India’s success in Mariculture: जाइंट ट्रेवली मछली के प्रजनन में ICAR-CMFRI को बड़ी सफ़लता

अपने बड़े साइज़ के लिए जानी जाने वालीजाइंट ट्रेवली मछली की ख़ासियत इसका चांदी जैसा रंग, छोटे काले स्पॉट और शरीर पर हल्की खड़ी स्ट्रिप हैं। समुद्री कृषि (Mariculture) में ये किस्म 1.7 मीटर तक लंबी हो सकती है

India's success in Mariculture: जाइंट ट्रेवली मछली के प्रजनन में ICAR-CMFRI को बड़ी सफ़लता

ICAR-CMFRI यानि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research) और केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (Central Marine Fisheries Research Institute) को एक बड़ी कामयाबी मिली है। संस्थान ने ऐतिहासिक डेवलपमेंट करते हुए समुद्री कृषि (Mariculture) के एरिया में  मील का पत्थर हासिल किया है। इन्स्टिट्यूट के वैज्ञानिकों ने जाइंट ट्रेवली मछली (कारेंक्स इग्नोबिलिस) के प्रजनन में सफलता पाई है और कैप्टिव सीड प्रोडक्शन किया है, जो एक तेजी से बढ़ने वाली और काफी ज़्यादा महंगी  मछली है। ये सफलता टिकाऊ समुद्री कृषि (Mariculture) में एक नए युग की शुरुआत करती है, जो समुद्री और मुहाना (Estuary) के एनवायरनमेंट में इस किस्म की मछली की खेती के लिए भरोसेमंद बदलाव की दिशा को दिखाती है।

जाइंट ट्रेवली मछली (Giant trevally) : समुद्री कृषि के लिए एक भरोसेमंद किस्म   

कारंगिडे फैमली से संबंध रखने वाली जाइंट ट्रेवली मछली एक ऐसी किस्म है जिसे लंबे वक्त से इंडो-पैसिफिक एरिया में इसके सबसे अच्छे मीट की क्वालिटी और कमर्शियल वैल्यू के लिए बेशकीमती माना जाता है। अपने बड़े साइज़ के लिए जानी जाने वालीजाइंट ट्रेवली मछली की ख़ासियत इसका चांदी जैसा रंग, छोटे काले स्पॉट और शरीर पर हल्की खड़ी स्ट्रिप हैं। समुद्री कृषि (Mariculture) में ये किस्म 1.7 मीटर तक लंबी हो सकती है और इसका वजन 80 किलोग्राम से ज़्यादा हो सकता है। इसका मीट और मजबूत ग्रोथ रेट इसे समुद्री कृषि (Mariculture) के लिए एक आइडियल कैंडिडेट बनाती है। ख़ासकर समुद्री और मुहाना ((Estuary)) के केज, कोस्टल लेक्स में।

जाइंट ट्रेवली मछली को दूसरे समुद्री कृषि (Mariculture) किस्मों, जैसे पोम्पानोस से अलग करने वाली बात इसकी तेजी से बढ़ने और खारापन और पानी की क्वालिटी की सिचुएशन की एक वाइड रेंज को सहन करने की ताकत है। ये ख़ासियतें इसे एक मज़बूत और फ्लैक्सिबल किस्में बनाती हैं, जो अलग-अलग एनवायरनमेंट कंडीशन (Environmental Conditions) में खेती के लिए बेहतर है। हालांकि, इसकी क्षमता के बावजूद,जाइंट ट्रेवली मछली का कैप्टिव रिप्रोडक्शन खुले पानी, खास रीप्रोडक्शन की ज़रूरी और कॉम्प्लेक्स रिप्रोडक्शन बायोलॉजी के लिए इसकी प्रोयोरिटी की वजह से एक चुनौती बना हुआ है।

जाइंट ट्रेवली मछली के कैप्टिव रिप्रोडक्शन की चुनौती

जाइंट ट्रेवली मछली का सफल कैप्टिव रिप्रोडक्शन एक अहम वैज्ञानिक उपलब्धि को दिखाती है। ख़ासकर इसकी किस्मों के शानदार रिप्रोडक्टिव बिहेवियर और रहने के जगह को देखते हुए। जाइंट ट्रेवली मछली आम तौर पर कोस्टल क्लिफ, लैगून और खुले समुद्र में रहते हैं, जिससे उन्हें कंट्रोल इनवायरमेंट में प्रजनन करना मुश्किल हो जाता है। उनका प्रजनन बायोलॉजिकल कठिन है, जिसमें स्पॉनिंग को चलाने के लिए खास इनवायरमेंटल ट्रिगर की ज़रूरत होती है। इन चुनौतियों पर काबू पाने के लिए डीप रिसर्च और एक्सपेरिमेंट की ज़रूरत थी, जिसे केरल में ICAR-CMFRI के विझिनजाम क्षेत्रीय केंद्र (Vizhinjam Regional Centre) में वैज्ञानिकों की एक टीम की ओर से ऑपरेट किया गया था। 

वैज्ञानिकों की टीम ने ट्रेवली मछली पालन के भविष्य को बदला 

भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से वित्त पोषित, इस शोध का नेतृत्व श्री अंबरीश पी. गोप, डॉ एम. शक्तिवेल और डॉ बी. संतोष ने किया था। टीम के प्रयासों से एक ऐसी सफलता मिली है जो भारत और उसके बाहर जाइंट ट्रेवली मछली पालन के भविष्य को बदल सकती है। 

प्रजनन प्रक्रिया: मछली के प्रजनन चरणों की बारीकी से निगरानी की आवश्यकता थी। पहले चरण में चीनी डिपनेट का इस्तेमाल करके बारमाउथ एरिया से अल्पव्यस्क मछलियों को इकट्ठा करना शामिल था। प्रजनन प्रक्रिया के अगले चरण में मादा मछली के अंडों के व्यास (Diameter) की सावधानीपूर्वक निगरानी शामिल थी।  मछलियों को तीन रीसर्कुलेटिंग एक्वाकल्चर सिस्टम (RAS) में रखा गया था, जिनमें से हर एक की क्षमता 10 टन थी। ब्रूडस्टॉक को 1:1 (मादा: नर) के लिंग अनुपात पर बनाए रखा गया था।

स्पॉनिंग को प्रेरित करने के लिए, रिसर्च टीम ने मादा ब्रूडस्टॉक को ल्यूटिनाइजिंग हॉरमोन-रिलीजिंग हॉरमोन (LHRH) एनालॉग दिया, जब उनके अंडाणु (egg) का व्यास 420-450 µm तक पहुंच गया था। हॉरमोन को दो खुराक में दिया गया था। जिसमें दूसरी खुराक के 48-52 घंटे बाद मछली ने स्पॉनिंग की। एग फर्टिलाइजेशन (Egg fertilization) के 14-16 घंटे के अंदर फर्टिलाइज़ और हैच किए गए। लार्वा के मुंह का खुलना हैचिंग के 64-65 घंटे के बीच नोट किया गया।

समुद्री कृषि क्षेत्र (Mariculture sector) के लिए जाइंट ट्रेवली मछली प्रजनन की सफलता का मतलब 

जाइंट ट्रेवली मछली के लिए आईसीएआर-सीएमएफआरआई के प्रजनन और बीज उत्पादन (Reproduction and seed production) प्रयासों की सफलता के समुद्री कृषि के लिए दूरगामी मतलब है।जाइंट ट्रेवली मछली की पैदा करने की क्षमता इस किस्म की बड़े पैमाने पर खेती के लिए नए अवसर खोलती है। जो हाई क्वालिटी वाली समुद्री मछली की बढ़ती मांग को पूरा करने में मदद कर सकती है।  

जाइंट ट्रेवली मछली की खेती की आर्थिक संभावना महत्वपूर्ण है। लोकल और अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाजारों में इस मछली की बहुत मांग है, जिसकी कीमत 300 रुपये से लेकर 700 रुपये प्रति किलोग्राम तक है। जो समुद्री कृषि किसानों के लिए एक आकर्षक विकल्प बनाती है जो अपने उत्पादन में विविधता लाना चाहते हैं और ज़्यादा फायदा उठाना चाहते हैं।

जाइंट ट्रेवली मछली में भविष्य और अनुसंधान (Future Directions and Research)

जाइंट ट्रेवली मछली के कैप्टिव सीड प्रोडक्शन की सफलता अभी शुरुआत है। ICAR-CMFRI अब प्रोडक्शन पावर को और बढ़ाने और लार्वा रियरिंग टेक्नोलॉजी को और बेहतर करने के लिए प्रजनन प्रोटोकॉल पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। इसका लक्ष्य जाइंट ट्रेवली मछली की मांग को पूरा करने के लिए प्रोडक्शन को बढ़ाना और इस किस्म की खेती को पूरे भारत में समुद्री कृषि  कार्यों के लिए एक बेहतर (Feasible) और टिकाऊ ऑप्शन बनाना है।

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