Liquid Nanoclay Technology: कैसे लिक्विड नैनोक्ले तकनीक रेतिली ज़मीन को बना रही उपजाऊ?

कृषि के क्षेत्र में हर दिन नए प्रयोग हो रहे हैं। इन्हीं प्रयोगों में से एक है नैनोक्ले तकनीक, जिसकी बदौलत रेगिस्तान में भी रसीले फल व सब्ज़ियां उगाई जा सकती हैं। इस तकनीक का सफल प्रयोग यूएई में हो चुका है।

Liquid Nanoclay Technology

लिक्विड नैनोक्ले तकनीक (Liquid Nanoclay Technology): कृषि उपकरणों की मदद से किसानों का काम आसान करने से लेकर उपज बढ़ाने तक के लिए वैज्ञानिक हर दिन नई-नई तकनीक ईज़ाद करने में लगे हुए हैं। कोरोना काल में ऐसी ही की एक तकनीक का सफल प्रयोग यूएई की रेतिली ज़मीन पर किया गया। जिस तकनीक की बदौलत रेतिली भूमि को उपजाऊ बनाया गया उसका नाम है लिक्विड नैनोक्ले तकनीक।

कोरोना में लगे लॉकडाउन के दौरान ही यूएई में इसका इस्तेमाल करके एक बंजर भूमि पर 40 दिनों के अंदर रसीले तरबूज का उत्पादन किया गया। इस तकनीक की सफलता ने किसानों को उम्मीद की नई किरण दिखाई है। अब रेगिस्तानी इलाकों में किसान इस तकनीक को अपनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। हालांकि, ये तकनीक थोड़ी महंगी है इसलिए छोटे किसानों के लिए इसका खर्च उठाना मुश्किल हो सकता है।

Liquid Nanoclay Technology
Liquid Nanoclay Technology (तस्वीर साभार: ICAR)

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क्या है नैनोक्ले तकनीक (Nanoclay Technology)?

नैनोक्ले (Liquid) का मतलब है गीली चिकनी मिट्टी जिसे संतुलित मात्रा में रेत में मिलाकर मिट्टी को उपजाऊ बनाया जाता है। ये एक तरह से मिट्टी को पुनर्जीवित करने की तकनीक है। ये तकनीक रेगिस्तानी इलाकों के लिए बहुत फ़ायदेमंद है, क्योंकि Liquid Nanoclay Technology के इस्तेमाल से पानी का उपयोग 45 फ़ीसदी तक कम हो जाएगा। सबसे पहले लॉकडाउन के दौरान यूएई में लिक्विड नैनोक्ले का सफल इस्तेमाल किया गया। बंजर भूमि के एक हिस्से में इस तकनीक की मदद से तरबूज की सफल खेती की गई। साथ ही लौकी जैसी सब्ज़ियां भी उगाई गईं। इस तकनीक में चिकनी मिट्टी के बहुत छोटे-छोटे कण लिक्विड के रूप में इस्तेमाल किए जाते हैं।

लागत कम करने का प्रयास

ये तकनीक किसानों के लिए तो बहुत कारगर है, मगर महंगी होने के कारण छोटे किसानों को इसका फ़ायदा मिल पाना मुश्किल है। फिलहाल प्रति वर्ग मीटर रेतिली भूमि के उपचार में 2 डॉलर का खर्च आ रहा है। एक बार नैनोक्ले का इस्तेमाल करने के बाद 5 सालों तक मिट्टी उपजाऊ बनी रहती है। यूएई जैसे देश में जहां किसान समृद्ध है उनके लिए ये तकनीक अपनाना आसान होगा। भारत जैसे देश में जहां किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए कई योजनाओं पर काम हो रहा है, वहां इस तकनीक को किसानों तक पहुंचाने के लिए वैज्ञानिक लगातार प्रयास कर रहे हैं। इसकी लागत को कम करने पर काम किया जा रहा है। भविष्य में इसकी लागत को प्रति वर्ग मीटर 0.20 डॉलर तक लाने की कोशिश की जा रही है।

Liquid Nanoclay Technology लिक्विड नैनोक्ले तकनीक
Liquid Nanoclay Technology (तस्वीर साभार: gulfnews)

कैसे काम करती है नैनोक्ले तकनीक (Nanoclay technology)?

रेतिली मिट्टी पानी को अवशोषित नहीं कर पाती, जिसकी वजह से खेती करना नामुमकिन होता है। लेकिन रेत में जब लिक्विड नैनोक्ले को मिलाया जाता है तो मिट्टी की जलधारण क्षमता बढ़ जाती है। जिससे मिट्टी उपजाऊ बनती है। Liquid Nanoclay Technology में रेत के हर कण के चारों तरफ मिट्टी की 200 से 300 नैनोमीटर मोटी परत चढ़ जाती है। रेत के कणों पर मिट्टी चिपक जाने से मिट्टी के पोषक उसमें समा जाते हैं और उपजाऊ मिट्टी तैयारा होती है जिसमें पौधों की जड़े अच्छी तरह विकसित हो सकती हैं।

यूएई में लॉकडाउन के दौरान इस तकनीक को अपनाकर तरबूज, जुकीनी और बाजरे की सफल खेती की गई। इस तकनीक की मदद से राजस्थान की बंजर भूमि को भी उपजाऊ बनाया जा सकता है।

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