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राजस्थान के ब्यावर जिले के समोखी गांव के निवासी अशोक कुमावत ने कृषि क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम की है। 16 जुलाई 1997 को जन्मे अशोक ने पारंपरिक खेती से आगे बढ़कर खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing) के क्षेत्र में अपना स्टार्टअप शुरू किया। उन्होंने आंवला और बाजरा जैसे पारंपरिक भारतीय उत्पादों को प्रोसेस करके उनके मूल्यवर्धित उत्पाद जैसे फ्रूट-आधारित मिठाइयां, बाजरा कुकीज और बाजरा क्रंची स्टिक्स तैयार किए।
अशोक का उद्देश्य है कि किसानों को उनके उत्पादों का उचित दाम दिलाया जाए और ग्रामीण महिलाओं को रोजगार के अवसर प्रदान किए जाएं। उनके इस प्रयास ने न केवल उनकी अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया, बल्कि समाज के लिए भी एक उदाहरण पेश किया।
खाद्य प्रसंस्करण की शुरुआत (Beginning of food processing)
अशोक ने खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing) के क्षेत्र में कदम रखने की प्रेरणा अपने पिता से ली, जो स्वयं किसान हैं। उन्होंने देखा कि उनके गांव और आसपास के क्षेत्रों में उत्पादित आंवला और बाजरा का उपयोग सही ढंग से नहीं हो पाता। इससे किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पाता और ग्रामीण महिलाओं के पास रोजगार के अवसर नहीं थे।
इस समस्या को समझते हुए, अशोक ने 2020 में खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing) पर काम शुरू किया। उन्होंने पारंपरिक फ़सलों को नए उत्पादों में बदलकर उनके बाजार मूल्य को बढ़ाया।
मुख्य उत्पाद:
- आंवला आधारित मिठाइयां: हेल्दी और स्वादिष्ट।
- बाजरा कुकीज: पौष्टिक और ग्लूटेन-फ्री।
- बाजरा क्रंची स्टिक्स: बच्चों और युवाओं के बीच लोकप्रिय।
महिलाओं को रोजगार के अवसर (employment opportunities for women)
अशोक का स्टार्टअप न केवल किसानों के लिए फ़ायदेमंद है, बल्कि यह ग्रामीण महिलाओं के लिए भी रोजगार का बड़ा स्रोत है। उनके स्टार्टअप में 20-25 महिलाएं कार्यरत हैं, जो उत्पादों की प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और अन्य कार्यों में योगदान देती हैं। अशोक बताते हैं, “राजस्थान में ग्रामीण महिलाओं के पास कौशल की कमी होती है, लेकिन वे मेहनती होती हैं। हमने उन्हें आवश्यक प्रशिक्षण देकर हमारे स्टार्टअप का हिस्सा बनाया। इससे उनकी आय बढ़ी और उनका आत्मविश्वास भी।”
किसानों के साथ साझेदारी (Partnership with farmers)
अशोक के स्टार्टअप का एक और महत्वपूर्ण पहलू है किसानों के साथ उनकी साझेदारी।
– सीधे खरीदारी: अशोक किसानों से उनके उत्पाद सीधे खरीदते हैं, जिससे बिचौलियों की भूमिका खत्म हो जाती है।
– उचित मूल्य: किसानों को उनके उत्पादों का उचित मूल्य मिलता है।
– तकनीकी सहयोग: किसानों को बेहतर उत्पादन तकनीकों की जानकारी दी जाती है।
आज अशोक के साथ 50 से अधिक किसान जुड़े हुए हैं, और उनका लक्ष्य है कि अगले कुछ वर्षों में यह संख्या 100 तक पहुंच जाए।
मार्केटिंग रणनीति (Marketing Strategy)
अशोक ने अपने उत्पादों को बाजार में लाने के लिए दो मुख्य चैनलों का उपयोग किया:
- डिस्ट्रीब्यूटर मॉडल: स्थानीय और क्षेत्रीय बाजारों में उत्पादों की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
- ऑनलाइन बिक्री: अपनी वेबसाइट और अन्य ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से ग्राहकों तक पहुंच बनाना।
उनकी वेबसाइट पर उनके उत्पादों की पूरी जानकारी उपलब्ध है। वे ग्राहकों को उत्पादों की गुणवत्ता और उपयोग के फायदों के बारे में जागरूक भी करते हैं।
आर्थिक स्थिति और आय (Economic situation and income)
अशोक के स्टार्टअप की वार्षिक आय 1-10 लाख रुपये के बीच है।
आर्थिक मॉडल:
– उत्पादन लागत: उत्पादों की प्रोसेसिंग और पैकेजिंग।
– बिक्री से आय: स्थानीय और ऑनलाइन बाजारों में उत्पादों की बिक्री।
उनकी योजना है कि आने वाले वर्षों में वे अपने स्टार्टअप का विस्तार करें और अपनी आय को दोगुना करें।
सरकारी योजनाओं का लाभ (Benefits of government schemes)
हालांकि अशोक ने अभी तक किसी सरकारी योजना का प्रत्यक्ष लाभ नहीं लिया है, लेकिन उनकी योजना है कि वे खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing) और कृषि से संबंधित योजनाओं के तहत आर्थिक सहायता प्राप्त करें।
उन्होंने बताया कि यदि उन्हें सरकार से समर्थन मिलता है, तो वे अपने स्टार्टअप का विस्तार कर अधिक किसानों और महिलाओं को जोड़ सकेंगे।
चुनौतियां और समाधान (Challenges and Solutions)
हर स्टार्टअप की तरह अशोक को भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जैसे:
- प्रारंभिक पूंजी: स्टार्टअप शुरू करने के लिए धन की कमी।
- मार्केटिंग: उत्पादों को बाजार में स्थापित करना।
- ग्राहकों की जागरूकता: ग्राहकों को उत्पादों के लाभ समझाना।
इन समस्याओं का समाधान करते हुए अशोक ने धीरे-धीरे अपने स्टार्टअप को स्थिरता दी।
भविष्य की योजनाएं (Future plans)
अशोक का सपना है कि वे अपने स्टार्टअप को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाएं।
योजनाएं:
– किसानों की संख्या बढ़ाना।
– अधिक महिलाओं को रोजगार देना।
– बाजरा और आंवला आधारित नए उत्पाद लाना।
– अपने उत्पादों को विदेशों तक पहुंचाना।
निष्कर्ष (Conclusion)
अशोक कुमावत की कहानी यह दिखाती है कि यदि सही दृष्टिकोण और मेहनत हो, तो खेती और खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing) में भी बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।
उनका संदेश है: “खेती केवल उत्पाद उगाने तक सीमित नहीं है। इसे प्रोसेसिंग और मार्केटिंग से जोड़कर इसे लाभदायक बनाया जा सकता है। मेरा सपना है कि किसानों और ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाऊं और उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाऊं।”
अशोक कुमावत की मेहनत और नवाचार ने उन्हें न केवल एक सफल उद्यमी बनाया है, बल्कि समाज में बदलाव का माध्यम भी। उनकी कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो कृषि क्षेत्र में कुछ नया करना चाहता है।
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