CETA Agreement : भारतीय मछुआरों के लिए सुनहरा मौका! बिना टैक्स अब ब्रिटेन को भेजें झींगा-मछली, 70 फीसदी तक बढ़ेगी कमाई

CETA Agreement (Comprehensive Economic and Trade Agreement) पर सिग्नेचर हुए। ये समझौता भारत के मछुआरों, निर्यातकों और समुद्री उत्पादों से जुड़े लाखों लोगों के लिए ‘गेम-चेंजर’ साबित होने वाला है।

CETA Agreement : भारतीय मछुआरों के लिए सुनहरा मौका! बिना टैक्स अब ब्रिटेन को भेजें झींगा-मछली, 70 फीसदी तक बढ़ेगी कमाई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री सर कीर स्टार्मर (Prime Minister Narendra Modi and British Prime Minister Sir Keir Starmer) की मौजूदगी में CETA Agreement (Comprehensive Economic and Trade Agreement) पर सिग्नेचर हुए। ये समझौता भारत के मछुआरों, निर्यातकों और समुद्री उत्पादों से जुड़े लाखों लोगों के लिए ‘गेम-चेंजर’ साबित होने वाला है। अब भारत से ब्रिटेन को झींगा, स्क्विड, मछली और दूसरे समुद्री उत्पाद (Shrimp, squid, fish and other marine products) बिना किसी टैक्स के भेजे जा सकेंगे, जिससे निर्यात में 70 फीसदी तक की बढ़ोतरी की उम्मीद है। 

99 फीसदी उत्पादों पर टैक्स मुक्त व्यापार 

CETA समझौते के तहत 99 प्रतिशत टैरिफ लाइनों पर फीस हटा दी गई है। यानी अब भारतीय समुद्री उत्पाद ब्रिटेन (Britain) के बाजार में सस्ते और प्रतिस्पर्धी होंगे। पहले इन उत्पादों पर 0 प्रतिशत से 21.5 फीसदी तक का आयात शुल्क लगता था, जिसकी वजह से भारतीय निर्यातकों को मुकाबला करने में दिक्कत होती थी। लेकिन अब स्थिति बदलने वाली है। 

किन उत्पादों को मिला बड़ा फायदा?

ब्रिटेन को भारत से मुख्य रूप से वन्नामेई झींगा, ब्लैक टाइगर झींगा, स्क्विड, पॉम्फ्रेट और फ्रोजन मछलियां निर्यात होती हैं। इन सभी पर अब शुल्क मुक्त व्यापार की सुविधा मिल गई है। यहां देखें किन HS कोड उत्पादों को फायदा होगा- 

  • HS Code 03: झींगा, ट्यूना, स्क्विड, मैकेरल, फ्रोजन पॉम्फ्रेट
  • HS Code 05: मूंगा, कौड़ी, आर्टेमिया
  • HS Code 15: मछली का तेल और वसा
  • HS Code 1603–1605: तैयार समुद्री भोजन, कैवियार, अर्क
  • HS Code 23: मछली/झींगा का चारा
  • HS Code 95: मछली पकड़ने के उपकरण

केवल HS 1601 (जैसे सॉसेज) को छोड़कर बाकी सभी उत्पादों को टैक्स छूट मिली है।

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निर्यात में 70 फीसदी तक बढ़ोतरी का अनुमान 

2024-25 में भारत ने 60,523 करोड़ रुपए का समुद्री खाद्य निर्यात किया, जिसमें 4.88 अरब डॉलर (66%) सिर्फ झींगा का था। ब्रिटेन को भारत का समुद्री निर्यात 104 मिलियन डॉलर का रहा, जिसमें 77% हिस्सेदारी झींगे की थी।

अब CETA के बाद ये एक्सपोर्ट 70 प्रतिशत तक बढ़ सकता है।  यानी भारतीय मछुआरों, निर्यातकों और प्रोसेसिंग यूनिट्स को करोड़ों रुपए का अतिरिक्त फायदा होगा।

28 मिलियन लोगों पर सकारात्मक असर 

भारत का मत्स्य पालन क्षेत्र 28 मिलियन (2.8 करोड़) लोगों की रोजी-रोटी से जुड़ा है। पिछले 10 सालों में इस सेक्टर ने शानदार विकास किया है:
निर्यात मात्रा: 10.5 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 16.85 लाख मीट्रिक टन (60 फीसदी बढ़ोतरी )
निर्यात मूल्य: 33,441 करोड़ से बढ़कर 62,408 करोड़ रुपए (88% बढ़ोतरी)

तटीय राज्यों को मिलेगा सबसे ज्यादा फ़ायदा

आंध्र प्रदेश, केरल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और गुजरात जैसे राज्यों के मछुआरों और निर्यातकों को इस समझौते का सबसे ज्यादा फायदा मिलेगा। ब्रिटेन के फूड सेफ्टी और क्वालिटी स्टैंडर्ड्स को पूरा करने के लिए इन राज्यों में बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और प्रोसेसिंग यूनिट्स विकसित की जाएंगी।

भारत का बढ़ेगा वैश्विक मान 

अब तक वियतनाम और सिंगापुर जैसे देश ब्रिटेन के साथ FTA का फायदा उठाकर भारत से आगे थे। लेकिन CETA के बाद भारतीय उत्पादों को भी समान टैक्स सुविधा मिलेगी, जिससे वैश्विक बाजार में मुकाबला बढ़ेगा।

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