Plant Nursery: राजस्थान की इस नर्सरी ने किसानों की कई समस्याएं एक साथ हल की, अन्य गाँवों के लिए बनी मॉडल पौधशाला
मांग के आधार पर नर्सरी में तैयार करते हैं फल-सब्जी और मसालों के बीज और पौधे
10 किसानों का समूह ये नर्सरी चलाता है। इन किसानों को व्यवसायिक नर्सरी प्रबंधन पर स्किल ट्रेनिंग दी गई। कटिंग, बडिंग और ग्राफ्टिंग तकनीक, कीट और रोग प्रबंधन के बारे में बताया गया।
राजस्थान में 7.7 मिलियन भूमि खेती योग्य है। पिछले 3 दशक में सिंचित क्षेत्र में यहाँ 140 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है। सिंचाई सुविधाओं में वृद्धि से बागवानी और कई फसलों के साथ पेड़ों की खेती की ओर किसानों का रुझान बढ़ा है। इस कारण पौधों की मांग भी बढ़ी है। इसी मांग को पूरा करने के लिए राज्य में मॉडल नर्सरी स्थापित की गई। कई किसानों को रोज़गार मिला और लोगों को अच्छी गुणवत्ता वाले पौधे इस नर्सरी से मिल रहे हैं।
किसानों को जाना पड़ता था दूर
स्थानीय स्तर पर गुणवत्तापूर्ण और बीमारी मुक्त पौधों की कमी के कारण किचन गार्डनिंग करने वाले लोगों और किसानों को अच्छे पौधे खरीदने के लिए दूर जाना पड़ता था। राज्य में वर्तमान में जितनी भी रजिस्टर्ड नर्सारियां हैं, वो मांग का सिर्फ़ एक-तिहाई ही पूरा कर पाती हैं। बाकी के लिए असंगठित क्षेत्रों पर निर्भर रहना पड़ता है। इस समस्या के हल के लिए जोधपुर स्थित आईसीएआर-केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (Central Arid Zone Research Institute, CAZRI) ने भोपालगढ़ तहसील के पालड़ी राणावतन गांव में 0.02 हेक्टेयर क्षेत्र में एक मॉडल नर्सरी विकसित की।
बनाया किसानों का समूह
संस्थान ने 10 किसानों का एक समूह बनाया, जिसमें महिला और पुरुष दोनों शामिल थे। इन किसानों को व्यवसायिक नर्सरी प्रबंधन पर स्किल ट्रेनिंग दी गई। कटिंग, बडिंग और ग्राफ्टिंग तकनीक, कीट और रोग प्रबंधन के बारे में बताया गया। समूह को मार्केटिंग के तरीके भी सिखाए गए। इसके अलावा, उन्हें नर्सरी के लिए ज़रूरी चीज़ें जैसे फेंसिंग, शेड हाउस, मदर प्लांट, सिंचाई की सुविधा और दूसरे इनपुट जैसे नर्सरी उपकरण, बीज, नर्सरी मीडिया, खाद, पॉली बैग, प्रोट्रे जैसे कृषि उपकरण भी उपलब्ध कराए गए।
आमदनी में हुआ इज़ाफा
समूह के सदस्यों ने मांग के आधार पर नर्सरी में फलों, सब्ज़ियों और मसालों के बीज और पौधे तैयार करने शुरू कर दिए। इससे सिर्फ़ दो साल के अंदर ही समूह के सदस्यों की आमदनी दो गुना बढ़ गई। उन्होंने मॉडल नर्सरी में लगभग 77,055 पौधे तैयार किए। इसे बेचकर लगभग 6 लाख 83 हज़ार रुपये की आमदनी हुई। समूह की एक महिला सदस्य बाबु देवी इस प्रोजेक्ट के शुरू होने से पहले सालाना 20 हज़ार रुपये कमाती थी। अब उन्हें सालाना 40 हज़ार रुपये की आमदनी हो रही है। ये उनकी 120 दिनों की आमदनी है। आज की तारीख में ग्रुप का हर सदस्य 100-150 दिन काम करके 30,000 से 40,000 रुपये की कमाई कर रहा है।
रोजगार बढ़ाने में मददगार
नर्सरी शुरू होने से स्थानीय स्तर पर रोज़गार के अवसर बढ़े हैं। नर्सरी की सफलता से उत्साहित समूह के सदस्य इसे और बढ़ाने की योजना बना रहे हैं। सदस्यों को बिक्री के लिए सोशल मीडिया और दूसरे अन्य प्लेटफॉर्म के उपयोग के बारे में भी सिखाया गया है। इससे उन्हें न सिर्फ़ आसपास के गांव, बल्कि दूसरे ज़िलों से भी अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है।
नर्सरी बनी मॉडल
ICAR की पहल से पालड़ी राणावतन गांव में शुरू की गई नर्सरी अब आसपास के गावों के लिए मॉडल बन चुकी है। ग्रामीण इलाकों में इस तरह की नर्सरी स्थापित करने से न सिर्फ़ बेरोज़गारी की समस्या हल होगी, बल्कि मज़दूरों का पलायन रोकने जैसी बड़ी समस्या हल हो सकती है।
नर्सरी स्थापित करने से मिट्टी के कटाव रोकने और भूमि को उर्वरक बनाने में भी मदद मिलती है। लगभग 72,917 अच्छी गुणवत्ता वाले पौधों की बिक्री ने राजस्थान में उन्नत कृषि वानिकी प्रणाली (Agro-Forestry System) के तहत भूमि के क्षेत्र को 365 हेक्टेयर तक बढ़ा दिया गया है। कृषि वानिकी प्रणाली के तहत फसलों के साथ कई पेड़-पौधे लगाए जाते हैं।
राजस्थान जैसे मरुस्थलीय इलाके में जहां पानी की कमी के कारण खेती हमेशा से चुनौतीपूर्ण रही है, वहां सिंचाई की सुविधाएन विकसित करके और गुणवत्तापूर्ण पौधों की उपलब्धता सुनिशिचित करके खेती की समस्या को हल किया जा सकता है।
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