आमतौर पर युवाओं को खेती में कम ही दिलचस्पी रहती है, क्योंकि उन्हें लगता है कि इसमें मेहनत अधिक और मुनाफ़ा कम है, लेकिन सही प्रबंधन और नयी तकनीक के साथ यदि खेती की जाए तो यकीनन सफलता मिलती है। कर्नाटक के तुमकूर ज़िले के संगपुरा गोलारहट्टी गांव के रहने वाले 25 साल के युवा कृष्णैया ने इस बात को साबित कर दिया है। वह कभी मक्खन बेचा करते थे, लेकिन आज एक सफल सब्ज़ी उत्पादक किसान बन चुके हैं। सब्जियों की खेती में वो कई उन्नत किस्में सफलतापूर्वक उगा रहे हैं।
सब्जियों की खेती की शुरुआत
कृष्णैया कभी मक्खन बेचकर महीने का करीबन 3 हज़ार रुपये कमाते थे। उनके पास 5 एकड़ कृषि योग्य भूमि थी। 2009 में कृषि विज्ञान केंद्र हिरेहल्ली ने आर्या परियोजना (Attracting and Retaining Youth in Agriculture) के अंतर्गत उनका चुनाव किया गया।
इस परियोजना का उद्देश्य युवाओं को विभिन्न प्रशिक्षणों के माध्यम से सशक्त कर आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने का है, ताकि बेरोज़गारी में कमी आए और वो अपना स्वयं का व्यवसाय शुरू कर और लोगों को भी रोज़गार देने में समर्थ बनें।
कृष्णैया पहले रागी, ज्वार और सरसों जैसी फसल उगाते थे, लेकिन इसमें मुनाफ़ा बहुत कम था। फिर उन्होंने सब्ज़ियों की खेती शुरू की। फ्रेंच बीन्स, टमाटर, मटर, मूली, बैंगन, मिर्च और हरी पत्तेदार सब्ज़ियां उगाने लगें।
फ्रेंच बीन्स की उन्नत किस्मों का चयन
वह ख़ासतौर पर फ्रेंच बीन्स की उन्नत किस्में अर्का सुविधा, अर्का कोमल और अर्का अनूप की खेती कर रहे हैं। इन किस्मों को बेंगलुरु स्थित भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान (Indian Institute of Horticultural Research, IIHR) ने विकसित किया है। उन्हें प्रति हेक्टेयर फ्रेंच बीन्स की 14.5-16.5 टन उपज प्राप्त होती है, जो आसपास के गांव में सबसे अधिक है।
अर्का सुविधा किस्म बाज़ार में सबसे अधिक कीमत में बिकती है, क्योंकि इसमें रेशे नहीं होते हैं। इतना ही नहीं, मज़दूरों की समस्या होने पर फसल को अगर 5 दिन के अंतराल पर भी काटा जाए तो इसकी गुणवत्ता खराब नहीं होती।
उपज क्षमता के हिसाब से अर्का अनूप किस्म बेहतरीन है। इससे प्रति हेक्टेयर 16.2 टन तक फसल प्राप्त होती है। यह रस्ट और बैक्टीरिया ब्लाइट रोग प्रतिरोधी है। कृष्णैया फ्रेंच बीन्स की अर्का अनूप और अर्का सुविधा किस्म उगाना ही पसंद करते हैं।
वैज्ञानिकों के संपर्क में रहने का फ़ायदा
2010 में ज़िले के कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) द्वारा फ्रेंच बीन्स की उन्नत किस्मों के बीज बतौर फील्ड डेमोंस्ट्रेशन उपलब्ध कराए गए थे। इन किस्मों की ख़ासियत जानने के बाद कृष्णैया KVK के वैज्ञानिकों से मिले और फ्रेंच बीन्स की उन्नत किस्मों के बीज खरीद लाए।
2010 के बाद से वह सब्जियों की खेती में सिर्फ़ उन्नत किस्मों का ही चयन कर रहे हैं। वैज्ञानिकों के संपर्क में रहने का उन्हें फ़ायदा हुआ। विषय विशेषज्ञ और KVK के अन्य कर्मचारी नियमित रूप से उनके क्षेत्र में आते हैं। उन्हें उर्वरकों का सही इस्तेमाल, कीट प्रबंधन से संबंधित सभी ज़रूरी तकनीकी सलाह देते हैं।
सब्जियों की खेती में ‘वेजीटेबल स्पेशल’ का इस्तेमाल
सब्जियों की खेती में ‘वेजीटेबल स्पेशल’ का उपयोग कारगर माना गया है। ‘वेजीटेबल स्पेशल’ सब्ज़ियों की गुणवत्ता सुधारने और कीटों से बचाने वाला एक ख़ास माइक्रो न्यूट्रियंट मिक्सचर है। इसे भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान (IIHR) बेंगलुरु ने बनाया है। KVK द्वारा कृष्णैया को वेजीटेबल स्पेशल के बारे में पता चला। इसके इस्तेमाल से टमाटर, बीन्स और अन्य सब्जियों को कीटों व बीमारियों से बचाया जा सकता है।
टमाटर की फसल के लिए 75 ग्राम वेजीटेबल मिक्सचर को 15 लीटर पानी में घोलकर, इसमें 1 शैम्पू पाउच और 2 मध्यम आकार के नींबू को मिलाकर इस्तेमाल करने की सलाह दी गई। इसके अलावा, फ्रेंच बीन्स के लिए प्रति लीटर पानी में 2 ग्राम मिक्सचर मिलाने को कहा गया। कृष्णैया नियमित रूप से वेजिटेबल स्पेशल का उपयोग करते हैं जिससे उनकी फसल की गुणवत्ता में सुधार हुआ। फसलों की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ी और पैदावार भी अधिक होने लगी।
कृष्णैया सुपारी के बागान में अंतरफसल के रूप में केले की किस्म इलाकी भी उगा रहे हैं। इसके लिए उन्हें KVK से तकनीकी सहयोग मिलता है। कृष्णैया की सफलता से क्षेत्र के अन्य युवा भी कृषि के क्षेत्र में आने के लिए प्रेरित हो रहे हैं।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।