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नॉर्थईस्ट भारत (Northeast India) में इंफाल (Imphal) के एक किसान की आंखों में आज एक नई चमक है। वो गर्व से अपने खेत में उगाई गई ऑर्गेनिक लीची दिखाते हुए कहते हैं, ‘पहले हमारी मेहनत का सही दाम नहीं मिल पाता था। आज ‘मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट’ (‘Mission Organic Value Chain Development’) यानी MOVCD-NER की बदौलत हमारे उत्पादों की देशभर में मांग है।’ ये कोई अकेली कहानी नहीं है। पूर्वोत्तर भारत (Northeast India) के आठों राज्यों के हजारों किसानों के लिए ये योजना एक वरदान साबित हो रही है, जो उनकी मेहनत को नई पहचान और बाज़ार दे रही है।
नॉर्थ ईस्ट की शक्ति को पहचान
नॉर्थईस्ट भारत (Northeast India) प्रकृति की गोद में बसा हुआ है। यहां की उपजाऊ मिट्टी, अनुकूल जलवायु, बारिश से सिंचित खेत और पहाड़ी भूभाग इसे जैविक खेती (Organic farming) के लिए एक अनुकूल ‘Organic Hub’ बनाते हैं। ब्रह्मपुत्र और बराक जैसी नदियों ने इसकी भूमि को और उपजाऊ बनाया है। हालांकि, लंबे वक्त तक पारंपरिक खेती और उपज का सही बाज़ार न मिल पाने के कारण यहां के किसानों की स्थिति मज़बूत नहीं हो पा रही थी। इन्हीं चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने 2015-16 में ‘मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट फॉर नॉर्थ ईस्टर्न रीजन’ (MOVCD-NER) की शुरुआत की।
सिर्फ उपज नहीं, पूरी ‘Value Chain’ को तैयार करना
इस मिशन का टारगेट सिर्फ जैविक खेती को बढ़ावा देना नहीं है, बल्कि ‘Value Chain’ यानी ‘मूल्य श्रृंखला’ का विकास करना है। इसका मतलब है बीज से लेकर बाज़ार तक के पूरे प्रोसेस को मज़बूत करना। ये स्कीम किसानों को अलग-अलग प्लेट में मदद देने के बजाय, उन्हें फार्मर प्रोड्यूसर कंपनियों (FPCs) के रूप में जोड़ता है। असम में चिरंग, काछार, माजुली जैसे ज़िलों में 10 क्लस्टर बनाए गए हैं, जहां 500 हेक्टेयर में Organic farming का लक्ष्य रखा गया है।
नागालैंड में इसकी सफलता और भी साफ दिखती है। यहां डीमापुर/पेरेन जिले में 800 हेक्टेयर में जैविक अनानास, फेक में 500 हेक्टेयर में बड़ी इलायची और टुएनसांग में 500 हेक्टेयर में अदरक की खेती के लिए FPCs बनाई गई हैं। पहले किसानों को फार्मर्स इंटरेस्ट ग्रुप (FIGs) में संगठित किया गया, जिन्हें अब FPCs में बदला जा रहा है। इससे किसानों की collective bargaining की ताकत बढ़ी है।
सीधे लाभार्थियों के खाते में पहुंच रही मदद
इस योजना की एक बड़ी उपलब्धि डायरेक्ट बेनिफिट्स ट्रांसफ़र (DBT) है। नागालैंड में 1500 लाभार्थी किसानों के खाते में सीधे सहायता राशि पहुंचाई गई है, जिससे भ्रष्टाचार की संभावना कम हुई है। किसानों को हाई क्वालिटी वाले बीज, जैविक खाद और ज़रूरी उपकरण भी मुहैया कराए गए हैं। साथ ही, वनस्पति उत्पादों के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानक (ISO) के Equivalent जैविक प्रमाणीकरण (ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन) की व्यवस्था की गई है, ताकि उनके उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार (National and international markets) में आसानी से बेचा जा सके।
ब्रांडिंग और मार्केट एक्सेस: किसानों को मिल रहा है उत्पाद का सही दाम
MOVCD-NER की सबसे बड़ी ताकत है ब्रांड को तैयार करना और बाजार से सीधे जुड़ना। असम और नागालैंड जैसे राज्य अब अपने जैविक उत्पादों के लिए अपने अलग ब्रांड विकसित कर रहे हैं। नागालैंड के किसानों को ग्रेटर नोएडा में आयोजित ’19वें IFOAM ऑर्गेनिक वर्ल्ड कांग्रेस’ जैसे प्रतिष्ठित आयोजनों में भाग लेने का मौका मिला, जहां उन्होंने दुनिया भर के खरीदारों से सीधे कॉन्टेक्ट किया।
एक स्थायी और फायदेमंद कृषि का भविष्य
MOVCD-NER स्कीम सिर्फ एक सरकारी पहल नहीं, बल्कि नॉर्थईस्ट भारत के किसानों के जिंदगी में बदलाव की एक कहानी है। ये योजना ‘किसानों को दाना देने’ के बजाय ‘उन्हें मछली पकड़ना सिखा रही है’। फार्मर प्रोड्यूसर कंपनियां, जैविक प्रमाणन, डीबीटी और ब्रांडिंग जैसे हिस्से मिलकर एक ऐसा मजबूत इकोसिस्टम बना रहे हैं, जो पूर्वोत्तर को देश और दुनिया के ऑर्गेनिग बाजार में एक अहम खिलाड़ी के रूप में अपने आप को दिखाएगा। ये योजना न केवल किसानों की आय बढ़ा रही है, बल्कि स्वस्थ भोजन की आपूर्ति करके देश के स्वास्थ्य में भी योगदान दे रही है।
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