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उत्तराखंड (Uttarakhand) के पहाड़ी इलाकों में खरीफ सीज़न की फसलों की खरीद (Kharif crops) का बिगुल बज चुका है। राज्य सरकार ने खरीफ ख़रीद सीजन 2025-26 के लिए फसल खरीद प्रोसेस की शुरुआत कर दी है। इसके तहत किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए राज्य मिलेट मिशन योजना (Rajya Millet Mission Yojana) के तहत व्यापक इंतजाम किए गए हैं। इस साल खास बात ये है कि सरकार ने पौष्टिक अनाजों (Millets) को बढ़ावा देने और किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाए हैं।
किसानों को मिल रहा है बेहतर दाम
इस साल राज्य सरकार ने मिलेट्स फसलों के लिए जो मूल्य तय किए हैं, वे किसानों के हित में हैं। चौलाई के लिए किसानों को 50 रुपये प्रति किलोग्राम का भाव मिल रहा है, जबकि मंडुआ (रागी) के लिए 48.86 रुपये प्रति किलोग्राम का मूल्य तय किया गया है। इसी तरह सोयाबीन के लिए 40 रुपये प्रति किलोग्राम और झंगोरा के लिए 25 रुपये प्रति किलोग्राम का भाव दिया जा रहा है। इन फसलों के लिए तय की गई कीमतें किसानों को उनकी मेहनत का उचित मूल्य दिलाने में सक्षम हैं।
दूरस्थ क्षेत्रों की महिलाओं के लिए ख़ास प्रोत्साहन
राज्य सरकार ने दूरस्थ क्षेत्रों की महिलाओं को प्रोत्साहित करने के लिए एक ख़ास पहल की है। जब ये महिलाएं खरीद केंद्र पर अपनी उपज बेचने आती हैं, तो उन्हें 1 रुपये प्रति किलोग्राम की अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। इस कदम का उद्देश्य महिला किसानों को ज़्यादा से अधिक संख्या में ख़रीद केंद्रों तक पहुंचने के लिए प्रेरित (Inspired) करना है, ताकि वे भी अपनी फसल का बेहतर मूल्य पा सकें।
सहकारी समितियों को मिली जिम्मेदारी
उत्तराखंड राज्य सहकारी संघ लिमिटेड (Uttarakhand State Co-operative Federation Limited) ने सहकारी समितियों को फसल खरीद की जिम्मेदारी सौंपी है। इन समितियों के ज़रीये से दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों से मंडुवा, झंगोरा, चौलाई और सोयाबीन जैसे Millet फसलों की ख़रीद की जा रही है। इस व्यवस्था से किसानों को सीधे तौर पर लाभ मिल रहा है और उन्हें अपनी फसल बेचने के लिए दूर-दूर तक नहीं जाना पड़ रहा है।
चम्पावत समेत दूसरे ज़िलों में बनाए गए ख़रीद केंद्र
राज्य मिलेट मिशन योजना (Rajya Millet Mission Yojana) के तहत फसल खरीद के लिए चम्पावत ज़िले में 22 क्रय केंद्र (Purchasing Center) बनाए गए हैं। इनमें चम्पावत, हरतोला, मंच, सीमियां, सिप्टी, कोट अमोड़ी, धूरा, चानमारी, धरमघर, दिगालीचौड़, खतेड़ा, ड्मडई, बाराकोट, बापरू, इन्द्रपूरी, वल्सों, बांजगांव, गोशनी, रौलमेल, देवीधूरा, दूबड़ और चौड़ामेहता शामिल हैं। इन केंद्रों पर रोज़ सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक फसलों की ख़रीद की जा रही है। इसी तरह दूसरे ज़िलों में भी बड़ी संख्या में खरीद केंद्र बनाए गए हैं।
किसानों के लिए ठहरने और उपज रखवाने की व्यवस्था
खरीद केंद्रों पर किसानों के लिए समुचित ठहरने और उपज रखवाने की व्यवस्था भी की गई है। इससे किसानों को दिनभर बिक्री करने में कोई दिक्कत नहीं होती और वे आराम से अपनी फसल बेचकर घर लौट सकते हैं। यह व्यवस्था विशेष रूप से उन किसानों के लिए फायदेमंद है, जिन्हें दूर-दराज के इलाकों से आना पड़ता है।
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