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अमित सोनी, राजस्थान के जोधपुर जिले के निवासी, खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में अपने विशिष्ट नवाचारों के लिए जाने जाते हैं। 10 अक्टूबर 1984 को जन्मे अमित ने पारंपरिक खेती और खाद्य उत्पादन को एक आधुनिक रूप दिया है। उनके द्वारा विकसित बाजरा आधारित उत्पाद न केवल स्वास्थ्यवर्धक हैं, बल्कि उन्होंने बाजरा जैसी अनदेखी फसल को नए सिरे से पहचान दिलाई है। कम भूमि जोत और सीमित संसाधनों के बावजूद, उन्होंने अपनी मेहनत, समर्पण और रचनात्मकता के बल पर खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing) उद्योग में अपनी विशेष पहचान बनाई है।
खाद्य प्रसंस्करण में नवाचार और योगदान (Innovations and Contribution in Food Processing)
अमित ने बाजरा जैसी प्राचीन और पौष्टिक फसल को एक आधुनिक और व्यावसायिक रूप दिया है। उन्होंने 100% ग्लूटेन-फ्री बाजरा कुकीज़ और केक बनाने की शुरुआत की, जो स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोगों के लिए एक बेहतरीन विकल्प हैं। बाजरा कुकीज़ और केक में उच्च पोषण मूल्य होते हैं, जिनमें प्रोटीन, फाइबर, और विटामिन्स की भरपूर मात्रा होती है। इनके उत्पाद स्वाद और सेहत का एक आदर्श संयोजन प्रस्तुत करते हैं।
अमित ने यह समझा कि बाजरा न केवल पोषण का खजाना है, बल्कि यह ग्लूटेन-फ्री होने के कारण उन लोगों के लिए भी आदर्श है जो ग्लूटेन असहिष्णुता (ग्लूटेन इंटॉलरेंस) से पीड़ित हैं। उन्होंने अपने उत्पादों में इस अनूठे पहलू को प्रमुखता दी। उनके उत्पादों को न केवल स्थानीय बाजारों में, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी सराहा गया। बाजरा केक का उपयोग संसद भवन में किया गया था, जहां इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सराहना मिली। यह घटना उनकी सफलता का सबसे बड़ा प्रमाण है।
लक्ष्य और उद्देश्य (Aims and objectives)
अमित का प्रमुख उद्देश्य बाजरा जैसी पोषणयुक्त फसल को पुनर्जीवित करना और इसे लोगों के दैनिक आहार का हिस्सा बनाना है। उनका मानना है कि बाजरा जैसे प्राचीन अनाजों को प्रोत्साहित करने से न केवल स्वास्थ्य लाभ होता है, बल्कि यह किसानों को अधिक उपजाऊ और टिकाऊ खेती के लिए प्रेरित भी करता है।
अमित का एक और उद्देश्य बाजरा आधारित उत्पादों के माध्यम से किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य दिलाना है। वह किसानों को बाजरा उगाने के लिए प्रेरित करते हैं और उन्हें बाजरा आधारित खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing) की प्रक्रिया से जोड़ते हैं। यह न केवल किसानों की आय में वृद्धि करता है, बल्कि उन्हें बाजार में नई संभावनाएं भी प्रदान करता है।
प्रेरणा और चुनौतियां (Inspiration and challenges)
अमित का सफर आसान नहीं था। सीमित संसाधनों और एक एकड़ से भी कम भूमि जोत के साथ उन्होंने अपने प्रयासों को प्रारंभ किया। हालांकि, उनके परिवार की पृष्ठभूमि खेती से जुड़ी थी, लेकिन खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing) के क्षेत्र में कदम रखने का उनका निर्णय नया और चुनौतीपूर्ण था। प्रारंभ में, उन्हें बाजार में अपने उत्पादों को पहचान दिलाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। हालांकि, उन्होंने अपनी मेहनत और दृढ़ता के बल पर इन सभी बाधाओं को पार किया।
उपलब्धियां और सम्मान (Achievements and honors)
अमित को उनके नवाचारों और समर्पण के लिए कई सम्मान प्राप्त हुए हैं। उन्हें दैनिक भास्कर द्वारा जोधपुर में “सर्वश्रेष्ठ बाजरा कुकीज़” का खिताब दिया गया। इसके अलावा, उन्हें ह्यूम अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया। ये उपलब्धियां उनके काम की गुणवत्ता और समाज पर उनके प्रभाव का प्रमाण हैं।
उनके उत्पादों की गुणवत्ता और लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके बाजरा आधारित उत्पादों का उपयोग न केवल घरेलू ग्राहकों द्वारा किया जाता है, बल्कि सरकारी स्तर पर भी उनकी मांग है। संसद भवन में उनके द्वारा बनाया गया बाजरा केक उनकी उत्कृष्टता का सबसे बड़ा उदाहरण है।
सरकारी योजनाओं का उपयोग और वित्तीय स्थिति (Utilisation and financial status of government schemes)
अमित ने किसी सरकारी योजना का प्रत्यक्ष लाभ नहीं लिया है, लेकिन उनके उत्पादों ने सरकारी स्तर पर पहचान प्राप्त की है। उनकी वार्षिक आय 1-10 लाख रुपये के बीच है, जो यह दर्शाता है कि सीमित संसाधनों के बावजूद, वह आर्थिक रूप से स्थिर हैं और अपने प्रयासों से आगे बढ़ रहे हैं।
बाजरा की खेती को बढ़ावा देना (Promoting the cultivation of millets)
अमित का प्रयास केवल अपने उत्पादों तक सीमित नहीं है। वह बाजरा की खेती को प्रोत्साहित करने और इसे लोकप्रिय बनाने के लिए भी प्रयासरत हैं। वह किसानों को बाजरा उगाने के लिए प्रेरित करते हैं और उन्हें यह समझाते हैं कि कैसे बाजरा न केवल फायदेमंद है, बल्कि यह जलवायु परिवर्तन और सूखे जैसी परिस्थितियों में भी उपयुक्त है।
भविष्य की योजनाएं (Future plans)
अमित का उद्देश्य अपने उत्पादों को और व्यापक स्तर पर पहुंचाना है। वह अपने बाजरा आधारित उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी पहचान दिलाना चाहते हैं। इसके अलावा, वह किसानों को खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing) की नई तकनीकों से परिचित कराना चाहते हैं ताकि वे भी अपनी फसल का अधिकतम मूल्य प्राप्त कर सकें।
निष्कर्ष (Conclusion)
अमित सोनी जैसे व्यक्तित्व उन सभी के लिए प्रेरणा हैं जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने देखते हैं। उनके द्वारा विकसित बाजरा आधारित उत्पाद न केवल स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देते हैं, बल्कि किसानों को भी उनकी मेहनत का उचित मूल्य दिलाते हैं। उनका सफर यह दिखाता है कि कैसे नवाचार और समर्पण के माध्यम से खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing) के क्षेत्र में क्रांति लाई जा सकती है।
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