पारंपरिक खेती छोड़ आम की बागवानी ने बदली सांचौर की तस्वीर, किसानों की आर्थिक स्थिति हुई मज़बूत

राजस्थान का सांचौर क्षेत्र (Sanchore Area Of Rajasthan ) के किसानों ने पारंपरिक खेती को छोड़कर आम की बागवानी (Mango Horticulture) को अपनाया है

पारंपरिक खेती छोड़ आम की बागवानी ने बदली सांचौर की तस्वीर, किसानों की आर्थिक स्थिति हुई मज़बूत

राजस्थान का सांचौर क्षेत्र (Sanchore Area Of Rajasthan), जहां रेतीले धोरों और कठिन जलवायु (Sandy dunes and harsh climate) के बीच खेती करना एक चुनौतीपूर्ण काम माना जाता था, आज बागवानी की नई मिसाल बन रहा है। यहां के किसानों ने पारंपरिक खेती को छोड़कर आम की बागवानी (Mango Horticulture) को अपनाया है और कम पानी, कम लागत, अधिक मुनाफे वाली इस खेती से अपनी आर्थिक स्थिति को बदल दिया है।

क्यों छोड़ी पारंपरिक खेती?

सांचौर (Sanchore) के किसान पहले जीरा, बाजरा और जौ जैसी फसलें उगाते थे, लेकिन इनमें मुनाफा कम और मेहनत ज्यादा थी। पानी की कमी और मौसम की मार के कारण कई बार फसलें बर्बाद हो जाती थीं। ऐसे में, कृषि विभाग की सलाह पर किसानों ने ड्रिप सिस्टम और जैविक खाद का इस्तेमाल करके आम की बागवानी (Mango Horticulture) शुरू की।

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गोबर की खाद और ड्रिप सिस्टम: आधुनिक तकनीक का जादू

सांचौर के किसानों ने केमिकल फ्री खेती को अपनाया है। वे गाय के गोबर से बनी जैविक खाद का उपयोग करते हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और फलों की गुणवत्ता भी बेहतर होती है। साथ ही, ड्रिप सिस्टम से पानी की बचत हो रही है, जो रेगिस्तानी इलाके के लिए वरदान साबित हुआ है।

यहां के किसान कहते हैं कि ‘पहले बाजरे की फसल में पानी की बहुत जरूरत होती थी, लेकिन आम की बागवानी में ड्रिप सिस्टम से कम पानी में अच्छी पैदावार हो रही है।’

किसानों की सफलता की कहानियां

1. कानाराम डावल: 7 साल से आम की खेती से जुड़े

कानाराम पहले जीरा और बाजरा उगाते थे, लेकिन कम मुनाफे के कारण उन्होंने 2017 में पपीते और आम की बागवानी शुरू की। आज के वक्त में उन्होंने पपीते के 1000 से अधिक पौधे ख़रीदे हैं, जिनसे उन्हें अच्छी आय हो रही है।

2.भंवरलाल बिश्नोई:  सारी फ़सल बाग से बिक जाती है

 भंवरलाल बिश्नोई बताते हैं कि उनकी आम की फसल को बाजार नहीं जाना पड़ता, सारा माल बाग से ही बिक जाता है। इससे मुनाफा अच्छा हो रहा है। इसके साथ ही मेहनत भी कम होती है। Set featured image

3. गणपतलाल साहू: युवा किसान की सफलता

गणपतलाल ने 8 साल पहले बागवानी शुरू की और पिछले 2 सालों से उन्हें अच्छी आमदनी हो रही है। उनका कहना है कि ‘आम की खेती में मेहनत कम और मुनाफा ज्यादा है।’

4. अमराराम चौधरी: कम लागत, अधिक आय

अमराराम के अनुसार, आम की खेती में कम लागत आती है और बाजार में इसकी मांग हमेशा बनी रहती है। उन्होंने केसर और दशहरी आम के पौधे लगाए हैं, जिनसे अच्छी कमाई हो रही है।

कौन-कौन से आम की किस्में लगाई जा रही हैं?

सांचौर के किसानों ने उच्च गुणवत्ता वाली आम की किस्में लगाई हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • केसर आम (मीठा और रसीला)
  • दशहरी आम (बाजार में सबसे ज्यादा डिमांड)
  • सुदूरी आम (लंबे समय तक स्टोर किया जा सकता है)

बागवानी के फायदे

कम पानी की ज़रूरत – ड्रिप सिस्टम से 60 फीसदी तक पानी की बचत।

कम खरपतवार – पारंपरिक खेती के मुकाबले खरपतवार नियंत्रण आसान।

अधिक मुनाफा – आम की मार्केट वैल्यू ज्यादा होती है।

जैविक खेती – गोबर की खाद से मिट्टी स्वस्थ और फल स्वादिष्ट।

सांचौर की हरियाली क्रांति

सांचौर के किसानों ने साबित कर दिया है कि अगर इरादे मजबूत हों, तो रेगिस्तान में भी हरियाली उगाई जा सकती है। उनकी मेहनत और आधुनिक तकनीक के संगम ने न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को सुधारा है, बल्कि पूरे क्षेत्र को एक नई दिशा दी है।  

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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