किसानों का Digital अड्डा

क्या आपने काला गेहूं (Black Wheat) खाया और उगाया है?

काले गेहूं को बाज़ार में मिलता है अच्छा दाम

फसलों में आजकल काले गेहूं की खेती की तरफ़ किसानों का रुझान बढ़ा है क्योंकि इससे बेहतर कमाई होती है। देश में गेहूं की कई किस्में हैं। इनमें कुछ किस्में रोग प्रतिरोधक हैं, तो कई का उत्पादन ज़्यादा होता है। एक ऐसी ही गेंहू की किस्म के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं।

0

काला गेहूं (Black Wheat): किसानों की आमदनी में कैसे इज़ाफ़ा किया जाए, उन्हें कैसे फ़ायदा पहुंचाया जाए, इसको लेकर कृषि वैज्ञानिक आए दिन कई प्रयोग करते रहते हैं। एक ऐसा ही प्रयोग है काला गेहूं। हम सबने सुनहरे रंग के गेहूं ही बाज़ार में देखें हैं, लेकिन काले गेहूं की मांग भी अब बढ़ रही है। कई किसान इसकी खेती भी कर रहे हैं।

इस लेख में हम आपको इस काले गेहूं की खासियत बताएंगे कि आखिर क्यों काले गेहूं की खेती की तरफ़ किसानों का रुझान बढ़ रहा है।

सात साल की मेहनत के बाद ईज़ाद हुई ये किस्म

इस गेहूं को पंजाब के मोहाली स्थित नेशनल एग्री फ़ूड बायोटेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट (NABI) ने ईज़ाद किया है। गेहूं की इस किस्म का नाम ‘नाबी एमजी’ है। इस किस्म को तैयार करने में सात साल का वक़्त लगा। NABI की कृषि वैज्ञानिक डॉ. मोनिका गर्ग ने साल 2010 से इसपर रिसर्च शुरू की थी। अब कई किसानों ने काले गेहूं की खेती करना शुरू कर दिया है।

काला गेहूं (Black Wheat):

सामान्य गेहूं की तरह ही होती है काले गेहूं की खेती

काले गेहूं का आकार सामान्य गेहूं जितना ही होता है। इसमें कई औषधीय गुण मौजूद होते हैं। इसके कारण बाज़ार में इसकी मांग भी ख़ूब है। पेशे से बिल्डर मोहाली के रहने वाले अमरप्रीत सिंह हीरा भी पिछले दो साल से काले गेहूं की खेती कर रहे हैं। रोपड़ जिले के सैफलपुर गांव में उनका फ़ार्म है। न्यू इंडियन एक्स्प्रेस से बात करते हुए अमरप्रीत सिंह हीरा ने बताया कि पिछले साल पांच एकड़ में उन्होंने काले गेहूं की खेती की थी।

इस साल दस एकड़ के क्षेत्र में वो इसकी खेती करेंगे। इसकी पैदावार भी सामान्य गेहूं की तरह ही की जाती है। इसमें अलग से कोई लागत नहीं लगती। काले गेहूं के पौष्टिक तत्वों का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि काला गेहूं, आम गेहूं से कई गुना ज्यादा पौष्टिक होता है। ये ग्लूटन-फ़्री होता है।

औषधीय गुणों से भरपूर काला गेहूं

काले गेहूं में एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटीबायोटिक से भरपूर एंथ्रोसाइनीन (Anthocyanin) पिगमेंट पाया जाता है। इस पिगमेंट के कारण ही गेहूं काला दिखाई देता है। Anthocyanin हार्ट अटैक, कैंसर, डायबिटीज़, मानसिक तनाव, घुटनों का दर्द, एनीमिया जैसे रोगों से लड़ने में मददगार माना जाता है।

आम गेहूं में जहां एंथोसाइनिन की मात्रा 5 से 15 पार्ट्स प्रति मिलियन (PPM) होती है, काले गेहूं में PPM की ये मात्रा 100 से 200 पाई जाती है। साथ ही, इसमें आयरन और जिंक की मात्रा भी ज़्यादा होती है।

काला गेहूं (Black Wheat):
तस्वीर साभार: Indiamart (Left), countrykitchen (Right)

बाज़ार में अच्छा मिलता है दाम

काले गेहूं की पैदावार सामान्य गेहूं की तुलना में प्रति एकड़ कम होती है। सामान्य गेहूं प्रति एकड़ लगभग 22 से 24 क्विंटल की पैदावार देता है तो काला गेंहू 16 क्विंटल के आसपास देता है। हालांकि, बाज़ार में काले गेहूं का दाम अच्छा मिलता है। जहां आम गेहूं न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर 1,980 रुपये रुपये में बिकता है, वहीं इस काले गेहूं की खुले बाज़ार में कीमत करीबन 4,500 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच जाती है।

ये भी पढ़ें: पॉलीहाउस तकनीक से खेती क्यों है सबसे बेहतर? जानिए इस ‘इंजीनियर’ किसान से

Kisan Of India Instagram

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या kisanofindia.mail@gmail.com पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल। 
मंडी भाव की जानकारी
You might also like
Leave A Reply

Your email address will not be published.