमार को टमाटर को अंतर फसल या कुछ समय के लिए एकल फसल के रूप में उगाने की सलाह दी गई। ताकि नेमाटोड के विकास को देखा जा सके। फसल चक्र से भी नेमाटोड के विकास की कुछ हद तक जांच की जा सकती है। इसके अलावा, सफेद मक्खी की समस्या से निपटने के लिए उन्हें पॉलीहाउस में कुछ पीले चिपचिपे मैट टांग की सलाह दी गई।

रमेश कुमार
रमेश कुमार

रमेश कुमार सालाना करीब लगभग 6 लाख रुपये की मौसमी सब्ज़ियां और एक लाख रुपये के टमाटर की ब्रिक्री कर लेते हैं। रमेश कुमार की सफलता में यकीनन वैज्ञानिकों की भी अहम भूमिका है। इसी तरह अगर किसानों को अपने आसपास के कृषि और बागवानी विभाग के विशेषज्ञों से सही जानकारी और सलाह मिले तो वो खेती से अच्छी कमाई कर सकते हैं।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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