Vessel Communication and Support System: भारतीय समुद्र में सुरक्षा और संचार की क्रांति, मछुआरों को मिली रियल-टाइम वेसल कम्युनिकेशन सुविधा

केंद्र सरकार ने 'वेसल कम्युनिकेशन एंड सपोर्ट सिस्टम' (Vessel Communication and Support System) लागू करके मछुआरों को उनके परिवारों और अधिकारियों से जोड़ दिया है। ये सिस्टम न सिर्फ उनकी सुरक्षा को देखेगा बल्कि मौसम की जानकारी, आपातकालीन संदेश (Emergency Message) और समुद्र में बेहतर मछली पकड़ने के लिए Route की जानकारी भी देगा।

Vessel Communication and Support System: भारतीय समुद्र में सुरक्षा और संचार की क्रांति, मछुआरों को मिली रियल-टाइम वेसल कम्युनिकेशन सुविधा

भारत के लाखों मछुआरों के लिए अब समुद्र में मछली पकड़ने का काम (fishing at sea) पहले से कहीं ज्यादा सुरक्षित और आसान हो गया है। केंद्र सरकार ने ‘वेसल कम्युनिकेशन एंड सपोर्ट सिस्टम’ (Vessel Communication and Support System) लागू करके मछुआरों को उनके परिवारों और अधिकारियों से जोड़ दिया है। ये सिस्टम न सिर्फ उनकी सुरक्षा को देखेगा बल्कि मौसम की जानकारी, आपातकालीन संदेश (Emergency Message) और समुद्र में बेहतर मछली पकड़ने के लिए Route की जानकारी भी देगा।

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क्या है ये ‘वेसल कम्युनिकेशन एंड सपोर्ट सिस्टम’?

इसरो (ISRO)  द्वारा विकसित ये सैटेलाइट-आधारित संचार प्रणाली मछुआरों को समुद्र में वास्तविक समय (real-time) में जानकारी देगी। इसके तहत मछली पकड़ने वाली नौकाओं पर ट्रांसपोंडर लगाए गए हैं, जो GSAT-6 और GSAT-N3 सैटेलाइट के ज़रीये से ज़मीन पर मौजूद मॉनिटरिंग सेंटर से जुड़ते हैं। मछुआरों के स्मार्टफोन पर एक ख़ास ऐप भी इंस्टॉल किया गया है, जिसमें कई तरह की सुविधाएं शामिल हैं- 

  • मौसम की जानकारी और चक्रवात अलर्ट
  • मछलियों की उपलब्धता का पूर्वानुमान
  • नौका की लाइव लोकेशन ट्रैकिंग
  • आपातकालीन SOS सुविधा
  • सुरक्षित मार्ग सुझाव

क्यों जरूरी था ये सिस्टम?

पहले मछुआरे समुद्र में मोबाइल नेटवर्क के बाहर होने पर अपने परिवार या अधिकारियों से कॉन्टेक्ट नहीं कर पाते थे। VHF रेडियो और फोन कॉल पर निर्भर रहने के कारण इमरजेंसी  में मदद मिलने में देरी होती थी। कई बार नाव मालिक भी नौका का सही स्थान नहीं बता पाते थे, जिससे मछुआरों की जान को खतरा बना रहता था।

उदाहरण के लिए, पिछले साल अक्टूबर में जब चक्रवात डेना ने ओडिशा तट की ओर रुख किया, तो इस सिस्टम के जरिए मछुआरों को समय रहते चेतावनी भेजी गई और उनकी जान बचाई गई।

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कैसे काम करता है ये सिस्टम?

  1. ट्रांसपोंडर: हर नाव पर लगा ये उपकरण सैटेलाइट के जरिए नौका की लोकेशन कंट्रोल रूम को भेजता है 
  2. मोबाइल ऐप: मछुआरों को मौसम, मछली का झुंड और आपातकालीन संदेश मिलते हैं
  3. मॉनिटरिंग सेंटर: 9 तटीय राज्यों और 4 केंद्रशासित प्रदेशों में 73 मॉनिटरिंग स्टेशन बनाए गए हैं 
  4. इमरजेंसी अलर्ट: तूफान या अन्य खतरों की स्थिति में अधिकारी सीधे मछुआरों को संदेश भेज सकते हैं 

कितनी नौकाओं को मिल चुका है ये सिस्टम?

भारत सरकार ने अब तक 42,316 मैकेनाइज्ड और 46,900 मोटराइज्ड नौकाओं पर ये सिस्टम लगाया है।  

किन्हें मिलेगा फायदा?

  1. मछुआरे: मौसम चेतावनी, सुरक्षित मार्ग और आपातकालीन बचाव सुविधा।
  2. नाव मालिक: नौका की रियल-टाइम लोकेशन और क्रू से सीधे बातचीत।
  3. मत्स्य विभाग: आपदा प्रबंधन और नौकाओं पर नज़र।
  4. तटरक्षक बल: तस्करी रोकने और जान बचाने में मदद।

विदेशों में फंसे मछुआरों की सुरक्षा

राज्यसभा के अनुसार, 2024 से अब तक 535 भारतीय मछुआरों को श्रीलंका, पाकिस्तान और अन्य देशों से रिहा कराया गया है। श्रीलंकाई नौसेना द्वारा हमलों की घटनाएं भी कम हुई हैं, लेकिन अभी भी चुनौतियां बनी हुई हैं।

Vessel Communication and Support System: भारतीय समुद्र में सुरक्षा और संचार की क्रांति, मछुआरों को मिली रियल-टाइम वेसल कम्युनिकेशन सुविधा

कैसे बदल रहा है मछुआरों का जीवन?

1.अब नहीं होती नौकाओं की गुमशुदगी

पहले अगर कोई नाव समुद्र में फंस जाती थी, तो उसका पता लगाना मुश्किल होता था। लेकिन अब GPS ट्रैकिंग से तटरक्षक बल (Coast Guard) और मछुआरों के परिवार वाले रियल-टाइम में नाव की स्थिति देख सकते हैं।

2.चक्रवात और तूफान से पहले ही चेतावनी

2017 में चक्रवात ओखी ने केरल और तमिलनाडु के सैकड़ों मछुआरों की जान ले ली थी। अब इस सिस्टम के जरिए 72 घंटे पहले ही मछुआरों को अलर्ट मिल जाता है, जिससे वे सुरक्षित लौट आते हैं।

3.आपातकाल में तुरंत बचाव

अगर नाव डूबने लगे या इंजन खराब हो जाए, तो मछुआरा SOS बटन दबा सकता है। इससे तटरक्षक बल को उसकी सटीक लोकेशन पता चल जाती है और वे हेलिकॉप्टर या जहाज़ से बचाव करते हैं।

सरकार और प्राइवेट कंपनियों की भूमिका

भारत सरकार ने ‘सागर मित्र’ और ‘नविक’ जैसी योजनाएं शुरू की हैं, जिनके तहत मछुआरों को सब्सिडी पर डिजिटल डिवाइस दिए जा रहे हैं।  

फिश ट्रैकर डिवाइस: 500-1000 रूपये की कीमत में मिलने वाला ये डिवाइस  GPS और SOS सुविधा से लैस है।

मछुआरा मोबाइल ऐप: मौसम अपडेट, बाजार भाव और आपातकालीन नंबरों की जानकारी देता है।

ISRO का सहयोग: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सैटेलाइट कम्युनिकेशन से मछुआरों को जोड़ा है।

 डिजिटल क्रांति से समुद्र की सुरक्षा

ये नई प्रणाली न सिर्फ मछुआरों की जिंदगी बचाएगी, बल्कि ट्रैसेबल और सस्टेनेबल फिशिंग को भी बढ़ावा देगी। अब मछुआरों के परिवारों को उनकी सुरक्षा को लेकर चिंता नहीं होगी, क्योंकि वे हर पल उनसे जुड़े रहेंगे। 

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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