The Story of Golden Fibres: भारत की पश्मीना से लेकर शेख़ावटी ऊन ने दुनिया में बजाया अपना डंका,ऊन उत्पादन में भारत ने मारी बाजी!

भारत ने ऊन उत्पादन (Wool Production) एक चमकता हुआ रत्न (The Story of Golden Fibres) है। वर्ष 2023-24 में भारत ने 33.69 मिलियन किलोग्राम (लगभग 3.37 करोड़ किलो) ऊन का उत्पादन करके एक नई उपलब्धि हासिल की है।

The Story of Golden Fibres: भारत की पश्मीना से लेकर शेख़ावटी ऊन ने दुनिया में बजाया अपना डंका,ऊन उत्पादन में भारत ने मारी बाजी!

भारत का कृषि और पशुपालन क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, और इसमें ऊन उत्पादन (Wool Production) एक चमकता हुआ रत्न (The Story of Golden Fibres) है। वर्ष 2023-24 में भारत ने 33.69 मिलियन किलोग्राम (लगभग 3.37 करोड़ किलो) ऊन का उत्पादन करके एक नई उपलब्धि हासिल की है। ये आंकड़ा न सिर्फ देश के पशुधन फाइबर क्षेत्र की मजबूती का प्रतीक है, बल्कि देश भर के pastoral (पशुपालक) समुदायों के की मेहनत और दक्षता को भी दिखाता करता है।

भारत में ऊन उत्पादन: एक नजर में

पिछले वर्ष की तुलना में भारत के ऊन उत्पादन में 0.22 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। ये छोटी लग सकती है, लेकिन यह एक स्थिर और पॉजिटिव रुझान को दिखाती है। ये सुधार उन्नत पशु प्रबंधन तकनीकों, पशुओं के स्वास्थ्य पर बढ़ते ध्यान और स्थानीय, स्वदेशी फाइबर के प्रति बढ़ती ग्लोबल मांग का सीधा रिज़ल्ट है।

भारत में ऊन का उत्पादन मुख्य रूप से भेड़, बकरी, याक और खरगोश जैसे जानवरों से होता है। हालांकि, व्यावसायिक स्तर पर भेड़ पालन सबसे प्रमुख है।

भारत में ऊन देने वाले प्रमुख जानवर:

भेड़ (Sheep): देश की अधिकांश ऊन का सोर्स (Source of most of the country’s wool)। राजस्थान की चोकला, मगरा, नेली और हिमाचल प्रदेश की भद्राव, रामपुर बुशैर जैसी नस्लें मोटे और मध्यम ऊन के लिए जानी जाती हैं।

बकरी (Goat): यहां ऊन नहीं, बल्कि दुनिया की सबसे महीन और कीमती फाइबर पश्मीना (Pashmina) मिलती है। ये चांगथांगी बकरी के बालों से बनती है, जो लद्दाख के ऊंचे, ठंडे रेगिस्तानी इलाकों में पाली जाती है।

याक (Yak): हिमालयी क्षेत्रों में याक के बालों से भी मोटी और गर्म ऊन प्राप्त की जाती है, जिसका उपयोग स्थानीय समुदायों द्वारा कंबल और कपड़े बनाने में किया जाता है।

खरगोश (Rabbit): एंगोरा खरगोश से प्राप्त होने वाला मोहर (Mohair) और अन्य प्रकार के खरगोश ऊन भी एक विशेष बाजार में अपनी जगह बनाते हैं।

भारत के शीर्ष ऊन उत्पादक राज्य

भारत का ऊन उत्पादन कुछ राज्यों में केंद्रित है, जिनकी भौगोलिक और जलवायु परिस्थितियां (Geographic and climatic conditions) हैं। वर्ष 2023-24 में, देश की कुल ऊन का 87.76 फीसदी हिस्सा इन पांच राज्यों से आया है:

राजस्थान: देश का अग्रणी ऊन उत्पादक राज्य। यहां की मारवाड़ी भेड़ें मजबूत और मोटे ऊन के लिए प्रसिद्ध हैं। राज्य की शेखावाटी और मारवाड़ पट्टी ऊन उत्पादन का केंद्र है।

जम्मू और कश्मीर (ख़ासकर लद्दाख): यह क्षेत्र ‘सोने की खान’ यानी पश्मीना ऊन के लिए विश्वविख्यात है। यहां की चांगथांगी बकरी से प्राप्त होने वाला महीन फाइबर दुनिया भर में लक्जरी उत्पादों में इस्तेमाल होता है।

गुजरात: कच्छ और सौराष्ट्र के क्षेत्रों में भेड़ पालन एक प्रमुख व्यवसाय है, जो देश के ऊन उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

महाराष्ट्र: राज्य के विदर्भ और मराठवाड़ा क्षेत्रों में महत्वपूर्ण संख्या में भेड़ पालन होता है।

हिमाचल प्रदेश: हिमालयी राज्य होने के नाते यहां की भेड़ों से अच्छी quality की ऊन प्राप्त होती है।

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दुनिया के ऊन उत्पादन देश 

भारत का ऊन उत्पादन देश की जरूरतों को पूरा करने और निर्यात में महत्वपूर्ण है, लेकिन वैश्विक स्तर पर ऊन उत्पादन में कुछ देश सबसे आगे हैं, जिनकी economy में ऊन एक प्रमुख commodity है।

विश्व के शीर्ष ऊन उत्पादक देश:

ऑस्ट्रेलिया (Australia): दुनिया में सबसे ज्यादा और सबसे उच्च गुणवत्ता वाली मेरिनो ऊन (Merino Wool) का उत्पादन करने वाला देश। वैश्विक बाजार पर इसका दबदबा है।

चीन (China): ऊन के सबसे बड़े उत्पादक और उपभोक्ता देशों में से एक। चीन में भेड़ पालन का पैमाना बहुत बड़ा है।

न्यूजीलैंड (New Zealand): अपनी मजबूत और उच्च गुणवत्ता वाली ऊन, विशेष रूप से क्रॉसब्रेड और मेरिनो ऊन के लिए जाना जाता है। यहां की ऊन का इस्तेमाल प्रीमियम कपड़ों और कार्पेट में होता है।

संयुक्त राज्य अमेरिका (USA): टेक्सास और अन्य राज्यों में महत्वपूर्ण ऊन उत्पादन होता है, हालांकि यह मुख्य रूप से घरेलू बाजार के लिए होता है।

अर्जेंटीना (Argentina) और यूनाइटेड किंगडम (UK): भी  ग्लोबल ऊन बाजार में अपनी एक अहम भूमिका निभाते हैं।

क्या आप जानते हैं? (Did You Know?)

पश्मीना की कीमत: प्योर पश्मीना ऊन (Pashmina Wool) इतनी महीन होती है कि एक साधारण शॉल को एक अंगूठी में से आसानी से निकाला जा सकता है। इसकी कीमत सोने से भी ज्यादा हो सकती है!

मेरिनो की विशेषता: ऑस्ट्रेलियाई मेरिनो ऊन (Merino Wool) में प्राकृतिक रूप से जीवाणुरोधी गुण होते हैं और यह नमी को सोखकर भी शरीर को गर्म रखती है।

ऊन से ज्यादा ऊन: एक भेड़ से हर साल औसतन 2 से 5 किलो ऊन प्राप्त होती है, जिससे लगभग 5-10 स्वेटर बन सकते हैं।

एक पुराना बिज़नेस: ऊन का  इस्तेमाल और प्रोडक्शन लगभग 10,000 ईसा पूर्व से हो रहा है, जो इसे मानव इतिहास के सबसे पुराने उद्योगों में से एक बनाता है।

भारत की विविधता: भारत में 40 से अधिक विभिन्न नस्लों की भेड़ें पाई जाती हैं, जो देश की जैविक विविधता को दर्शाती हैं।

 भारत का ऊन उत्पादन क्षेत्र विकास के पथ पर आगे है। राजस्थान के रेतीले मैदानों से लेकर लद्दाख की बर्फीली चोटियों तक, देश के पशुपालक समुदाय देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और दुनिया को उच्च गुणवत्ता वाला प्राकृतिक फाइबर उपलब्ध कराने में अपना योगदान दे रहे हैं। टिकाऊ पशुपालन, तकनीकी नवाचार और ग्बोबल मार्केट से जुड़ाव के साथ, भारत का ऊन क्षेत्र एक उज्जवल भविष्य की ओर देख रहा है।

 

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