साल में तीन फसलें दे सकती है शिमला मिर्च, होती है बढ़िया कमाई

शिमला मिर्च की उपज की मात्रा इसकी किस्म और देखभाल पर निर्भर करती है। इसीलिए इसके उत्पादन का दायरा प्रति हेक्टेयर 150 से 500 क्विंटल तक हो सकता है। लागत निकालकर शिमला मिर्च के किसान एक फसल से प्रति हेक्टेयर 5 से 7 लाख रुपये तक कमा लेते हैं। इसीलिए बढ़िया कमाई की खेती है शिमला मिर्च। हालाँकि, देश में इसकी खेती ज़्यादा नहीं होती।

साल में तीन फसलें दे सकती है शिमला मिर्च, होती है बढ़िया कमाई

शिमला मिर्च (Capsicum) ऐसी जानी-पहचानी सब्ज़ी है जिसकी खेती करने में ज़्यादा मेहनत और लागत नहीं लगती। यदि पूरे साल शिमला मिर्च की खेती करें तो इसकी तीन फसलें मिल सकती हैं। इसीलिए शिमला मिर्च की खेती करने वाले किसानों की बढ़िया कमाई होती है। उपज की मात्रा शिमला मिर्च की किस्म और देखभाल पर निर्भर करती है। इसीलिए उत्पादन का दायरा प्रति हेक्टेयर 150 से 500 क्विंटल तक हो सकती है। लागत निकालकर शिमला मिर्च के किसान एक फसल से 5 से 7 लाख रुपये तक कमा लेते हैं। इसीलिए बढ़िया कमाई की खेती है शिमला मिर्च। इसके बावजूद शिमला मिर्च की खेती देश में ज़्यादा नहीं होती।

Rang Birenge Shimla Mirch - Kisan of India
रंग-बिरंगे शिमला मिर्च

रंग-बिरंगे शिमला मिर्च

शिमला मिर्च शायद इकलौती ऐसी सब्ज़ी है जो सबसे ज़्यादा आकर्षक रंगों में पायी और उगायी जाती है। इसका चमकीला और गहरा हरा रंग भले ही सबसे लोकप्रिय हो, लेकिन लाल, गुलाबी, पीली, नारंगी, बैंगनी, भूरा, लैवेंडर और सफ़ेद रंग की Capsicum भी दुनिया भर में ऐसी जलवायु में उगाये जाते हैं, जो ज़्यादा गर्म नहीं हो। सर्दियों में पाला पड़ने से शिमला मिर्च की पैदावार प्रभावित होती है।

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शिमला मिर्च के पोषक तत्व

शिमला मिर्च में विटामिन ए, बी1, बी2, बी3, बी5, बी6, सी, ई और के अलावा कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, मैंगनीज़, फास्फोरस, पोटेशियम, सोडियम और ज़िंक जैसे खनिज लवण पाये जाते हैं। इसमें से विटामिन सी, बीटा कैरोटीन और फोलेट ज़्यादा मात्रा में मिलता है। शिमला मिर्च के सेवन को वजन घटाने में उपयोगी माना जाता है। शिमला मिर्च का औषधीय इस्तेमाल भी होता है।

Shimla Mirch Ki Kheti Kaise Karein? - Kisan of India
कैसे करें शिमला मिर्च की खेती?

कैसे करें शिमला मिर्च की खेती?

शिमला मिर्च की खेती किसी भी तरह की मिट्टी में हो सकती है। यदि मिट्टी कम उपजाऊ है तो अच्छी उपज पाने के लिए उपयुक्त मात्रा में खाद की ज़रूरत पड़ती है। खाद को मिट्टी की जाँच और कृषि विशेषज्ञ की राय के मुताबिक ही इस्तेमाल करना चाहिए। शिमला मिर्च को ज़्यादा सर्दी और गर्मी दोनों ही नापसन्द है। यानी, जहाँ तापमान 10 से 40 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता हो, वहाँ पैदावार ज़्यादा होती है।

उन्नत किस्में — कैलिफोर्निया वन्डर, येलो वन्डर, सोलन हाइब्रिड -1 और 2, सोलन भरपूर और पूसा दीप्ति इसकी प्रमुख व्यावसायिक किस्में हैं। इसकी फसल के तैयार होने में 60 से 75 दिन लगते हैं। इससे 125 से लेकर 375 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की उपज मिल सकती है। शिमला मिर्च की तोड़ाई कई बार की जाती है, इसीलिए सिर्फ़ पूरी तरह से विकसित और पके हुए फलों को ही तोड़ें।

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रोपाई — नर्सरी या खेतों में बीजों से पौधे तैयार करके ही शिमला मिर्च की रोपाई की जाती है। नर्सरी में साधारण किस्म के लिए प्रति हेक्टेयर 750 से 900 ग्राम बीज की ज़रूरत पड़ती है, जबकि संकर किस्म के पौधे बनाने के लिए 250 ग्राम बीज ही चाहिए। बीज की बुआई के बाद उन्हें पौधों को रोपाई के लायक तैयार होने में 30 से 40 दिन लगते हैं। रोपाई से पहले खेतों को गहरी जुताई और खाद वग़ैरह डालकर ऐसे तैयार करना चाहिए जिसमें 2-3 फ़ीट की दूरी वाली मेड़नुमा क्यारियाँ बन जाएँ। इन्हीं मेड़ों पर डेढ़-दो फ़ीट की दूरी पर शिमला मिर्च के पौधे रोपने चाहिए।

देखरेख — शिमला मिर्च की ज़रूरत के हिसाब से सामान्य सिंचाई करनी चाहिए। इसकी रोपाई जुलाई, सितम्बर और जनवरी के महीनों में होती है। रोपाई के दो महीने के बाद से लेकर 6 महीने तक फसल मिल सकती है। अच्छी फसल के लिए नियमित निराई-गुड़ाई भी ज़रूरी है। शिमला मिर्च की खेती को कीट, कवक और फफून्द से बचाने की ज़रूरत पड़ती है। इसीलिए ज़रूरी कीटनाशकों का इस्तेमाल कृषि विशेषज्ञों की सलाह लेकर ही किया जाना चाहिए।

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