मखाने की खेती (Fox Nut Farming): Latest Techniques अपनाकर आप कई तरह से उगा सकते हैं मखाना

मखाने की खेती के लिए गर्म मौसम और पानी की भरपूर उपलब्धता ज़रूरी है, तभी तो तालाब और पोखर वाले इलाके में इसकी खूब खेती होती है। इसकी खेती की कई उन्नत तकनीकें कृषि संस्थानों ने सुझाई हैं। क्या हैं वो तकनीकें? जानिए इस लेख में।

makhana farming scientific cultivation मखाने की खेती उन्नत तकनीक

मखाने की खेती 80 फ़ीसदी से ज़्यादा अकेले बिहार में होती है, क्योंकि यहाँ की जलवायु इसके लिए सबसे उपयुक्त है। मखाने को आमतौर पर उपवास में खाया जाता है, लेकिन इसे ड्राई फ्रूट के तौर पर खाना भी लोग पसंद करते हैं, क्योंकि यह सेहत के लिए बहुत फ़ायदेमंद होता है। डायबिटीज़ से लेकर कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित करने और हड्डियां मज़बूत बनाने से लेकर वजन घटाने तक में यह मददगार माना जाता है। इसके अलावा असम, मेघालय और उड़ीसा में भी इसे उगाया जाता है। मखाने की खेती कई तरीके से की जा सकती है।

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तस्वीर साभार: birmingham

मखाने की खेती के तरीके

मखाने की खेती के लिए चिकनी दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है। जलाशय, तालाब और निचली ज़मीन जहां जल जमाव 4-6 फ़ीट तक हो सके, वहां इसकी खेती अच्छी तरह होती है। इसके अलावा, अन्य फसलों की तरह खेत में भी इसे उगाया जा सकता है। मखाने की खेती की कई तकनीकें हैं।

तालाब विधि

यह मखाने की खेती की पारंपरिक तकनीक है। इसमें बीज बोने की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि पिछले साल के बीज जो तालाब में बच गए थे, वही अगले साल बीज के रूप में काम आते हैं। इस विधि में मखाने के खेतों में मांगुर, सिंघी, केवई, गरई, ट्रैश आदि मछलिया बाढ़ के पानी के साथ तालाब में आ जाती हैं। इसका फायदा किसानों को होता है, क्योंकि मछली के रूप में उन्हें अतिरिक्त फसल प्राप्त हो जाती है।

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तालाब में मखाने की खेती (तस्वीर साभार: makhana.org)

मखाने की खेती (Fox Nut Farming): Latest Techniques अपनाकर आप कई तरह से उगा सकते हैं मखाना

सीधी बुवाई

खेती के इस तरीके में 30 से 90 किलो मखाने के स्वस्थ बीज को दिसबंर महीने में हाथ से तालाब में छिड़का जाता है। बीज डालने के 35-40 दिन बाद पानी के अंदर बीज उगना शुरू हो जाते हैं। फिर दो से ढ़ाई महीने बाद पौधे जल की सतह पर दिखने लगते हैं। इस समय पौधों से पौधों और पंक्ति से पंक्ति के बीच 1X1 मीटर की दूरी सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त पौधे निकाल देनी चाहिए।

रोपाई विधि

इस विधि से मखाने की खेती करने के लिए मखाने के स्वस्थ और नवजात पौधों की रोपाई मार्च से अप्रैल के बीच की जाती है। पंक्ति से पंक्ति और पौधों से पौधों की दूरी 1.20 मीटर X 1.25 मीटर पर की जाती है। बुवाई के 2 महीने बाद बैंगनी रंग के फूल पौधों पर दिखने लगते हैं। इसके 35-40 दिन बाद फल पूरी तरह से पक जाते हैं। जब फल पूरी तरह से पक जाते हैं तो गूदेदार फल फटने लगते हैं और फटने के बाद फल पानी की ऊपरी सतह पर तैरते हैं। ये 2-3 दिन बाद तालाब में नीचे बैठने लगते हैं। सिंतबर या अक्टूबर के महीने में पानी के नीचे बैठे मखाने की कटाई की जाती है और बाकी बचे एक तिहाई बीजों को अगली बार अंकुरित होने के लिए छोड़ दिया जाता है।

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तस्वीर साभार: makhana.org

खेत प्रणाली

मखाना अनुसंधान केंद्र द्वारा इसकी खेती की नई तकनीक ईज़ाद की गई है। इस विधि के लिए खेत में 1 फीट तक पानी भरा होना चाहिए। यह मखाना की खेती सबसे आसान तकनीक है, क्योंकि इसमें इसके साथ ही धान व अन्य फसलों की भी खेती की जा सकती है। खेत में लगाने के लिए पौधे नर्सरी में तैयार किए जाते हैं और फरवरी से अप्रैल के बीच इनकी रोपाई की जाती है। इस विधि से 4 महीने में मखाना तैयार हो जाता है।

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तस्वीर साभार: makhana.org

मखाने की खेती (Fox Nut Farming): Latest Techniques अपनाकर आप कई तरह से उगा सकते हैं मखाना

मखाने की नर्सरी

मखाना जलीय पौधा है, इसलिए इसकी पौध तैयार करने के लिए चिकनी एवं चिकनी दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है। नर्सरी तैयार करने के लिए पहले खेत की 2-3 बार गहरी जुताई ज़रूरी है। साथ ही पौधों के सही विकास के लिए नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश को 100:60:40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के अनुपात में डालें।

फिर खेत में 2 फ़ीट ऊंचा बांध तैयार करके 1.5 फीट पानी डालें और दिसंबर महीने में इसमें मखाने के बीज डाल दें। खेत में पानी का स्तर एक फ़ीट तक होना चाहिए। मार्च महीने के अंत तक पौध रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं। ध्यान रहे सिर्फ़ स्वस्थ पौधों की ही खेत में रोपाई की जानी चाहिए।

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तस्वीर साभार: birmingham

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