Flower Farming: फूलों की खेती का बिज़नेस शुरू करने वाले टैक्सी ड्राइवर अरुण छेत्री की कहानी

अरुण छेत्री की कहानी दिखाती है कि मेहनत और इच्छाशक्ति से फूलों की खेती (Flower farming) को व्यवसाय बना कर जीवन में बदलाव लाया जा सकता है।

Flower Farming फूलों की खेती

अरुण छेत्री की कहानी उन सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जो अपनी मेहनत और दृढ़ इच्छाशक्ति से कुछ बड़ा करना चाहते हैं। बोंग बस्ती के रहने वाले अरुण छेत्री 12 वर्षों तक टैक्सी चलाते थे, लेकिन उनकी मासिक आय सिर्फ़ 2,000 रुपये थी, जो उनके परिवार के लिए पर्याप्त नहीं थी। टैक्सी चलाते समय, उन्होंने कई नर्सरियों का दौरा किया, जिससे उन्हें फूलों की खेती (Flower farming) के बारे में जानकारी मिली। यह जानकारी उनके जीवन के एक महत्वपूर्ण मोड़ का कारण बनी, और उन्होंने फूलों की खेती (Flower farming) करने का फैसला किया।

छोटी शुरुआत, बड़े सपने (Small beginnings, big dreams)

2006 में, अरुण छेत्री ने पांच डेसिमल ज़मीन पर फूलों की खेती (Flower farming) शुरू की। उन्होंने सबसे पहले ग्लैडियोलस और गेंदा जैसे फूल लगाए, जो न केवल सुंदर थे, बल्कि बाज़ार में उनकी मांग भी अच्छी थी। इस अतिरिक्त आय के स्रोत के रूप में शुरू की गई फूलों की खेती ने बहुत जल्द लाभकारी परिणाम दिए। इसके बाद, उन्होंने SHG-JICA के माध्यम से किशनगंज के कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) से जुड़कर फूलों की खेती (Flower farming) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त की। 2012 में उन्होंने फूलों और सब्जियों की खेती पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण लिया और लुधियाना में फूल और सब्ज़ी उत्पादन पर आयोजित सेमिनार में भाग लिया।

फूलों की खेती के साथ शुरू की सब्जियों की खेती (Vegetable cultivation started along with flower cultivation)

अरुण छेत्री ने अपने व्यवसाय को और विस्तारित करने के लिए बैंक से 1.7 लाख रुपये का लोन लिया। KVK से प्राप्त पौधों, स्प्रेयर और कीटनाशकों के साथ उन्होंने फूलों की खेती (Flower Farming) में विभिन्न प्रकार के फूल उगाना शुरू किया। उन्होंने अजेलिया, जरबेरा, एंथुरियम, जाइगो, गेंदा, गुलदाउदी जैसे फूलों को उगाया, जो बाज़ार में बहुत लोकप्रिय थे। इसके साथ ही, उन्होंने बंद गोभी, फूलगोभी, ब्रोकली, टमाटर जैसी सब्जियों की भी खेती की। इस विस्तार से उनका व्यवसाय तेजी से बढ़ा और उन्होंने अपनी ज़मीन पर और अधिक फूलों और सब्जियों की खेती की।

परिवार का लिया सहयोग और व्यवसाय का किया सही प्रबंधन (Took the support of the family and managed the business properly)

अरुण छेत्री के फूलों की खेती (Flower farming) का संचालन उनके परिवार के सदस्यों द्वारा किया जाता है। वे एक स्थायी मजदूर के साथ मिलकर फूलों और सब्जियों की खेती करते हैं, जबकि व्यस्त समय में 20-25 अस्थायी मजदूरों की मदद लेते हैं। इन मजदूरों का उपयोग विशेष रूप से फूलों की कटाई, पैकिंग और विपणन में किया जाता है। इस सही प्रबंधन और मेहनत के कारण, उन्होंने न केवल अपने बैंक का कर्ज समय पर चुकाया, बल्कि अपने जीवन स्तर को भी सुधारा। फूलों की खेती ने उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बना दिया।

फूलों की खेती के लिए बड़ा किया नेटवर्क मिला अच्छा बाज़ार (Expanded network for flower cultivation, got good market) 

अरुण छेत्री ने अपने व्यवसाय के लिए बाज़ार का विस्तार किया है। वे अपने फूलों को स्थानीय बाज़ार में कालिमपोंग में बेचते हैं, साथ ही सिक्किम, बिहार, झारखंड जैसे राज्यों में भी निर्यात करते हैं। इसके अलावा, नेपाल, भूटान और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों में भी उनके फूलों की मांग है। इस व्यवसाय के कारण उनका क्षेत्रीय नेटवर्क मजबूत हुआ। उनके व्यापार से होने वाला वार्षिक लाभ 2 से 2.5 लाख रुपये तक पहुंच चुका है, जो उनके लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक स्रोत है।

समाज में दिया योगदान अन्य किसानों के लिए एक प्रेरणा (Contribution to society is an inspiration for other farmers)

अरुण छेत्री की कहानी ने उन्हें स्थानीय किसानों और युवाओं के लिए एक आदर्श बना दिया है। उन्होंने बोंग बस्ती और देवराली के SHG समूहों को जरबेरा की खेती का प्रशिक्षण दिया और कई युवा किसानों को अपने तरीकों को अपनाने के लिए प्रेरित किया। उनका मानना है कि यदि ग़रीब किसान भी अपनी मेहनत और सही तकनीक से खेती करें, तो वे अपनी आर्थिक स्थिति सुधार सकते हैं। अरुण छेत्री की तकनीकों को अपनाकर अनु छेत्री जैसे कई किसान अब फूलों की खेती (Flower farming) कर रहे हैं और अपनी आय में वृद्धि कर रहे हैं।

2014 में, अरुण छेत्री को कृषि मेला में सम्मानित किया गया, जहां उन्होंने अपने कार्यों के लिए प्रशंसा प्राप्त की। इस कार्यक्रम में उन्हें श्री बिमल गुरंग, अध्यक्ष, गोरखा जनमुक्ति मोर्चा द्वारा सम्मानित किया गया। अरुण का मानना है कि अपने व्यवसाय के विस्तार के साथ-साथ, वे अन्य ग़रीब किसानों की मदद करने के लिए काम कर रहे हैं, ताकि वे भी स्वावलंबी बन सकें और समाज में आर्थिक-सामाजिक विकास ला सकें।

निष्कर्ष (Conclusion)

अरुण छेत्री की सफलता की कहानी यह साबित करती है कि अगर व्यक्ति में इच्छाशक्ति हो, तो वह किसी भी कठिनाई को पार कर सफलता प्राप्त कर सकता है। फूलों की खेती (Flower farming) ने न केवल उनकी जीवनशैली को बेहतर बनाया, बल्कि समाज में भी एक सकारात्मक बदलाव लाया। उनका मानना है कि यदि अन्य किसान भी फूलों की खेती को अपनाते हैं, तो वे भी आर्थिक रूप से मजबूत बन सकते हैं। अरुण छेत्री जैसे किसान यह दिखाते हैं कि सही दिशा और मेहनत से किसी भी व्यवसाय को लाभकारी बनाया जा सकता है। फूलों की खेती (Flower farming) के जरिए उन्होंने न केवल अपनी आय बढ़ाई, बल्कि दूसरों के लिए एक प्रेरणा भी बने।

फूलों की खेती, विशेषकर पहाड़ी इलाकों में, छोटे किसानों के लिए एक शानदार व्यवसाय बन सकता है। अरुण छेत्री ने अपनी मेहनत और सही मार्गदर्शन से यह साबित कर दिया है कि यदि फूलों की खेती (Flower farming) को सही तरीके से किया जाए, तो यह एक लाभकारी और स्थिर व्यवसाय बन सकता है।

आज, उनका यह व्यवसाय न केवल उनके परिवार की खुशहाली का कारण बना है, बल्कि यह अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणा का स्त्रोत है, जो अपनी जीवनशैली को बेहतर बनाने के लिए फूलों की खेती (Flower farming) की ओर रुख कर सकते हैं।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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