विश्व मधुमक्खी दिवस (World Bee Day): मधुमक्खी पालन काफी कम लागत से कर सकते हैं शुरू, सरकार ऐसे दे रही है बढ़ावा

मधुमक्खी पालन आय का ऐसा सुविधाजनक जरिया है, जिसमें न तो बहुत ज़्यादा जानकारी की ज़रूरत है और न ही ज्यादा निवेश चाहिए। दूसरे काम को करते हुए भी इसे आसानी से कर सकते हैं, क्योंकि यहां काम मधुमक्खियां करती हैं और फायदा मधुमक्खी पालन करने वाले को होता है।

विश्व मधुमक्खी दिवस

दुनियाभर में 20 मई, 2022 को विश्व मधुमक्खी दिवस (World Bee Day) मनाया जाता है। इस मौके पर कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय (Ministry of Agriculture & Farmers Welfare) गुजरात में एक कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। इस विश्व मधुमक्खी दिवस समारोह में केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर शामिल होंगे।

देश के छोटे किसान मधूमक्खी पालन से जुड़ें, इसके लिए उन्हें बढ़ावा भी दिया जा रहा है। केंद्रीय कृषि मंत्री गुजरात से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए जम्मू-कश्मीर के पुलवामा, बांदीपुरा और जम्मू, कर्नाटक के तुमकुर, उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, महाराष्ट्र के पुणे और उत्तराखंड में स्थापित होने वाली हनी टेस्टिंग लैब (Honey Testing Labs) और प्रसंस्करण इकाइयों (Honey Processing Units) का भी उद्घाटन करेंगे।

लोगों और ग्रह को स्वस्थ रखने में मधुमक्खियों और अन्य परागणकों की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 20 मई को विश्व मधुमक्खी दिवस के रूप में घोषित किया। इस आयोजन के दौरान मधुमक्खी पालन क्षेत्र में विभिन्न प्रकार की मधुमक्खी और विभिन्न उत्पादों को प्रदर्शित किया जाएगा। प्रदर्शनी में मधुमक्खी पालकों, प्रसंस्करणकर्ताओं और मधुमक्खी पालन क्षेत्र के विभिन्न हितधारकों द्वारा कई स्टाल लगाए जाएंगे।

इस आयोजन के दौरान पोर्टल पर मधुमक्खी पालकों के लाइव पंजीकरण के लिए ‘मधुक्रांति’ पोर्टल की कार्यान्वयन एजेंसी इंडियन बैंक द्वारा एक स्टॉल भी लगाया जाएगा। राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन का मुख्य उद्देश्य कृषि और गैर-कृषि परिवारों के लिए आमदनी और रोजगार के अवसर पैदा करना, मधुमक्खी पालन उद्योग के विकास को प्रोत्साहन देना, कृषि व बागवानी उत्पादन को बढ़ावा देना और मधुमक्खी पालन के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाना है।

मधुमक्खियों ने तबस्सुम को दी नई पहचान

मधुमक्खी पालन आसान और सुविधाजनक है, इसके बावजूद जानकारी और प्रोत्साहन की कमी से बहुत कम लोग इससे जुड़ पाए हैं। इस लेख में हम आपको एक ऐसी महिला के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने मधुमक्खी पालन कर कश्मीर की घाटियों में अपना नाम बनाया है। उन्होंने किस तरह मधुमक्खी पालन के क्षेत्र में कदम रखा और कैसे आत्मनिर्भर बनने में उन्हें मदद मिली, ये जानकर आपको भी ऐसी ही पहल की प्रेरणा मिल सकती है।

कश्मीर की सेंट्रल यूनिवर्सिटी से एमएससी कर रहीं बांदीपोरा के सुंबल की रहने वालीं तबस्सुम मलिक दो साल पहले तक पढ़ाई की फ़ीस और खुद के जेब खर्च के लिए अपने पिता पर निर्भर थीं। लेकिन अब मधुमक्खियों ने तबस्सुम को एक नई पहचान दी है। मधुमक्खी पालन से न सिर्फ़ अब तबस्सुम किसी पर निर्भर नहीं है, बल्कि अपने घर का खर्च भी चलाती हैं।

विश्व मधुमक्खी दिवस (World Bee Day): मधुमक्खी पालन काफी कम लागत से कर सकते हैं शुरू, सरकार ऐसे दे रही है बढ़ावा

 

सामाजिक चुनौतियों का किया सामना लेकिन नहीं मानी हार

कोई भी नया और अलग काम शुरू करने में शुरुआत में कुछ दिक्कतें भी आती हैं। जब तबस्सुम ने मधुमक्खी पालन को लेकर अपनी बात घरवालों को बताई, तो उनका परिवार उनके इस फैसले से खुश नहीं था। उनका कहना था कि पीजी की डिग्री लेने के बाद इस काम के सिलसिले में घर से बाहर जाना पड़ेगा, लोग क्या कहेंगे, लेकिन एक बार जब पढ़ाई करने के साथ-साथ तबस्सुम मधुमक्खी पालन कर पैसे कमाने लगीं तो परिवार खुश हुआ और आज पड़ोस के लोग भी उनकी तारीफ़ करते नहीं थकते।

पढ़ाई के दौरान एपीकल्चर सेमेस्टर में तबस्सुम ने जाना कि अगर नौकरी न मिली तो कैसे खुद का काम कर सकते हैं। बता दें कि मधुमक्खी पालन की प्रक्रिया को एपीकल्चर कहा जाता है। शुरुआत में कोई भी नया काम करते हुए नुकसान की गुंजाइश रहती है। तबस्सुम के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। तबस्सुम पहले ही कदम पर धोखे का शिकार हो गई और उनके पैसे डूब गए।

मधुमक्खी पालन ( beekeeping )

विश्व मधुमक्खी दिवस (World Bee Day): मधुमक्खी पालन काफी कम लागत से कर सकते हैं शुरू, सरकार ऐसे दे रही है बढ़ावा

बिल्कुल कम निवेश से की शुरुआतसरकार ने दी सब्सिडी

मधुमक्खी पालन ( beekeeping )

तबस्सुम की ज़िंदगी को नई राह दिखाने वाले एजाज़ की ज़िंदगी में भी मधुमक्खी पालन से ऐसा ही बदलाव आया था। 2010 में एजाज़ ने 6 बक्सों से मधुमक्खी पालन का काम शुरू किया था। कृषि विभाग की ओर से सब्सिडी पर 6 बक्से दिए गए और उन्हें मधुमक्खी पालन की बाकायदा ट्रेनिंग भी दी गई। ज़ीरो से उन्होंने इसकी शुरुआत की थी और फिर पिता, भाई को भी इस काम में लगा दिया। पहला क्रॉप 75 हज़ार में बिका

और आज एजाज़ के पास 850 बक्से हैं।

मधुमक्खी पालन एक ऐसा कारोबार है, जिसमें न बहुत ज़्यादा जानकारी की ज़रूरत है और न ही ज्यादा निवेश चाहिए होता है। मधुमक्खी पालन के काम में हफ़्ते में 5 से 6 घंटे का समय देना होता है, बाकि तो मधुमक्खी खुद अपना काम करती है। शहद की मांग लगातार होने और बड़ा मार्केट होने से मधुमक्खी पालकों की भी अच्छी और नियमित आय होती है। ऐसे में सरकार की ओर से मीठी क्रांति के लक्ष्य को बढ़ावा देते हुए मधुमक्खी पालन को प्रोत्साहन भी मिल रहा है।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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