जानिए गनस्तान गाँव क्यों है जैविक खेती में नंबर वन, अन्य राज्यों को भी अपनाना चाहिए ये मॉडल

जैविक खेती के उत्पादों की मांग पूरी दुनिया में बढ़ रही है। भारत में भी इसकी मांग में इज़ाफ़ा हो रहा है। कश्मीर का गाँव गनस्तान आज 'ऑर्गेनिक विलेज़ गनस्तान' के नाम से जाना जाता है। इसकी वजह है यहां हर कोई जैविक खेती करता है।

एक किसान को असल मायनों में तभी लाभ मिल सकता है जब उसके पास खेती के पर्याप्त साधन और सरकार की योजनाओं का लाभ पहुंचे। आज हम आपको कश्मीर के ऐसे गाँव के किसानों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत और सरकार की योजनाओं का लाभ लेते हुए अपने गाँव को अलग पहचान दे दी। कश्मीर का गाँव गनस्तान आज ‘ऑर्गेनिक विलेज गनस्तान’ के नाम से जाना जाता है। इसकी वजह है यहां हर कोई जैविक खेती करता है। गाँव के ही किसानों ने सब्जी उत्पादकों की अलग कंपनी बनाई है। इसमें गाँव के 350 किसान मिल कर ऑर्गेनिक खेती करते हैं। साथ ही कई गरीब किसानों को भी इससे जोड़ा गया है।

जैविक खेती गनस्तान गाँव ( organic farming ganstan village kashmir )

सीज़न से महीने-दो महीने पहले ही तैयार हो जाती है फसल

गनस्तान के ही रहने वाले किसान फय्याज़ अहमद बेग़ को प्रोग्रेसिव फार्मर अवॉर्ड से राज्य कृषि विभाग द्वारा सम्मानित भी किया गया है। फय्याज़ ने किसान ऑफ़ इंडिया से खास बातचीत में बताया कि गाँव के किसान साल भर कई सब्जियों की अलग-अलग किस्मों की खेती करते हैं। मौसम की मार और जलवायु को अनुकूल रखने के लिए ग्रीन हाउस तकनीक का इस्तेमाल करते हैं। इससे होता ये कि सीज़न से महीने 2 महीने पहले ही फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है। पूरी तरह से जैविक खेती को अपनाना, इस गाँव की पहचान है।

मांग बढ़ने से मिल रहा है अच्छा बाज़ार 

जैविक खेती में पैदा हुए उत्पादों की मांग पूरी दुनिया में बढ़ रही है।  भारत में भी इसकी मांग में तेजी से इज़ाफ़ा हो रहा है। लोगों का इस तरफ झुकाव हुआ है। ऐसे में ऑर्गेनिक सब्जियों की अच्छी मांग और अच्छा मार्केट मिलने से ज़्यादा मुनाफ़ा भी किसानों को हो रहा है।

जैविक खेती गनस्तान गाँव ( organic farming ganstan village kashmir )

जानिए गनस्तान गाँव क्यों है जैविक खेती में नंबर वन, अन्य राज्यों को भी अपनाना चाहिए ये मॉडलकिसानों को सरकार से मिल रही है पूरी मदद

फय्याज़ बताते हैं कि जैविक खेती के लिए कृषि विभाग से मदद भी मिल जाती है। इस गाँव में एक वर्मीकम्पोस्ट यूनिट लगा है। इसे बनाने में  एक लाख रुपये तक का खर्च लगता है। इसपर सरकार 50 फ़ीसदी तक की सब्सिडी देती है। पशुपालन से जो गोबर निकलता है, वो इसी यूनिट में इकट्ठा किया जाता है। फिर इससे तैयार खाद को खेतों में डाला जाता है। ये जैविक खाद मिट्टी की सेहत के लिए फ़ायदेमंद होती है, जिससे फसल भी उच्च गुणवत्ता वाली होती है।

जानिए गनस्तान गाँव क्यों है जैविक खेती में नंबर वन, अन्य राज्यों को भी अपनाना चाहिए ये मॉडलजानिए गनस्तान गाँव क्यों है जैविक खेती में नंबर वन, अन्य राज्यों को भी अपनाना चाहिए ये मॉडललाखों रुपये की सब्जी अन्य राज्यों के बाज़ार में है जाती  

फय्याज़ ने बताया कि कृषि विभाग ईमानदारी से फंड बनाता है। वर्मीकम्पोस्ट, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, ट्रैक्टर, वॉटर हार्वेस्टिंग टैंक और बोरवेल के साथ कई और चीजों पर सब्सिडी दी जाती है। कश्मीर की ऑर्गेनिक सब्जियों ने हाल के वर्षों में देश में एक अलग पहचान बनाई है। कश्मीर में जैविक खेती कर रहे क्षेत्रों से जम्मू समेत दिल्ली लाखों और करोड़ों रुपये की सब्जी जाती है।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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