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भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (Food Safety and Standards Authority of India) यानि FSSAI ने खाद्य कंपनियों के लिए एक बड़ा निर्णय लिया है। अब कोई भी कंपनी अपने उत्पादों (Food Packets) पर ‘100% शुद्ध’, ‘100 फीसदी नेचुरल’ या ‘100 प्रतिशत फ्रूट जूस’ जैसे दावे नहीं कर पाएगी। क्यों? क्योंकि ये दावे ग्राहकों को गुमराह करते हैं और अक्सर इनका कोई वैज्ञानिक या कानूनी आधार नहीं होता।
अगर आप भी इन दावों पर भरोसा करके प्रोडक्ट्स (Food Packets) ख़रीदते हैं, तो ये ख़बर आपके लिए बेहद ज़रूरी है।
क्या है पूरा मामला?
FSSAI ने हाल ही में सभी खाद्य कंपनियों को चेतावनी जारी की है कि वे अपने पैकेट, लेबल और विज्ञापनों में ‘100%’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल न करें। इसकी वजह यह है कि:
- कोई कानूनी परिभाषा नहीं: FSSAI के अनुसार, खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2006 और पैकेजिंग-लेबलिंग नियम 2018 में ‘100% शुद्ध’ जैसे शब्दों की कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं है।
- भ्रामक हो सकता है: जब कोई कंपनी ‘100% फ्रूट जूस’ लिखती है, तो ग्राहक समझता है कि इसमें कोई मिलावट नहीं है, जबकि ऐसा होना जरूरी नहीं।
- पहले भी हुआ विवाद: इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट में डाबर कंपनी के खिलाफ मामला चला था, जहां FSSAI ने कहा था कि ‘100% फ्रूट जूस’ का दावा भ्रामक है।
क्या अब बंद हो जाएंगे ‘100%’ वाले प्रोडक्ट?
नहीं, प्रोडक्ट्स बाजार में रहेंगे, लेकिन अब कंपनियों को अपने लेबल और विज्ञापनों से ‘100%’ शब्द हटाना होगा। FSSAI ने जून 2024 में ही फलों के रस बनाने वाली कंपनियों को निर्देश दिया था कि वे ‘100% फ्रूट जूस’ जैसे दावे हटाएं।
क्यों लिया गया यह फैसला?
1. ग्राहकों मिल रहा था धोखा
कई कंपनियां ‘100% नेचुरल’ या ‘100 फीसद शुद्ध’ लिखकर ग्राहकों को लुभाती हैं, लेकिन असल में उन उत्पादों में प्रिजर्वेटिव्स, आर्टिफिशियल फ्लेवर या शुगर सिरप मिला होता है।
2. कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं
FSSAI का कहना है कि ‘100%’ शब्द का कोई टेस्ट या वैज्ञानिक मानक नहीं है, जिससे ये साबित हो कि उत्पाद वाकई शुद्ध है।
3. नियमों का उल्लंघन
भारत के कानून के मुताबिक, कोई भी भ्रामक दावा करना गैरकानूनी है। अगर कोई कंपनी ऐसा करती है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
अब क्या बदलेगा?
विज्ञापन और लेबलिंग में पारदर्शिता
FSSAI ने साफ कहा है कि अब विज्ञापन और लेबल पर दी गई जानकारी स्पष्ट, सच्ची और सटीक होनी चाहिए।
ब्रांडिंग में सावधानी बरतनी होगी
कंपनियों को अब अपने मार्केटिंग और पैकेजिंग में ज्यादा सतर्कता बरतनी होगी। झूठे दावे करने पर जुर्माना या बैन भी लग सकता है।
उपभोक्ताओं को मिलेगा सही चुनाव का अधिकार
अब ग्राहकों को सही जानकारी मिलेगी, जिससे वे स्वास्थ्य के अनुकूल सही निर्णय ले सकेंगे।
ग्राहकों के लिए क्या सबक?
- लेबल को ध्यान से पढ़ें: सिर्फ ‘100% नेचुरल’ लिखा होने का मतलब यह नहीं कि उत्पाद वाकई शुद्ध है।
- इंग्रेडिएंट्स चेक करें: पैकेट के पीछे लिखे सामग्री की सूची को ज़रूर देखें।
- FSSAI लोगो का रखें ध्यान: हमेशा FSSAI-अप्रूव्ड प्रोडक्ट्स ही खरीदें।
अब नहीं चलेगा झांसा!
FSSAI का यह कदम उपभोक्ता अधिकारों की दिशा में एक बड़ा कदम है। अब कंपनियों को झूठे दावों से बचना होगा और ग्राहकों को असली और शुद्ध उत्पाद मिलेंगे। तो अगली बार जब भी कोई प्रोडक्ट खरीदें, ‘100%’ के झांसे में न आएं।
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