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आपने अक्सर अख़बारों में या न्यूज़ चैनलों पर ये ख़बरें देखी होंगी- ‘दूध में मिलावट पकड़ी गई’, ‘सिंथेटिक दूध और पनीर का काले धंधा भड़ाफोड़’। ये कोई अलग-थलग घटनाएं नहीं रह गई हैं। आज हर दूसरा कस्टमर दूध, दही, पनीर, घी खरीदते वक्त सहमा रहता है। क्या ये सचमुच गाय-भैंस का दूध है? कहीं ए-1 दूध तो ए-2 के नाम पर नहीं बेचा जा रहा? ऑर्गेनिक के नाम पर कहीं ठगी तो नहीं हो रही? ये सवाल अब हर किसी के मन में घर कर गए हैं।
भरोसे की इसी जंग में ‘Traceability System’ बन रहा है गेम-चेंजर
जी हां, अब कस्टमर सिर्फ एक्सपायरी डेट देखकर सामान नहीं खरीदना चाहता। वो जानना चाहता है कि जो घी का डिब्बा उसने हाथ में लिया है, उसकी स्टोरी क्या है? किस गाय का दूध है ये? वो गाय कहां पली? उसे कौन-सा चारा दिया गया? क्या उसे सारे टीके लगे हैं? उसके दूध में फैट और प्रोटीन की मात्रा कितनी है? ये दूध किस डेयरी में घी में तब्दील हुआ? इस घी ने कौन-से क्वालिटी टेस्ट पास किए? प्रोडक्ट की इस ‘लाइफ साइकिल’ का पूरा ब्योरा ही ‘ट्रेसेबिलिटी सिस्टम’ है। और यही वो ताकत है जो डेयरी उद्योग में खोए हुए भरोसे को वापस ला सकती है।
कैसे काम कर रहा है ये जादू? जवाब है-Artificial Intelligence (AI)
ट्रेसेबिलिटी सिस्टम (traceability System) की रीढ़ अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बन गई है। डेयरी और पशुपालन का क्षेत्र अब पुराने ढर्रे से बाहर निकल रहा है, जहां कभी कहीं भी एक जगह डेटा स्टोर नहीं होता था। आज एआई की मदद से हर पशु, हर दिन, हर मिनट का डेटा रिकॉर्ड किया जा रहा है। ये एक क्रांतिकारी बदलाव लेकर आया है।
एआई-बेस्ड ट्रेसेबिलिटी सिस्टम ये सब रिकॉर्ड करता है-
पशु की पूरी जानकारी: गाय/भैंस की नस्ल, उम्र, वजन, पारिवारिक इतिहास (फैमिली ट्री) और उसका स्थान (शहर/राज्य)।
हेल्थ रिपोर्ट कार्ड: पशु को कौन-कौन से टीके लगे, उसे पहले कौन-सी बीमारियाँ हुईं, और उसकी वर्तमान स्वास्थ्य स्थिति।
आहार की डीटेल: पशु को खिलाया जाने वाला हरा चारा, सूखा चारा, और मिनरल्स की सटीक मात्रा।
दूध का एनालिसिस: हर बार के दूध देने पर उसमें मौजूद फैट, प्रोटीन और SNF (सॉलिड्स नॉट फैट) का स्तर।
प्रोसेसिंग का सफर: दूध कब, कहाँ और कैसे घी, पनीर या दही में बदला गया, और उसने कौन-से गुणवत्ता परीक्षण पास किए।
सिर्फ भरोसा ही नहीं, लागत भी कर रहा है कम
एआई का फायदा सिर्फ ट्रेसेबिलिटी तक सीमित नहीं है। ये डेयरी किसानों की लागत को 10 फीसदी तक कम करने में मददगार साबित हो रहा है। भारत में प्रति पशु दूध उत्पादन ग्लोबल लेवल से काफी पीछे है, और इसकी सबसे बड़ी वजह है Unscientific management। एआई अब यहां बदलाव ला रहा है।
1.स्मार्ट फीड मैनेजमेंट
एआई पशु की उम्र, वजन, और दूध उत्पादन के आधार पर उसकी सटीक पोषण संबंधी जरूरतों का पता लगाता है। इससे न तो चारे की बर्बादी होती है और न ही पशु कुपोषण का शिकार होता है।
2.रोग नियंत्रण
एआई सिस्टम पशुओं में बीमारी के शुरुआती लक्षणों को पहचानकर उसकी सूचना किसान को दे देता है, जिससे समय रहते इलाज संभव हो पाता है और नुकसान कम होता है।
डेयरी उद्योग का एआई युग में कदम
डेयरी उद्योग एक नए युग में कदम रख चुका है, जहां ‘अंधविश्वास’ की जगह ‘डेटा’ और ‘छुपाने’ की जगह ‘ट्रांसपेरेंसी’ ले रही है। एआई-संचालितTraceability system सिर्फ एक तकनीक नहीं, बल्कि एक सामाजिक जिम्मेदारी है। ये ग्राहक को उसका हक दिलाता है, किसान को बेहतर मुनाफा दिलाता है और एक स्वस्थ भविष्य की नींव रखता है।
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