कर्नाटक की श्रुति नर्सरी बिज़नेस से सालाना कमा रहीं 50 लाख रुपये का मुनाफ़ा, किराए पर ज़मीन लेकर शुरू की थी नर्सरी
भारतीय बागवानी विभाग से 2016 में मिली 5 स्टार रेटिंग
वाराश्री फ़ार्म एंड नर्सरी में करीबन 50 लोग काम करते हैं। नर्सरी बिज़नेस में श्रुति की सफलता के लिए उन्हें महिंद्रा एग्रीकल्चर अवॉर्ड 2016’, ‘उद्यान रत्न अवार्ड 2015’ जैसे कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।
दिल में अगर कुछ करने की चाह हो और पूरी मेहनत से यदि कोई उसे पूरा करने की कोशिश करे तो कामयाबी ज़रूर मिलती है। कर्नाटक के एक कपल ने इस बात को सच कर दिखाया है। श्रुति और उनके पति कृष्णा ने कभी किराये पर छोटी सी जगह लेकर नर्सरी बिज़नेस की शुरुआत की थी। आज उनके पास 20 एकड़ से भी ज़्यादा ज़मीन है और वह एक सफल उद्यमी बन चुके हैं।
2011 में की नर्सरी बिज़नेस की शुरुआत
कर्नाटक के शिवमोगा शहर के रहने वाले श्रुति और कृष्णा बेंगलुरू में जॉइंट फैमिली में रहते थे, लेकिन पारिवारिक विवाद के कारण उन्हें बेंगलुरू छोड़कर शिवमोगा आना पड़ा। यहां उनकी ज़िंदगी की नई शुरुआत हुई। 2011 में उन्होंने 60*30 स्क्वायर यार्ड ज़मीन लेकर नर्सरी की शुरुआत की। उन्होंने फिश नेट और शेड नेट भी किराये पर लिया।

रंग लाई मेहनत
श्रुति की कड़ी मेहनत रंग लाई और 2012 में ही उनकी नर्सरी को बागवानी विभाग द्वारा पंजीकृत कर दिया गया। कृषि विज्ञान केंद्र शिवमोगा के सहयोग से धीरे-धीरे उन्होंने अपनी नर्सरी का विस्तार 4 एकड़ तक कर लिया। इस तरह उनका नर्सरी बिज़नेस सफलता के शिखर छूता चला गया।
पौधों की विभिन्न वैरायटी
वाराश्री फ़ार्म एंड नर्सरी में ड्यूरियन, मैंगोस्टीन, ड्रैगन फ्रूट, पैशन फ्रूट, कैपेल और एग फ्रूट जैसे विदेशी फलों के अलावा आम, चीकू, कटहल, अमरूद, अन्नानास, अनार, संतरा, केला सहित कई के पौधे हैं। साथ ही श्रुति थाइलैंड, चीन, मलेशिया और बांग्लादेश से आयात किए गए सजावटी पौधें भी बेचती हैं। आज की तारीख में श्रुति नर्सरी बिज़नेस की बारीकियों को अच्छे से जानती हैं।

20 एकड़ में शुरू की खेती
उन्होंने 20 एकड़ ज़मीन खरीदकर 3 मंजिला खेती की शुरुआत की। सुपारी, कोको और कालीमिर्च की फसल उगाने लगीं। धीरे-धीरे व्यापार बढ़ता गया और फिर वह पॉलीहाउस में खेती करने लगीं। अभी उनके पास 4 पॉलीहाउस है, जिनमें करीबन 1,30,000 पौधे तैयार करने की क्षमता है।
नर्सरी को मिली 5 स्टार रेटिंग
मेडिसिन और एरोमेटिक डिपार्टमेंट से उनकी नर्सरी को सर्टिफिकेट मिल चुका है। भारतीय बागवानी विभाग ने 2015 में उनकी नर्सरी को 3 स्टार रेटिंग दी थी। 2016 में उन्हें 5 स्टार रेटिंग मिल गई। सरकार से लेकर बिल्डर, स्कूल, व्यवसायिक सेवा, लोकल काउंसिल और आम लोग भी उनसे पौधे खरीदते हैं। उनके बैंबू प्लांट, घास, श्रब, फलों के पौधे, सजावटी पौधे की बहुत मांग है। अपने नर्सरी बिज़नेस को बढ़ाने के लिए श्रुति नई-नई तकनीक अपनाते रहती हैं। इन्होंने अब मधुमक्खी पालन और मछलीपालन भी शुरू कर दिया है। इनके शहद, होममेड वाइन और चॉकलेट हाथों हाथ बिक जाते हैं।

नर्सरी बिज़नेस में कितना होता है मुनाफ़ा?
वाराश्री फ़ार्म एंड नर्सरी में करीबन 50 लोग काम करते हैं। इनका औसतन सालाना निवेश करीब 30 लाख रुपये है। इसके अलावा, रखरखाव का खर्च 20 लाख रुपये पड़ता है। सालाना आमदनी 1 करोड़ रुपये के आसपास रहती है। यानी इन्हें 50 लाख रुपये का सीधा मुनाफ़ा होता है।
मिल चुके है कई अवॉर्डस
वाराश्री फ़ार्म एंड नर्सरी की सफलता और बेहतरीन काम के लिए श्रुति को महिंद्रा एग्रीकल्चर अवॉर्ड 2016’, ‘उद्यान रत्न अवार्ड 2015’ जैसे कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। 2016 में कृषि और बागवानी विज्ञान विश्वविद्यालय शिमोगा में आयोजित कृषि मेले में उनके स्टॉल को बेस्ट स्टॉल का अवॉर्ड मिल चुका है।
श्रुति तुंगा नदी के किनारे बने खूबसूरत घर में अपने परिवार के साथ रहती हैं। वह अपने काम से बहुत खुश हैं और उनका मानना है कि आप धरती पर भरोसा रखिए तो वह आपको बहुत कुछ देगी।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या kisanofindia.mail@gmail.com पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

ये भी पढ़ें:
- जैविक तरीके से मोटे अनाज सांवा की खेती असिंचित इलाकों के लिए कैसे है फ़ायदेमंद?सांवा भी मोटे अनाजों में से एक है जो कभी गरीबों का मुख्य भोजन हुआ करता था, लेकिन अब आम लोगों की थाली से दूर हो चुका है। सरकार बाकी अनाजों की तरह ही सांवा की खेती को भी बढ़ावा दे रही है, क्योंकि ये पौष्टिक तत्वों से भरपूर होता है और बिना सिंचाई वाले इलाकों में भी इसे आसानी से उगाया जा सकता है।
- Certified Seed Production: प्रमाणित बीज उत्पादन से गुणवत्ता भी अच्छी और उत्पादन भी बेहतरआपने वो कहावत तो सुनी ही होगी ‘जैसा बोओगे, वैसा ही काटोगे।’ खेती के संदर्भ में ये बाद बिल्कुल सटीक बैठती है। क्योंकि आप जैसा बीज बोएंगे वैसी ही फसल प्राप्त होगी, इसलिए अच्छी गुणवत्ता वाले बीज का होना बहुत ज़रूरी है। बीज उत्पादन बेहतर होगा तो फसल अच्छी होगी।
- ग्वार गम के निर्यात से कैसे किसानों को हो सकता है लाभ, जानिए ग्वार की खेती की तकनीकबाज़ार में बाकी सब्ज़ियों के साथ ही आपने ग्वार फली भी देखी होगी। इसका स्वाद हल्का सा कसैला या कड़वा होता है, जिसकी वजह से बहुत से लोगों को इसका स्वाद पसंद नहीं आता। दलहनी फसल ग्वार की खेती, चारा, सब्ज़ी के साथ ही ग्वार गम बनाने के लिए भी की जाती है।
- खेसारी की फसल को क्यों कहा जाता है किसानों की ‘बीमा फसल?’ जानिए ख़ासियतखेसारी दलहनी फसल है। उतेरा विधि द्वारा खेसारी की खेती किसानों के लिए फ़ायदेमंद साबित हो सकती है और इससे खेत में नाइट्रोजन स्थिरिकरण में भी मदद मिलेगी।
- किसान से बातें करती हैं फसलें… क्या आपने सुना है?फसल न सिर्फ़ बातें करती हैं बल्कि वो आपकी बातों का जवाब भी देती हैं। वो बात अलग है कि हमें उनकी आवाज़ सुनाई नहीं देती। इसके पीछे वैज्ञानिक कारण है। दरअसल, पौधों की आवाज़ हमारी सुनने की शक्ति से कहीं ज़्यादा तेज़ होती है। इसलिए हम उनकी आवाज़ सुन नहीं पाते हैं, लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि हम पौधों की बातों को नज़रअंदाज़ कर दें।
- पॉलीहाउस फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं जड़-गांठ सूत्रकृमि, जानिए बचाव के तरीकेसूत्रकृमि कई तरह के होते हैं और ये बहुत सी फसलों को रोगग्रस्त करके नुकसान पहुंचाते हैं। पॉलीहाउस की फसलें भी इससे अछूती नहीं है। सूत्रकृमि के साथ समस्या ये है कि किसान जल्दी इसकी पहचान नहीं कर पाते जिससे जड़-गांठ सूत्रकृमि की रोकथाम मुश्किल हो जाती है।
- मूंगफली की फसल के अच्छे उत्पादन के लिए ज़रूरी है समेकित कीट प्रबंधनभारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मूंगफली उत्पादक देश है, लेकिन हर साल कीटों की वजह से फसलों को भारी नुकसान पहुंचता है और किसानों का मुनाफ़ा कम हो जाता है। ऐसे में समेकित कीट प्रबंधन से फसलों के नुकसान को रोका जा सकता है।
- Sheep Rearing: भेड़ पालन से अच्छी आमदनी के लिए भेड़ों को दें पौष्टिक आहारशुष्क, पहाड़ी और रेगिस्तानी इलाकों में जहां लोगों के पास खेती योग्य ज़मीन नहीं है या बहुत कम है, वो भेड़ पालन से अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन भेड़ पालन से मुनाफ़ा कमाने के लिए भेड़ों के आहार पर विशेष ध्यान देने की ज़रूरत है।
- ट्री सर्जरी से पेड़ों को मिल रहा जीवनदान, जानिए कैसे की जाती है शल्य चिकित्सा यानि सर्जरी?सर्जरी के बारे में तो आप सभी ने सुना ही होगा, लेकिन क्या कभी ट्री सर्जरी यानी पेड़ों की सर्जरी के बारे में सुना है? जी हां, इंसानों की तरह ही पेड़ों की भी सर्जरी करके उसे जीवनदान दिया जा सकता है।
- Canola Oil: कनोला सरसों की किस्म की खेती में क्या है ख़ास? जानिए इसकी पोषक गुणवत्तासरसों या राई की कई किस्में होती हैं, इसी में से एक किस्म है कनोला सरसों जो सेहत के लिहाज़ से बहुत लाभदायक मानी जाती है। इसका तेल अन्य तेलों के मुकाबले कहीं ज़्यादा हेल्दी होता है।
- क्यों बाकला की खेती है किसानों के लिए अच्छा विकल्प? जानिए इसके बारे में सब कुछबाकला प्रमुख दलहनी सब्ज़ी है। बाकला की खेती आमतौर पर रबी के मौसम में की जाती है। ये पौष्टिक तत्वों से भरपूर होती है, इसलिए इसकी खेती किसानों के लिए आमदनी बढ़ाने का अच्छा विकल्प हो सकती है।
- क्या हैं लघु धान्य फसलें? कैसे ग्लोबल वार्मिंग के खेती पर पड़ते असर को कम कर सकती हैं ये फसलें?लघु धान्य फसले मोटे अनाज को कहते हैं जिसमें ज्वारा, बाजरा, रागी, कोदो, कुटकी जैसी फसलें आती हैं। ये अनाज न सिर्फ़ पौष्टिक होते हैं, बल्कि मिट्टी और पर्यावरण के लिए भी बहुत उपयोगी है।
- लखनवी सौंफ की खेती से जुड़ी अहम बातें, स्वाद और सेहत का खज़ाना है ये सौंफलखनवी कबाब और चिकनकारी के बारे में तो सुना ही होगा, जो बहुत लोकप्रिय है, लेकिन क्या आपको पता है कि इन सबकी तरह ही लखनवी सौंफ भी बहुत मशहूर है अपने स्वाद और सुगंध के लिए।
- Brown Rice: कैसे सेहत का खज़ाना है भूरा चावल? क्यों भूरे चावल के उत्पादन पर दिया जा रहा है ज़ोर?भूरा चावल जिसे ब्राउन राइस भी कहा जाता है कि खेती भारत, थाइलैंड और बांग्लादेश जैसे एशियाई देशों में की जाती है। पिछले कुछ सालों में सेहत के प्रति सचेत लोगों के बीच इसकी मांग बहुत बढ़ी है, क्योंकि इसे सफेद चावल की बजाय हेल्दी माना जाता है।
- Papaya Products: पपीते से जैम और चेरी बनाकर किसान कर सकते हैं अच्छी कमाईभारत में ढेर सारी बागवानी फसलों की खेती की जाती है, इसमें से एक महत्वपूर्ण फसल है पपीता। पपीते की खेती से किसानों को अधिक आमदनी हो इसके लिए विशेषज्ञ पीपते के मूल्य संवर्धन उत्पादन बनाने की सलाह देते हैं।
- संतुलित आहार से बढ़ेगी दूध की गुणवत्ता, इसके लिए ICAR ने विकसित किया फ़ीड पूरकडेयरी उद्योग में दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए पशुओं की सेहत का ख्याल रखने के साथ ही उनके आहार का विशेष ध्यान रखना ज़रूरी है, क्योंकि ये न सिर्फ़ दूध की मात्रा, बल्कि दूध की गुणवत्ता भी निर्धारित करता है।
- Carp Fish: पूरक आहार से बढ़ेगा कार्प मछलियों का उत्पादन, जानिए इसे खिलाने का सही तरीकाकार्प मछलियां दूसरी मछलियों की तुलना में तेज़ी से बढ़ती हैं। ऐसे में अगर उन्हें पूरक आहार यानी सप्लीमेंट्री फ़ूड दिया जाए तो और तेज़ी से वृद्धि कर सकती हैं और जिससे किसानों की लागत कम और मुनाफ़ा अधिक होगा।
- कैसे करें औषधीय गुणों से भरपूर कासनी की खेती? क्यों कहा जाता है इसे प्रकृति का वरदान?हमारे देश में औषधीय गुणों से भरपूर वनस्पतियों की भरमार है, इन्हीं में से एक वनस्पति है कासनी, जो हरे चारे के साथ ही औषधि बनाने में भी इस्तेमाल की जाती है। किसानों के लिए कासनी की खेती फ़ायदेमंद साबित हो सकती है।
- Millets Products: कैसे बेटी की बीमारी ने मिलेट्स प्रॉडक्ट्स बनाने में दिखाई राह? GEGGLE की कहानी एक मां की ज़ुबानीइन दिनों हर कोई मिलेट्स प्रॉडक्ट्स को बढ़ावा देने में जुटा हुआ है। मिलेट्स प्रॉडक्ट्स को लोग हाथों हाथ ले रहे हैं। मिलेट्स प्रोडक्ट बनाने वाली एक ऐसी ही कंपनी है GEGGLE.
- Millets Products: कैसे मिलेट्स प्रॉडक्ट्स की ट्रेनिंग दे रहा कृषि विज्ञान केन्द्र? डॉ. रश्मि लिंबू से बातचीतमिलेट्स यानी तरह-तरह के मोटे अनाजों की पौष्टिकता के बारे में कृषि विज्ञान केन्द्र लोगों में जागरुकता फैला रहे हैं। साथ ही मिलेट्स प्रॉडक्ट्स से जुड़ी Millets Products Processing की ट्रेनिंग भी दे रहे हैं। इसके बारे में हमने जाना डॉक्टर रश्मि लिंबू से।