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भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कही जाने वाली कृषि आज एक बड़े मोड़ पर खड़ी है। एक ओर रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों (Chemical Fertilizers And Pesticides) के अंधाधुंध इस्तेमाल से ज़मीन बंजर हो रही है और सेहत पर बुरे प्रभाव पड़ रहे हैं,वहीं दूसरी ओर सरकार का ज़ोर अब जैविक खेती (Organic Farming) को बढ़ावा देने पर है। ये सिर्फ एक तरकीब नहीं, बल्कि हमारे पूर्वजों की उस सोच की वापसी है जो प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर खेती करने में भरोसा रखती थी। परंपरागत कृषि विकास योजना (Paramparagat Krishi Vikas Yojana) (PKVY) इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। परंपरागत कृषि विकास योजना केवल ऑर्गेनिक फार्मिंग को प्रोत्साहन ही नहीं दे रही, बल्कि किसानों को ‘End-To-End Support’ यानी प्रोडक्शन से लेकर प्रोसेसिंग, सर्टिफिकेशन और मार्केटिंग तक का पूरा ढांचा मुहैया करा रही है।
क्लस्टर-आधारित इस सोंच का सबसे बड़ा फायदा ये है कि छोटे किसान अब अकेले नहीं, बल्कि एक समूह के रूप में मजबूती से खड़े होते हैं।
PKVY की वित्तीय मदद
PKVY की सबसे ख़ास बात है इसकी ठोस वित्तीय मदद। राज्यों को 3 साल के लिए 31,500 रुपये प्रति हेक्टेयर की सहायता दी जाती है। इसमें से 15,000 रुपये सीधे किसानों के खाते में DBT के जरिए भेजे जाते हैं, ताकि वे जैविक खाद और अन्य जरूरी चीजें खरीद सकें। इसके अलावा, मार्केटिंग, पैकेजिंग और ब्रांडिंग के लिए 4,500 रुपये, प्रमाणन के लिए 3,000 रुपये और ट्रेनिंग के लिए 9,000 रुपये प्रति हेक्टेयर का प्रावधान है। आंकड़े बताते हैं कि 2015-16 से अब तक इस योजना के तहत 14.99 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि को जैविक खेती के दायरे में लाया जा चुका है, जिसमें 25.30 लाख से ज्यादा किसान जुड़े हैं।
FPO: किसानों की ताकत
किसानों की ताकत उनकी एकजुटता में है। इसी सोच के साथ 10,000 FPO (किसान उत्पादक संगठन) बनाने की योजना पर काम चल रहा है। 31 दिसंबर 2024 तक 9,268 FPO पंजीकृत हो चुके हैं। ये संगठन किसानों को इनपुट, क्रेडिट और मार्केटिंग की चुनौतियों से निपटने में मदद करते हैं।
जैविक खेती क्या है और क्यों ज़रूरी है?
Organic Farming सिर्फ रासायनिक खाद और कीटनाशकों का इस्तेमाल न करने भर की बात नहीं है। यह एक समग्र दर्शन है जो फसल चक्र, फसल अवशेष, जैविक खाद और मिट्टी में मौजूद प्राकृतिक पोषक तत्वों के जरिए खेती को आगे बढ़ाता है। इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति लंबे समय तक बनी रहती है, जैव-विविधता बढ़ती है और पर्यावरण स्वस्थ रहता है। सबसे बड़ी बात, जैविक उत्पाद सेहत के लिए सुरक्षित होते हैं और बाजार में इनकी कीमत भी अच्छी मिलती है, जिससे किसान की आय में सीधा इजाफा होता है।
एक अच्छे भविष्य की ओर
PKVY, FPO और PMKMY जैसी योजनाएं किसानों के लिए एक सुरक्षा कवच का काम कर रही हैं। जैविक खेती की ओर यह बढ़ता रुझान न सिर्फ किसानों के लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद है, बल्कि यह देश को जहर मुक्त अनाज देकर एक स्वस्थ भविष्य की नींव रख रहा है। यह हमारी पुरानी परंपरा और नई तकनीक का ऐसा सुंदर मेल है जो भारत की कृषि को नई दिशा और दशा दे सकता है। जरूरत है तो बस इसके प्रति जागरूकता बढ़ाने और इन योजनाओं का लाभ हर छोटे-बड़े किसान तक पहुंचाने की।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।