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मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के बांखेड़ी गांव के निवासी जितेंद्र कुमार भार्गव ने प्राकृतिक और जैविक खेती के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है। 13 जून 1974 को जन्मे जितेंद्र ने परंपरागत खेती के साथ पर्यावरण के अनुकूल जैविक खेती (Organic Farming) को अपनाकर नई मिसाल पेश की है। उनकी खेती का मॉडल न केवल पर्यावरण के लिए हितकारी है, बल्कि किसानों की आय बढ़ाने और उपज की गुणवत्ता सुधारने के लिए भी प्रेरणादायक है।
जैविक और प्राकृतिक खेती का मॉडल (Model of organic and natural farming)
जितेंद्र कुमार भार्गव ने अपनी खेती में प्राकृतिक और जैविक पद्धतियों को मिलाकर एक अनूठा मॉडल विकसित किया है। उनकी खेती के प्रमुख पहलू निम्नलिखित हैं:
- जैविक खेती
– गोबर खाद और गोमूत्र:
खेतों में जैविक खाद और गोमूत्र का उपयोग कर रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का विकल्प अपनाया।
– फसल अवशेष और प्राकृतिक खनिज:
जैविक खाद के लिए फसल के अवशेष और प्राकृतिक खनिजों का प्रयोग।
– स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए लाभकारी:
जैविक उत्पादन न केवल मानव स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है, बल्कि यह मिट्टी की उर्वरता और जल की गुणवत्ता में सुधार करता है।
- प्राकृतिक खेती
– प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग:
खेती में रासायनिक पदार्थों का न्यूनतम उपयोग कर प्राकृतिक संसाधनों से उर्वरकों और कीटनाशकों का निर्माण।
– भूमि की जल धारण क्षमता बढ़ाना:
जैविक खाद से भूमि की जल धारण क्षमता में सुधार किया।
– कम लागत, अधिक लाभ:
उत्पादन लागत को कम कर किसानों की आय में वृद्धि।
सम्मान और उपलब्धियां (Honours and achievements)
जितेंद्र कुमार भार्गव के योगदान को कृषि के क्षेत्र में कई संस्थानों द्वारा सराहा गया है। उनकी प्रमुख उपलब्धियां और सम्मान इस प्रकार हैं:
- कृषि विज्ञान केंद्र, गोविंद नगर (नर्मदा पुरम):
– प्राकृतिक और जैविक खेती (Organic Farming) में सराहनीय योगदान के लिए सम्मानित।
- भाऊ साहब भूसकोटे स्मृति लोक न्यास सम्मान:
– बीज उत्पादन और श्रीअन्न उत्पादक कार्यों के लिए।
- वरिष्ठ वैज्ञानिक और उपसंचालक कृषि द्वारा सम्मान:
– 7 मार्च 2024 को नर्मदा पुरम में जैविक और प्राकृतिक खेती के लिए विशेष सम्मान।
खेती की विशेषताएं (Features of cultivation)
भूमि जोत: 1-5 एकड़ जमीन में खेती कर रहे जितेंद्र ने छोटे किसानों के लिए जैविक खेती (Organic Farming) का एक सफल मॉडल प्रस्तुत किया है।
कम लागत और उच्च गुणवत्ता: जैविक खेती (Organic Farming) की पद्धति के कारण उत्पादन लागत में कमी और उपज की गुणवत्ता में सुधार हुआ।
अंतरराष्ट्रीय मांग: जैविक उत्पादों की मांग अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ रही है, जिससे किसानों को अधिक लाभ हो रहा है।
सरकारी योजनाओं का लाभ (Benefits of government schemes)
जितेंद्र कुमार भार्गव ने अभी तक किसी सरकारी योजना का लाभ नहीं लिया है। उन्होंने अपनी मेहनत और नवाचार से खेती को सफल बनाया है।
भविष्य की योजनाएं
- जैविक उत्पादों का प्रसंस्करण और विपणन: जैविक उत्पादों की ब्रांडिंग और बाजार में उनकी उपलब्धता बढ़ाना।
- किसानों को प्रशिक्षण: अन्य किसानों को जैविक और प्राकृतिक खेती के लाभों और तकनीकों की जानकारी देना।
- गांवों में जागरूकता: ग्रामीण स्तर पर जैविक खेती (Organic Farming) को प्रोत्साहन देकर पर्यावरण को संरक्षित करना।
जितेंद्र का योगदान: एक प्रेरणा
जितेंद्र कुमार भार्गव का यह प्रयास न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह किसानों की आय और स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
– उनकी मेहनत और समर्पण अन्य किसानों के लिए प्रेरणा है।
– जैविक और प्राकृतिक खेती में उनकी उपलब्धियां यह साबित करती हैं कि कृषि में नवाचार और सतत विकास से बेहतर भविष्य का निर्माण किया जा सकता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
जितेंद्र कुमार भार्गव जैसे किसानों की सोच और उनके प्रयास भारतीय कृषि के भविष्य को नई दिशा दे रहे हैं। उनकी खेती का मॉडल यह दर्शाता है कि छोटे संसाधनों के साथ भी किसान अपनी मेहनत से बड़े बदलाव ला सकते हैं।
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