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केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल स्थित भारतीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान (ICAR-CIAE) का दौरा किया और वहां किसानों के हित में विकसित की गई तकनीकों की समीक्षा की। उन्होंने संस्थान के वैज्ञानिकों, छात्रों और कर्मचारियों को संबोधित करते हुए तकनीकी नवाचारों को किसानों तक पहुँचाने की जरूरत पर जोर दिया, विशेषकर छोटे किसानों के लिए उपयुक्त तकनीकों के विकास की बात कही।
किसानों तक पहुंचे उपयोगी तकनीकें
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि वैज्ञानिकों द्वारा विकसित तकनीकों का लाभ तभी है जब वे खेतों में लागू हों और किसान उनका लाभ उठा सकें। उन्होंने ICAR-CIAE द्वारा हाल के वर्षों में किए गए कार्यों की समीक्षा की और निर्देश दिया कि देश के विभिन्न हिस्सों की आवश्यकताओं को पहचानते हुए आगामी 10 वर्षों की यंत्रीकरण रणनीति बनाई जाए। उन्होंने कहा कि यह योजना विकसित भारत अभियान को मज़बूती देगी।
छोटे किसानों के लिए वैकल्पिक ऊर्जा पर आधारित उपकरणों की जरूरत
शिवराज सिंह चौहान ने खास तौर पर छोटे किसानों के लिए वैकल्पिक ऊर्जा से चलने वाले छोटे उपकरणों और सेंसर आधारित कृषि प्रणालियों के विकास को प्राथमिकता देने की बात कही। उन्होंने देशभर में किसान मेले आयोजित करने और यंत्रीकरण पर मंथन सत्र करने का भी सुझाव दिया, ताकि सभी हितधारक मिलकर एक समग्र योजना बना सकें।
तकनीक से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर जोर
शिवराज सिंह चौहान ने खाद्य सुरक्षा, मृदा स्वास्थ्य और ‘लैब से खेत तक’ तकनीक के प्रभावी प्रसार की जरूरत पर भी बल दिया। उन्होंने वैज्ञानिकों से अपील की कि वे ऐसी तकनीकें विकसित करें जो न केवल उन्नत हों, बल्कि किसान के लिए सुलभ और किफायती भी हों।
CIAE द्वारा विकसित मशीनरी की सराहना
अपने दौरे के दौरान शिवराज सिंह चौहान ने संस्थान द्वारा विकसित ट्रैक्टर चालित प्लास्टिक मल्च लेयर-कम-प्लांटर मशीन का अवलोकन किया और इसकी उपयोगिता की सराहना की। यह मशीन एक साथ बेड बनाना, ड्रिप लाइन बिछाना, प्लास्टिक मल्च लगाना और बीज बोने का काम करती है, जिससे समय, श्रम और लागत तीनों की बचत होती है।
- यह मशीन 1.7 किमी/घंटा की गति से 0.2 हेक्टेयर प्रति घंटा की कार्य क्षमता और 74% दक्षता से काम करती है।
- इसकी लागत ₹3 लाख है और ₹1500 प्रति घंटा ऑपरेशनल खर्च है।
- इस मशीन से प्रति हेक्टेयर 6600 रुपये और 26 श्रमिक की बचत होती है।
- यह खरबूज, खीरा, स्वीट कॉर्न, भिंडी, मटर, बीन जैसी उच्च मूल्य वाली फ़सलों की खेती के लिए उपयुक्त है।
वैज्ञानिक समुदाय को मिले नए निर्देश
इस कार्यक्रम में ICAR के महानिदेशक डॉ. एम.एल. जाट, डॉ. एस.एन. झा (डिप्टी डायरेक्टर जनरल), डॉ. ए.के. नायक (डीडीजी एक्सटेंशन), डॉ. सी.आर. मेहता (निदेशक, ICAR-CIAE), और डॉ. एम. मोहंती (निदेशक, ICAR-IISS, भोपाल) की उपस्थिति रही। सभी वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने शिवराज सिंह चौहान के विजन की सराहना की और तकनीक को गांव-गांव तक पहुंचाने का संकल्प दोहराया।
एकीकृत योजना से होगा कृषि क्षेत्र का यंत्रीकरण
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कृषि के यंत्रीकरण की दिशा में यह संस्थान महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, लेकिन इसके लिए ज़रूरी है कि सभी वैज्ञानिक, नीति निर्माता और किसान एक दिशा में मिलकर काम करें। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में भारत को “विकसित भारत” बनाने के लिए आधुनिक तकनीकों का समावेशी विकास ज़रूरी है।
निष्कर्ष
शिवराज सिंह चौहान का यह दौरा केवल समीक्षा नहीं था, बल्कि यह एक स्पष्ट संकेत है कि सरकार कृषि क्षेत्र में वैज्ञानिक सोच और व्यावहारिक समाधान को साथ लेकर चलना चाहती है। यह दौरा न केवल किसानों के लिए नई उम्मीद लेकर आया है, बल्कि वैज्ञानिकों के लिए भी प्रेरणा बना है कि उनके नवाचार अब केवल प्रयोगशालाओं में नहीं, बल्कि खेतों की हरियाली में दिखने चाहिए।
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