आधुनिक गुड़ यूनिट (Modern Jaggery Unit): जानिए कृषि वैज्ञानिक डॉ. दिलीप से कि कैसे मॉडर्न गुड़ यूनिट लगाने से कर सकते हैं सालाना 35 से 40 लाख की कमाई 

भारतीय गन्ना शोध संस्थान, लखनऊ के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. दिलीप कुमार का कहना है कि मॉडर्न गुड़ यूनिट लगाने से गुड़ की क्वांटिटी और क्वालिटी दोनों बढ़ाई जा सकती है। इसकी बाजार में बेहतर कीमत मिलती है।

मॉर्डन गुड़ यूनिट लगाने से कर सकते हैं सालाना 35 से 40 लाख की कमाई 

देश में सदियों से गन्ने के रस से गुड़ बनाने की विधि प्रचलित है। ग्रामीण स्तर पर ये किसानों के लिए, रोजगार के नज़रिये से अच्छा व्यवसाय है। लेकिन परंपरागत तरीक़े से गुड़ बनाने मे लागत और क्वालिटी में सुधार की जरूरत है। दरअसल टेक्नोलॉजी के विकास के साथ, कई ऐसे संसाधन और तकनीकें विकसित हो चुकी हैं, जिनसे गुड़ बनाने की लागत आधी और क्वालिटी बेहतर की जा सकती है। गुड़ बनाने में नई तकनीकों औऱ नई विधियों को अपनाकर कम लागत में अच्छी क्ववालिटी का उत्पाद बनाकर दोगुना मुनाफ़ा कमा सकते हैं।

मॉर्डन गुड़ यूनिट बनाने के लिए भट्टी और गन्ना क्रशर के लिए 100 वर्ग मीटर जगह वाला कमरा चाहिए
मॉडर्न गुड़ यूनिट बनाने के लिए भट्टी और गन्ना क्रशर के लिए 100 वर्ग मीटर जगह वाला कमरा चाहिए

आधुनिक गुड़ यूनिट (Modern Jaggery Unit): जानिए कृषि वैज्ञानिक डॉ. दिलीप से कि कैसे मॉडर्न गुड़ यूनिट लगाने से कर सकते हैं सालाना 35 से 40 लाख की कमाई 

प्रतिदिन 10 क्विंटल गुड़ बनाने वाली मॉडर्न गुड़ यूनिट

भारतीय गन्ना शोध संस्थान, लखनऊ (Indian Institute of Sugarcane Research, Lucknow) के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. दिलीप कुमार का कहना है कि अगर किसानों को गुड़ बनाना है तो इसमें नई तकनीकों को समावेश करें। इससे गुड़ की क्वांटिटी और क्वालिटी दोनों बढ़ाई जा सकती है जिसकी बाजार में बेहतर कीमत मिलती है। उन्होंने बताया कि उनकी संस्थान ने प्रतिदिन 10 क्विंटल गुड़ बनाने वाली तीन भट्टियों की मॉडर्न गुड़ यूनिट विकसित की है। इससे ठोस और स्वच्छ गन्ने से अधिक रस निकाल कर अच्छी क्वालिटी का गुड़ बनाया जा सकता है।

कृषि वैज्ञानिक का कहना है कि मॉडर्न गुड़ यूनिट बनाने के लिए भट्टी और गन्ना क्रशर के लिए 100 वर्ग मीटर जगह वाला कमरा चाहिए। इसके साथ ही गन्ना रखने या खोई सुखाने के लिए 200 वर्ग मीटर की जगह की जरूरत होती है। गुड़ बनाने की प्रक्रिया में सबसे पहली मशीन है क्रशर, जिससे गन्ने का रस निकाला जाता है।

इसके लिए सबसे पहले गन्ने की कटाई के समय, उसकी अच्छी तरह से सफाई करें। इसके अलावा गन्ने की जड़ें अच्छी तरह से साफ़ होनी चाहिए। गन्ना कटाई के 6 घंटे बाद और 12 घंटे से पहले इसकी पेराई(crushing) जरूरी है। इससे गन्ने के रस की गुणवत्ता बनी रहती है। इसके साथ ही इस बात को ध्यान देना चाहिए कि गन्ने की ब्रिक्स-रीडिंग 20 से 21 के बीच होनी चाहिए। इससे अच्छी क्वालिटी का गुड़ बनाने में आसानी होती है।

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आधुनिक क्रशर मशीन से निकलता 15 से 20 किलों ज्यादा गन्ना रस

डॉ दिलीप ने बताया कि बाजार में मॉडर्न गन्ना क्रशर मशीन आ गई है। इस मशीन से 100 किलो गन्ना से 60 से 65 किलो गन्ना रस निकलता है। जबकि पुराने क्रशर मशीन से 45 किलो गन्ना रस ही प्राप्त होता था। इस क्रशर मशीन को 10 हार्सपावर के मोटर से असानी पूर्वक चलाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि गन्ने का रस निकालने के बाद बारी आती है, इसे उबालकर सुखाने की।

इसके लिए संस्थान ने भट्टी में भी आधुनिक प्रयोग किए। उनकी तीन लेयर वाली स्पेशल भट्ठी कम ऊर्जा और कम समय में गुड़ तैयार कर देती है। उन्होंने बताया कि गुड़ बनाने में जिस काम को पहले डेढ़ से दो घंटे लगते थे उसे मात्र 45 मिनट में  तैयार कर दिया जाता है।

आधुनिक गुड़ यूनिट (Modern Jaggery Unit): जानिए कृषि वैज्ञानिक डॉ. दिलीप से कि कैसे मॉडर्न गुड़ यूनिट लगाने से कर सकते हैं सालाना 35 से 40 लाख की कमाई 
गन्ने के रस का तापमान 97 डिग्री होना चाहिए

आधुनिक गुड़ यूनिट (Modern Jaggery Unit): जानिए कृषि वैज्ञानिक डॉ. दिलीप से कि कैसे मॉडर्न गुड़ यूनिट लगाने से कर सकते हैं सालाना 35 से 40 लाख की कमाई 

गुड़ की गुणवत्ता,स्टोरेज क्षमता और रंग के लिए क्या है जरूरी?

आमतौर पर गन्ने के रस को उबालने के दौरान, इसकी सफ़ाई और रंग बेहतर करने के लिए, कई केमिकल भी मिलाए जाते हैं। लेकिन दिलीप कुमार का मानना है कि केमिकल की जगह सिर्फ़ वानस्पतिक शोधक से ही बेहतर सफ़ाई संभव है। इसके लिए वो जंगली भिंडी के तने का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने कहा कि 1 हज़ार लीटर गन्ने के रस की गंदगी निकालने के लिए, 2 किलो भिंडी या फालसा के रस को कड़ाहे में डालना चाहिए। इसे गर्म करते समय जो अशुद्ध पदार्थ आएं, उन्हें 15 मिनट के अंदर निकाल दें।

गुड़ में कठोरता यानी ठोसपन लाने के लिए, अरंडी या मूंगफली का 200 मिलीलीटर तेल डालना चाहिए। जब गन्ने के रस का तापमान 97 डिग्री हो जाए, उस समय 250 ग्राम चूना डालें।  इससे गुड़ का पीएच मान 6.50 से 5.50 तक आ जाता है। इसके साथ ही गुड़ का रंग बढ़िया और उसकी स्टोरेज क्षमता भी बढ़ जाती है।

सालाना 35 से 40 लाख की कमाई कर सकते हैं

डॉ दिलीप कुमार का कहना है कि आज का ज़माना वैल्यू एडिशन का है, यानी अपने प्रोडक्ट में कुछ दूसरी चीज़े जोड़ कर उसकी क्वालिटी को कई गुना बेहतर करना। जिसकी वजह से मांग में बढ़ोतरी होती है। इसके लिए आप अपने गुड़ में सौंठ, बादाम, मुंगफली, तिल, अलसी, हल्दी, आजवायन या आंवला जैसी चीजें मिला सकते हैं। संस्थान से ट्रेनिग लेकर 200 से 250 किलो वाले गुड़ को भी बनाया जा सकता है।

इससे किसान अपने गांव में गुड़ बनाने की ऐसी यूनिट लगाकर अपना व्यवसाय खड़ा कर सकते हैं। इस प्रकार की यूनिट में 15 लाख की लागत आएगी। जिससे प्रतिदिन 10 क्विंटल गुड़ बनाया जा सकता है। अगर साल में इस यूनिट का इस्तेमाल 200 दिन तक करते हैं तो 2000 क्विंटल गुड़ को बनाया जा सकता है। इसमें किसान खर्चे काटकर सालना 35 से 40 लाख रूपया कमा सकते हैं।

अगर टैग लगाकर ब्रैंडिंग के साथ गुड़ बेचना चाहते हैं तो, आपको खाद्य विभाग से लाइसेंस का पंजीकरण करवाना होगा। आप 200 से 500 ग्राम तक के बेहतर पैकेट्स बना कर इसे मार्केट में उतार सकते हैं। इस तरह आप भी अपने गन्ने से खुद अच्छी गुणवत्ता वाला गुड़ बनाकर अधिक मुनाफ़ा कमा सकते हैं। भारतीय गन्ना शोध संस्थान विकसित यूनिट है, जहां आकर आप पूरी तकनीक और विधि को सीख सकते हैं।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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