Agroforestry in Tribal Areas : आदिवासी क्षेत्रों में कृषि-वनीकरण के ज़रीये सतत आजीविका और आर्थिक विकास

कृषि-वनीकरण (Agroforestry) से आदिवासी समुदायों की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है। स्वयं सहायता समूहों (SHGs) और सहकारी समितियों की स्थापना से महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है, जिससे सामुदायिक सशक्तिकरण हुआ है। उदाहरण के लिए, प्रधानमंत्री वन धन योजना के तहत वन धन विकास केंद्रों की स्थापना से आदिवासी समुदायों को उद्यमिता के अवसर मिले हैं।

Agroforestry in Tribal Areas : आदिवासी क्षेत्रों में कृषि-वनीकरण के ज़रीये सतत आजीविका और आर्थिक विकास

कृषि-वनीकरण (Agroforestry) आज के वक्त में आदिवासी समुदायों (Tribal Areas) की आजीविका और आर्थिक स्थिरता प्रदान करने के लिए एक प्रभावकारी समाधान के रूप में उभरा है। जो आदिवासी समुदायों  सांस्कृतिक पहचान और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखते हुए है।  

आदिवासी समुदायों (Tribal Areas) में  वनों का महत्वपूर्ण स्थान है। वे सदियों से वनों पर निर्भर रहते आए हैं, जिससे उनकी जीवनशैली और परंपराएं विकसित हुई हैं। हालांकि, बढ़ती जनसंख्या, वनों की कटाई और आधुनिक विकास के प्रभाव से उनकी आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।  जिसका एक हल कृषि-वनीकरण (Agroforestry) है। 

आदिवासी क्षेत्रों में कृषि-वनीकरण का महत्व (Importance of Agro-Forestry In Tribal Areas)

कृषि-वनीकरण एक ऐसी प्रणाली है जिसमें कृषि और वानिकी को समन्वित किया जाता है। ये प्रणाली आदिवासी समुदायों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि-​

1.पारंपरिक ज्ञान का उपयोग: आदिवासी समुदायों के पास वनों और कृषि के बारे में गहरा पारंपरिक ज्ञान होता है। कृषि-वनीकरण इस ज्ञान का उपयोग करके सतत विकास को बढ़ावा देता है।​

2.पर्यावरणीय संतुलन: ये प्रणाली मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने, जल संरक्षण और जैव विविधता को संरक्षित करने में मदद करती है।​

3. आर्थिक लाभ: विभिन्न उत्पादों जैसे फल, लकड़ी, औषधीय पौधों और गैर-लकड़ी वन उत्पादों (NTFPs) के उत्पादन से आय के स्रोत बढ़ते हैं।​

कृषि-वनीकरण के अलग-अलग मॉडल (Different Models Of Agro-Forestry)
 1.वृक्ष और फसल मॉडल: इस मॉडल में खेतों में पेड़ों के साथ फ़सलों की खेती की जाती है, जिससे भूमि का ज़्यादा इस्तेमाल होता है और किसानों की आय बढ़ती है।​

2.वृक्ष व पशुपालन और चरागाह मॉडल: इस प्रणाली में वृक्षारोपण के साथ पशुपालन और चरागाह प्रबंधन शामिल होता है, जो समग्र आजीविका सुरक्षा प्रदान करता है।​

3.औषधीय और गैर-काष्ठ वन उत्पाद (NTFP) आधारित मॉडल: इसमें औषधीय पौधों और अन्य NTFPs की खेती की जाती है, जो बाज़ार में उच्च मांग के कारण आर्थिक लाभ प्रदान करते हैं।​

सफल उदाहरण और केस स्टडीज़ (Successful Examples And Case Studies)

1.ओडिशा: यहां के आदिवासी किसानों ने कृषि-वनीकरण अपनाकर महुआ, तेंदू पत्ता और लाख जैसे NTFPs का उत्पादन बढ़ाया है, जिससे उनकी आय में वृद्धि हुई है।

2,छत्तीसगढ़: बस्तर ज़िले में आदिवासी समुदायों ने धान की खेती के साथ सागौन और बांस के वृक्षारोपण को अपनाया है, जिससे उन्हें अतिरिक्त आय स्रोत मिले हैं। ​

3.झारखंड: यहां के आदिवासी किसानों ने कृषि-वनीकरण के ज़रीये से तसर (कोसा) रेशम उत्पादन में सफलता प्राप्त की है, जो उनकी आजीविका का मुख्य स्रोत बन गया है।​

आर्थिक प्रभाव और सामुदायिक विकास (Economic Impact And Community Development)

कृषि-वनीकरण (Agroforestry) से आदिवासी समुदायों की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है। स्वयं सहायता समूहों (SHGs) और सहकारी समितियों की स्थापना से महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है, जिससे सामुदायिक सशक्तिकरण हुआ है। उदाहरण के लिए, प्रधानमंत्री वन धन योजना के तहत वन धन विकास केंद्रों की स्थापना से आदिवासी समुदायों को उद्यमिता के अवसर मिले हैं।

सरकारी योजनाएं और पहलें (Government Schemes And Initiatives)

1.प्रधानमंत्री वन धन योजना: इस योजना का उद्देश्य वन उपज के मूल्य संवर्धन के माध्यम से आदिवासी समुदायों की आय बढ़ाना है। इसके तहत वन धन विकास केंद्रों की स्थापना की जाती है, जहां कौशल प्रशिक्षण और बाजार संपर्क की सुविधा प्रदान की जाती है।​

2.राष्ट्रीय कृषि-वनीकरण और पारिस्थितिकी विकास बोर्ड (NAEB): यह बोर्ड कृषि-वनीकरण को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित करता है, जिससे पर्यावरणीय संतुलन और आजीविका सुरक्षा सुनिश्चित होती है।​

3.अनुच्छेद 275(1) के तहत वित्तीय सहायता: संविधान के इस प्रावधान के तहत राज्यों को आदिवासी क्षेत्रों के विकास के लिए विशेष वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, जिसमें कृषि-वनीकरण परियोजनाएं भी शामिल हैं।​

चुनौतियां और समाधान (Challenges And Solutions)

हालांकि कृषि-वनीकरण (Agroforestry) के कई फ़ायदे हैं, लेकिन इसके अमल में लाने की कुछ चुनौतियां भी हैं:​

1.जागरूकता की कमी: कई आदिवासी समुदायों में कृषि-वनीकरण (Agroforestry) के लाभों के बारे में जानकारी का अभाव है। समाधान के रूप में, जागरूकता कार्यक्रम और प्रशिक्षण कार्यशालाएँ आयोजित की जानी चाहिए।​

2.वित्तीय संसाधनों की कमी: कृषि-वनीकरण परियोजनाओं (Agroforestry Scheme) के लिए शुरूआती निवेश की ज़रूरत होती है। सरकार और गैर-सरकारी संगठनों को वित्तीय सहायता और ऋण सुविधाएं प्रदान करनी चाहिए।​

3.बाजार तक पहुंच: उत्पादों के लिए उचित बाजार उपलब्ध नहीं होने से किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पाता। सहकारी समितियों और विपणन नेटवर्क के माध्यम से बाजार संपर्क स्थापित किया जाना चाहिए।​

कृषि-वनीकरण एक सतत आजीविका मॉडल (Agro-Forestry: A Sustainable Livelihood model)

आदिवासी क्षेत्रों (Tribal Areas) में कृषि-वनीकरण (Agroforestry) एक सतत आजीविका मॉडल के रूप में उभर रहा है, जो पर्यावरणीय संतुलन, आर्थिक स्थिरता और सांस्कृतिक संरक्षण को सुनिश्चित करता है। सरकारी योजनाओं, सामुदायिक सहभागिता और पारंपरिक ज्ञान के मेल से ये मॉडल आदिवासी समुदायों के समग्र विकास में  अहम भूमिका निभा सकता है।

 

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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