कैसे किसानों के लिए ‘तकरीबन मुफ़्त’ ही है फसल बीमा योजना?

किसानों के लिए फसल बीमा एक ऐसी लागत है, जिसका 95 प्रतिशत से लेकर 98.5 फ़ीसदी तक बोझ सरकार उठाती है। ये सब्सिडी इतनी ज़्यादा है कि इसे ‘तकरीबन मुफ़्त’ भी कह सकते हैं। किसानों को असली ताक़त बैंक या बीमा कम्पनियों से सम्पर्क साधने और बीमा पालिसी खरीदने पर ही लगानी होती है। बीमा की किस्त तो महज सांकेतिक है। हज़ार रुपये की वास्तविक किस्त के बदले किसान को सिर्फ़ 15 रुपये से लेकर 50 रुपये की ही किस्त भरनी है। बाक़ी 950 से लेकर 985 रुपये तक सरकारें भरेंगी।

किसानों के लिए ‘तकरीबन मुफ़्त’ ही है फसल बीमा योजना - Kisan Of India

फसल बीमा को प्रोत्साहित करने के लिए केन्द्र और राज्यों की सरकारों की ओर से किसानों की जितनी मदद की जाती है, उतनी अन्य किसी भी कल्याणकारी योजना में नहीं होती। मिसाल के तौर पर, केन्द्र या राज्य के कृषि मंत्रालय की ओर से बाक़ायदा ये तय रहता है कि विभिन्न फसलों के लिए किसानों को बीमे की कितनी किस्त यानी प्रीमियम भरनी पड़ेगी और फसल को नुकसान हुआ तो किन नियमों के मुताबिक तथा कितना मुआवज़ा मिलेगा? इसके लिए राज्य सरकारों की ओर से बाक़ायदा बीमा योग्य फसलों और इसकी खेती वाले इलाकों को तय (अधिसूचित) किया जाता है।

फसल बीमा के किस्तों की तीन श्रेणियाँ

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) की सुविधा हरेक तरह के किसान के लिए उपलब्ध है फिर चाहे वो किसी तरह का कर्ज़दार हो या भूस्वामी यानी खेतों का मालिक हो या बटाईदार काश्तकार हो। फसल बीमा का सबसे बड़ा आकर्षण ये है कि जिस ज़मीन की जिस फसल का बीमा किसान करवाते हैं उसकी जितनी वास्तविक किस्त होती है, उसकी 1.5 से लेकर 5 फ़ीसदी रकम ही किसान को चुकानी होती है। बाक़ी की भरपाई केन्द्र और राज्य सरकारें मिलकर करती हैं। फसल बीमा की दरों में तीन श्रेणियों में बाँटा गया है रबी, खरीफ़ और बाग़वानी की फसलें।

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रबी की फसलों के लिए वास्तविक प्रीमियम के मुकाबले किसान को 1.5 फ़ीसदी किस्त भरनी पड़ती है तो खरीफ़ की फसलों के मामलों में यही किस्त 2 प्रतिशत होती है। बाग़वानी वाली फल-सब्ज़ी और अन्य व्यावसायिक फसलों के लिए यही किस्त 5 फ़ीसदी होती है। PMFBY के तहत बीमा दावों के निपटारे या मुआवज़े के भुगतान में देरी होने पर बीमा कम्पनियों और राज्य सरकारों से देय रकम पर 12 फ़ीसदी सालाना की दर से ज़ुर्माना वसूलने और उसे लाभार्थी किसान को दिये जाने का भी प्रावधान है।

कितनी है केन्द्र और राज्य की सब्सिडी?

हरेक राज्य में फसल बीमा की कुल वास्तविक किस्त में से किसान के अंशदान को छोड़कर बाक़ी रकम की आधी-आधी भरपाई केन्द्र और राज्य सरकारें करती हैं। उत्तर पूर्व के राज्यों के मामलों में फसल बीमा के कुल सरकारी बोझ की 90 फ़ीसदी भरपाई केन्द्र सरकार करती है और राज्य सरकार को सिर्फ़ 10 प्रतिशत बोझ उठना पड़ता है। बोलचाल की भाषा में कहें तो किसानों के लिए फसल बीमा एक ऐसी लागत है, जिसका 95 प्रतिशत से लेकर 98.5 फ़ीसदी तक बोझ सरकार उठाती है।

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ये सब्सिडी इतनी ज़्यादा है कि इसे तकरीबन मुफ़्तभी कह सकते हैं। किसानों को असली ताक़त बैंक या बीमा कम्पनियों से सम्पर्क साधने और बीमा पालिसी खरीदने पर ही लगानी होती है। बीमा की किस्त तो महज सांकेतिक है। हज़ार रुपये की वास्तविक किस्त के बदले किसान को सिर्फ़ 15 रुपये से लेकर 50 रुपये की ही किस्त भरनी है। बाक़ी 950 से लेकर 985 रुपये तक सरकारें भरेंगी।

फसल बीमा के प्रति उदासीन हैं किसान

हर साल देश के करोड़ों किसानों की फसल को बाढ़, सूखा, ओले गिरने या टिड्डी के हमले जैसी प्राकृतिक आपदाओं से भारी नुकसान होता है। इसकी भरपाई के लिए 13 जनवरी 2016 को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) की शुरुआत की गयी। हालाँकि, 2016 से पहले भी किसानों और पशुपालकों के पास बीमा कम्पनियों की सेवाएँ लेने का विकल्प हुआ करता था, लेकिन PMFBY को अतीत के अनुभवों से सबक लेकर बेहतर बनाने की कोशिश हुई।

इसके बावजूद भारतीय किसानों में फसल बीमा के प्रति उदासीनता बनी ही हुई है। हालाँकि, बहुत धीमा गति से फसल बीमा के लिए आवेदन करने वाले किसानों की संख्या में इज़ाफ़ा भी हो रहा है। लेकिन इसके बावजूद हालात उत्साहजनक नहीं कहे जा सकते। ताज़ा सरकारी आँकड़ों के मुताबिक, साल 2020-21 में देश भर में सिर्फ़ 6.13 करोड़ किसान ही PMFBY का फ़ायदा लेने के लिए आगे आये। हालाँकि, वर्ष 2019-20 में ये संख्या 6.12 और 2018-19 में 5.77 करोड़ ही थी। दूसरी ओर, 2016 से लागू PMFBY के मौजूदा स्वरूप के तहत 2016-17 के बाद से अब तक किसानों के 8.34 करोड़ बीमा दावों के निपटारे के बाद 97,719 करोड़ रुपये का भुगतान हो चुका है।

कैसे करवाएँ फसल बीमा?

फसल बीमा के लिए ऑनलाइन और ऑफ़लाइन, दोनों तरह से आवेदन कर सकते हैं। ऑफ़लाइन बीमा करवाने वालों को किसी भी नज़दीकी बैंक की शाखा में जाकर फॉर्म और प्रीमियन भरना पड़ता है, जबकि ऑनलाइन आवेदकों को राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल (NCIP) में अपना रज़िस्ट्रेशन करवाना पड़ता है। इसके लिए https://pmfby.gov.in/ पर जाकर सारी औपचारिकता पूरी करनी पड़ती हैं।

फसल बीमा के बेहतर प्रशासन, समन्वय, पारदर्शिता, सूचना के प्रसार और किसानों के ऑनलाइन नामांकन सहित सेवाओं की बेहतर निगरानी के लिए राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल (NCIP) विकसित किया गया है। इसी पोर्टल के ज़रिये किसानों को बीमा का रकम सीधे उनके बैंक खाते में भेजी जाती है। इसके अलावा स्मार्टफोन पर CCE Agri और फसल बीमा एप के ज़रिये भी किसान अपना नामांकन करा सकते हैं और अपने फसल बीमा आवेदन की प्रगति के बारे में जान सकते हैं।

किसान सम्मान निधि बनाम फसल बीमा

अब यदि हम इन आँकड़ों की तुलना प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PMKSNY) के लाभार्थियों से करें तो पाएँगे कि केन्द्र सरकार की ओर से 500 रुपये महीना या सालाना 6,000 रुपये की सीधी नकद सहायता पाने वाले लघु और सीमान्त किसानों की संख्या ही करीब 9.5 करोड़ है। इसका मतलब ये है कि एक ओर सरकारों को फसल बीमा के प्रति जागरूकता फैलाने को लेकर बहुत काम करने की ज़रूरत है तो दूसरी ओर किसानों को भी बाहें पसारकर फसल बीमा का स्वागत करके इससे अवश्य जुड़ना चाहिए।

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