नर्सरी बिज़नेस (Nursery Business): क्या आपको भी हरियाली पसंद है और पेड़-पौधों से बहुत लगाव है, तो आप अपनी इस पसंद को प्रोफेशन बनाकर अच्छी कमाई कर सकते हैं, जैसा कि नागपुर की अलका साहनी कर रही हैं। अलका 1996 से नसर्री चला रही हैं और अब उनके पास हज़ारों पौधें और फूलों की प्रजातियां हैं।
अलका साहनी ने 2010 से व्यवसायिक रूप से नर्सरी बिज़नेस को करना शुरू किया और उनकी नर्सरी का नाम है कल्पतरू। पेशे से टीचर रह चुकी अलका ने क्यों चुना नर्सरी व्यवसाय और पौधे बेचने के साथ ही वो लोगों को देती हैं कौन सी सलाह, इस बारे में उन्होंने बात की किसान ऑफ़ इंडिया के संवाददाता गौरव मनराल से।
पेड़ों की छांव में बिता बचपन
अलका बताती हैं कि पहले वो नागपुर शहर में रहती थीं, लेकिन कोविड के बाद से वो नागपुर गांव में शिफ्ट हो गई हैं। पेड़-पौधों से लगाव के बारे में बताते हुए वो कहती हैं कि चूंकि उनका बचपन पेड़ों के आस-पास ही बीता हैं, पेड़ों के बीच खेलना, पेड़ पर बैठे रहना उन्हें बहुत अच्छा लगता था। उम्र बढ़ने के साथ ही उनका पेड़ों से लगाव भी बढ़ता गया और घर के आसपास जो भी जगह होती थी, वो वहां पौधे लगाती थीं। उनके घर के सामने कई नर्सरी थीं, जहां वो शाम के समय रोज़ाना जाती थीं, फिर उन्होंने इसे ही प्रोफेशन बनाने की सोची।
सरकारी योजना के तहत शुरू की नर्सरी
अलका कहती हैं कि 1996 में सोशल फॉरेस्ट्री डिपार्टमेंट ने किसान नर्सरी नाम से एक स्कीम निकाली थी, जिसमें उन्होंने खुद का नामांकन किया और नर्सरी शुरू की। मगर 2010 के पहले तक वो पूरा समय नर्सरी में नहीं दे पाती थीं इसलिए बस ये काम चल रहा था। इसके बाद 2010 में उन्होंने पूरा ध्यान नर्सरी पर दिया और इसे व्यवसायिक तौर पर चलाना शुरू कर दिया।
गुलाब की है सबसे अधिक मांग
पौधों की संख्या और किस्मों के बारे में अलका का कहना है कि उनके पास हज़ारों पौधें और कई प्रजातियां हैं। जो भी ग्राहक उनकी नर्सरी पर आते हैं वो यही फीडबैक देते हैं कि उनकी नर्सरी में सबसे ज़्यादा वैरायटी दिखती हैं। इसकी एक वजह अलका अपने शौक को भी बताती हैं क्योंकि उन्हें खुद ही अलग-अलग वैरायटी के पौधे इकट्ठा करने का शौक है। साथ ही उन्होंने बताया कि उनके पास फूलों से लेकर औधषीय गुणों वाले पौधे जैसे गिलोए, शतावरी और अश्वगंधा जैसे पौधे भी हैं। वो बताती हैं कि रंग-बिरंगे गुलाब के फूलों की मांग बहुत अधिक है।
ऑक्सीजन के साथ ही बढ़ाते हैं खूबसूरती
अलका साहनी बताती हैं कि कोरोना के बाद से ऑक्सीजन वाले इनडोर प्लांट्स की मांग बढ़ी है जैसे एरिका पाम, पीस लीली, स्नेक प्लांट आदि। ये प्लांट घर में रखने पर सुंदर तो दिखते ही हैं, साथ ही घर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाने में भी मददगार है।
हर एक पौधा है ज़रूरी
कोई भी बिज़नेस करने का एकमात्र मकसद सिर्फ़ पैसे कमाना ही नहीं हो सकता और अलका इसी चीज़ को फॉलो करती हैं। वो बताती हैं कि अगर कोई ग्राहक उनसे आकर पूछता है कि ये प्लांट मरेगा तो नहीं? तो अलका उनसे कहती हैं कि अगर आप इसकी केयर नहीं कर सकतें तो ले मत जाइए और ले जा रहे हैं तो इसे ज़िंदा रखने की ज़िम्मेदारी आपकी है।
अलका कहती हैं कि वो लोगों को देखकर ही पौधे बेचती हैं अगर उन्हें लगता है कि सामने वाला व्यक्ति किसी पौधें की सही देखभाल नहीं कर पाएगा तो वो उसे लो मेंटेनेंस वाला प्लांट बेचती हैं ताकि पौधा भी ठीक रहे और व्यक्ति की इसमें रुची भी बनी रहे। उनके अनुसार हर एक पौधा उनके लिए बहुत अहम होता है, क्योंकि आज भले ही उसकी कीमत सिर्फ़ 5 या 10 रूपए हो, लेकिन आगे चलकर जब ये छोटा पौधा पेड़ बनेगा तो इसकी वैल्यू बढ़ेगी।
जीने के लिए ज़रूरी हैं पौधे
अलका न सिर्फ़ नर्सरी का बिज़नेस चला रही हैं, बल्कि हमारे जीवन में पेड़-पौधों की कितनी ज़्यादा अहमियत है ये भी लोगों को समझाने का काम कर रही हैं। अलका कहती हैं कि कुछ लोग कहते हैं कि पौधे से कचरा होता था तो हमने हटा दिया, ऐसे लोगों को वो कहती हैं कि जिस दिन पीठ पर ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर चलोगे न तब इन पौधों की अहमयित समझ आएगी। वो कहती हैं कि कचरा पेड़-पौधों से नहीं फैलता, बल्कि ये तो लोगों के दिमाग में बैठा है।
सिर्फ मुनाफ़ा नहीं ,संतुष्टि है ज़रूरी
अलका का कहना है कि वो रेवेन्यू के बारे में कभी ज़्यादा सोचती नहीं है, बस इतना है कि उनके साथ काम करने वाले लोगों का और उनका खर्च इससे चलता रहे। उन्हें असली खुशी और संतुष्टि तो मिलती है हंसते-मुस्कुराते पौधों और खिले फूलों को देखकर।