संरक्षित खेती अपनाकर राहुल खटीक ने पाई सफलता

राहुल खटीक ने संरक्षित खेती अपनाकर अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत की और आसपास के किसानों के लिए प्रेरणा बने। जानें, कैसे संरक्षित खेती से उन्होंने सफलता हासिल की।

जैविक खेती Organic Farming

भारत में कृषि क्षेत्र में बहुत से किसान अपनी मेहनत से बेहतर परिणाम प्राप्त कर रहे हैं। ऐसी ही एक प्रेरणादायक कहानी है राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के चमन चौराहा बिगोद गांव के रहने वाले राहुल खटीक की। राहुल ने परंपरागत खेती के तरीके से हटकर संरक्षित खेती (Protected Cultivation) को अपनाया और अपनी मेहनत से न केवल अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया, बल्कि आसपास के किसानों के लिए भी प्रेरणा बने।

संरक्षित खेती की शुरुआत (Starting of protected cultivation)

राहुल खटीक बताते हैं, “मेरे परिवार के लोग हमेशा से खेती में जुटे हुए थे, लेकिन पारंपरिक तरीके से खेती करते हुए हमें अक्सर मौसम की अनिश्चितताओं का सामना करना पड़ता था। कभी ज्यादा बारिश तो कभी सूखा, इन समस्याओं के कारण फसलें बर्बाद हो जाती थीं। मैंने सोचा, क्यों न कुछ नया किया जाए जो मौसम से बचाए और खेती को अधिक लाभकारी बनाए। इस सोच के साथ मैंने संरक्षित खेती अपनाने का निर्णय लिया।”

राहुल ने अपने छोटे से खेत में पॉलीहाउस लगाना शुरू किया, जिससे वह फसलों को नियंत्रित वातावरण में उगा सकें। इस वातावरण में तापमान, नमी और पानी की सही मात्रा मिलती है, जिससे फसलों की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों में वृद्धि होती है।

संरक्षित खेती के लाभ (Advantages of protected cultivation)

राहुल ने संरक्षित खेती के तहत कई नई तकनीकों को अपनाया। उन्होंने ड्रिप इरिगेशन (Drip Irrigation) का इस्तेमाल किया, जिससे पानी की बचत होती है और पौधों को सही मात्रा में पानी मिलता है। इसके अलावा, उन्होंने मृदा स्टीमिंग (Soil Steaming) की प्रक्रिया का भी उपयोग किया, जिससे मिट्टी से सभी हानिकारक बैक्टीरिया और कीटों को खत्म किया जा सकता है। इससे फसलों की बढ़त तेज़ होती है और उत्पादन बेहतर होता है।

राहुल बताते हैं, “संरक्षित खेती के जरिए हम फसलों को सीधे मौसम की मार से बचा सकते हैं, जिससे उनकी गुणवत्ता में सुधार होता है और बाजार में उनकी कीमत भी बेहतर मिलती है।”

आर्थिक सफलता और कमाई (Financial success and earnings)

राहुल ने संरक्षित खेती के तहत अपनी सब्जी उत्पादन को एक नई दिशा दी है। उनका खेत लगभग 2 एकड़ में फैला हुआ है, जहां वे टमाटर, भिंडी, शिमला मिर्च और पालक जैसी पौष्टिक सब्जियां उगाते हैं। पॉलीहाउस तकनीक की मदद से उनकी फसलें हर सीजन में अच्छी होती हैं और वह बाजार में उच्च गुणवत्ता वाली सब्जियों की आपूर्ति करते हैं।

राहुल का मानना है कि संरक्षित खेती से उनका उत्पादन बढ़ा है और उनकी आय में भी भारी वृद्धि हुई है। उनकी वार्षिक आय लगभग 5-6 लाख रुपये तक पहुंच गई है, जो पहले परंपरागत खेती के मुकाबले बहुत अधिक है।

स्थानीय किसानों के लिए प्रेरणा (Inspiration for local farmers)

राहुल खटीक का कहना है, “संरक्षित खेती (Protected Cultivation) ने न केवल मेरी कृषि शैली को बदला है, बल्कि मेरे गांव और आसपास के किसानों के लिए भी एक नया रास्ता खोला है। पहले लोग खेतों में खुलेआम खेती करते थे, लेकिन अब उन्होंने देखा है कि जब खेती संरक्षित तरीके से की जाती है, तो उत्पादन और गुणवत्ता में काफी फर्क पड़ता है।”

राहुल ने अपनी सफलता की कहानी कई किसानों से साझा की और उन्हें यह समझाया कि संरक्षित खेती के जरिए वे अपनी आय दोगुनी कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें सही तकनीकों और योजनाओं का पालन करना होगा। राहुल किसानों को यह भी सिखाते हैं कि ड्रिप इरिगेशन और जैविक पोषण का उपयोग कर खेती को लाभकारी बनाया जा सकता है।

सरकार से सहायता और योजनाएं (Aids and schemes from the government)

राहुल ने सरकार से एक उम्मीद जताई है कि किसानों को संरक्षित खेती के लिए अनुदान और सब्सिडी प्रदान की जाए। वह मानते हैं कि अगर सरकार की योजनाओं का सही उपयोग किया जाए, तो अधिक से अधिक किसान इस पद्धति को अपनाएंगे। उन्होंने यह भी बताया कि अगर किसानों को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) के बारे में अधिक जानकारी दी जाए, तो संरक्षित खेती को बढ़ावा मिल सकता है।

भविष्य की योजनाएं (future plans)

राहुल का सपना है कि वह अपनी खेती को और भी बड़े पैमाने पर फैलाएं और संरक्षित खेती के मॉडल को अपने गांव और आसपास के क्षेत्रों में अधिक किसानों तक पहुंचाएं। वह चाहते हैं कि उनके गांव के लोग भी संरक्षित खेती की मदद से अपनी आय बढ़ाएं और कृषि के क्षेत्र में एक नई क्रांति लाएं।

निष्कर्ष (conclusion)

राहुल खटीक ने संरक्षित खेती के जरिए न केवल अपनी कृषि पद्धतियों को बेहतर बनाया है, बल्कि वे एक उदाहरण बन गए हैं कि कैसे छोटे किसान भी सही दिशा और तकनीकों के साथ अपनी कृषि को एक नई ऊँचाई पर ले जा सकते हैं। उनकी कहानी यह साबित करती है कि संरक्षित खेती भारतीय कृषि में एक नई क्रांति लेकर आ सकती है। अगर किसान इसे अपनाते हैं और सरकार उन्हें उचित सहायता प्रदान करती है, तो यह पूरे कृषि क्षेत्र के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।

राहुल का कहना है, “संरक्षित खेती सिर्फ एक तकनीक नहीं, बल्कि यह किसानों के लिए एक नई दिशा है। हमें इसे अपनाकर अपने कृषि क्षेत्र को सशक्त बनाना होगा।”

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