Guava Cultivation: अमरूद की खेती से बदली ज़िंदगी, रफ़ीक़ आलम की सफलता की कहानी

रफ़ीक़ आलम की संघर्ष और अमरूद की खेती (Guava Cultivation) में सफलता की कहानी। जानें कैसे उन्होंने मुश्किलों के बावजूद खेती में नाम कमाया।

Guava Cultivation अमरूद की खेती

रफ़ीक़ आलम का जन्म 1980 में एक ग़रीब परिवार में हुआ था। उनके परिवार में तीन छोटे भाई, चार बहनें और माता-पिता थे। आर्थिक तंगी के कारण वे नौवीं कक्षा के बाद पढ़ाई नहीं कर पाए। लेकिन इस मुश्किल दौर ने उन्हें कभी भी अपने सपनों से दूर नहीं किया। उनकी कठिनाइयों के बावजूद, उन्होंने जीवन में कुछ बड़ा करने की ठानी और खेती के क्षेत्र में अपनी क़िस्मत आजमाने का निर्णय लिया।

अमरूद की खेती से नई राह की शुरुआत (A new path begins with guava cultivation)

2007 में रफ़ीक़ आलम की मुलाकात किशनगंज के कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) के विशेषज्ञों से हुई। यहां उन्हें अमरूद की खेती (Guava Cultivation) करने का विचार आया। उन्होंने स्थानीय ग्रामीणों से 4 एकड़ ज़मीन पट्टे पर ली और नादिया से अमरूद के अच्छे किस्म के पौधे मंगवाए। इसके बाद, उन्होंने 50,000 रुपये की लागत से लगभग 800 पौधे लगाए। रफ़ीक़ ने केवल अमरूद की खेती (Guava Cultivation) पर ध्यान नहीं दिया, बल्कि साथ ही कच्ची हल्दी का प्रसंस्करण भी शुरू किया, जिससे उनकी आय का एक और स्त्रोत बन गया।

अमरूद की खेती में नवीन तकनीकों का प्रयोग (Use of new techniques in guava cultivation)

रफ़ीक़ आलम ने अमरूद की खेती (Guava Cultivation) के दौरान कुछ नई तकनीकों का प्रयोग किया, जिनसे उनके उत्पादन में वृद्धि हुई। उन्होंने शाखाओं को मोड़कर फ़सल नियंत्रण की एक नई तकनीक विकसित की। इस तकनीक से वे 18 महीनों में दो बार फ़सल प्राप्त करने में सफल रहे। दो साल के पौधों से हर पेड़ से 120 किलो तक फल प्राप्त करना एक बड़ी उपलब्धि थी। उन्होंने किशनगंज, इस्लामपुर, कांकी, सिलीगुड़ी और दलकोहला (पश्चिम बंगाल) में अपने फल 25-30 रुपये प्रति किलो के दर से बेचे, जो काफी लाभकारी साबित हुआ।

अमरूद की खेती से मिली सफलता व्यवसाय का किया विस्तार (Success in guava farming led to expansion of business)

रफ़ीक़ आलम ने कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) से सीखी गई तकनीकों का उपयोग कर अपनी खेती का विस्तार किया। उन्होंने प्रति वर्ष 3,000 एयर लेयर तैयार करना शुरू किया, जिससे उनका व्यवसाय और भी बढ़ा। इन पौधों को उन्होंने 70-80 रुपये प्रति पौधा के दर से बेचना शुरू किया। इसके परिणामस्वरूप, 5.5 एकड़ के अपने अमरूद के बाग से उन्होंने वार्षिक 9 लाख रुपये की आय प्राप्त की। उनकी सफलता को देखते हुए, उन्होंने अपनी 4 एकड़ ज़मीन खरीदी और 4 एकड़ और पट्टे पर ली।

रफ़ीक़ आलम की सफलता यह दिखाती है कि सही दिशा में काम करने से कोई भी व्यक्ति अपनी मुश्किलों को पार कर सफलता प्राप्त कर सकता है। उन्होंने अपने क्षेत्र में किसानों के लिए एक मिसाल पेश की है और उन्हें यह सिखाया है कि कृषि में भी नवाचार और मेहनत से बड़ी सफलता प्राप्त की जा सकती है।

उनकी भविष्य की योजनाएं (His future plans)

रफ़ीक़ आलम अब अपने बागवानी व्यवसाय को और भी बढ़ाने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने पॉलीहाउस में उच्च मूल्य वाली सब्जियों की खेती करने का विचार किया है। इसके अलावा, वे बेमौसमी सब्जियों की खेती पर भी ध्यान दे रहे हैं। इसके लिए वे कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में काम कर रहे हैं। रफ़ीक़ का मानना है कि अगर वे इन योजनाओं को सही तरीके से लागू करते हैं, तो उनके व्यवसाय को और भी सफलता मिलेगी।

अन्य किसानों के लिए प्रेरणा (Inspiration for other farmers)

रफ़ीक़ आलम की सफलता से न केवल उनका परिवार लाभान्वित हुआ, बल्कि उन्होंने आसपास के किसानों के लिए एक प्रेरणा का काम भी किया है। वे अब अन्य किसानों को बागवानी के नवीनतम तरीकों और ग्राफ्ट गट्टी तैयार करने की तकनीकें सिखा रहे हैं। उनके काम से क्षेत्र में बागवानी के विकास को एक नई दिशा मिली है। वे यह साबित कर रहे हैं कि वैज्ञानिक तरीकों और सही मार्गदर्शन से खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बनाया जा सकता है।

निष्कर्ष (Conclusion) 

रफ़ीक़ आलम की सफलता की कहानी यह दर्शाती है कि अगर आपके पास मेहनत, सही दिशा और सही तकनीक हो, तो आप किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। अमरूद की खेती (Guava Cultivation) ने न केवल रफ़ीक़ आलम की आर्थिक स्थिति को सुधारने में मदद की, बल्कि यह भी साबित किया कि कृषि में नवाचार से बड़ा लाभ प्राप्त किया जा सकता है। उनके संघर्ष और सफलता ने छोटे किसानों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बन दिया है। उनकी कहानी यह सिखाती है कि अगर आप सही तरीके से काम करें, तो किसी भी मुश्किल को पार किया जा सकता है।

रफ़ीक़ आलम की तरह ही, अमरूद की खेती (Guava Cultivation) को अपनाकर अन्य किसान भी अपनी जिंदगी बदल सकते हैं और कृषि क्षेत्र में नए अवसर पा सकते हैं।

ये भी पढ़ें: रूना रफ़ीक़ ने एंटीबायोटिक-फ्री चिकन से पोल्ट्री फ़ार्मिंग में नई राह दिखायी

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top