आत्मनिर्भर बनने के लिए बड़ी डिग्रियों की नहीं, बल्कि काम करने के जज़्बे की ज़रूरत होती है और इसकी जीती-जागती मिसाल हैं वंदना जी। जब लोग आमतौर पर रिटायर होने की सोचने लगते हैं, उस उम्र में वंदना जी न सिर्फ़ खुद आगे बढ़ रही हैं, बल्कि घर में बंद हुनरमंद महिलाओं को भी चारदीवारी से बाहर लाकर आत्मनिर्भर बनने में मदद कर रही हैं। वीरबाई जलाराम स्वयं सहायता समूह की डायरेक्टर वंदना जी और उनसे जुड़ी महिलाएं मिलेट्स के साथ ही और भी कई हेल्दी उत्पाद बना रही हैं। खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing) के जरिए, ये महिलाएं अपने उत्पादों को लंबे समय तक सुरक्षित रख पा रही हैं, जिससे बाज़ार में उनकी मांग भी बढ़ रही है।
अपने इस समूह और उनसे जुड़ी महिलाओं और किसानों के बारे में उन्होंने विस्तार से बात की किसान ऑफ इंडिया के संवाददाता सर्वेश बुंदेली के साथ। वंदना जी के नेतृत्व में महिलाएं मिलेट्स से लेकर अन्य प्रकार के हेल्दी उत्पाद तैयार कर रही हैं, जिन्हें खाद्य प्रसंस्करण की आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके तैयार किया जाता है। इसके कारण, न केवल उनके उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ी है, बल्कि वे अब बड़े पैमाने पर व्यापार कर रही हैं।
कब शुरू किया काम? (When did you start working)
वीरबाई जलाराम स्वयं सहायता समूह की डायरेक्टर वंदना जी बताती हैं कि उनके समूह में 10-12 महिलाएं हैं। दरअसल, उन्होंने अपने आसपास ऐसी महिलाओं को देखा जो घर में रहकर ही कुछ न कुछ अलग काम करना चाहती थीं। तो उनसे उनकी रुचि और किस क्षेत्र में वो काम करना चाहती हैं, यह जानकर उन्हें अपने साथ शामिल कर लिया।
वे बताती हैं कि वे 7-8 सालों से खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing) का काम कर रही हैं, ऐसे में उन्हें मदद के लिए और लोगों की ज़रूरत पड़ती रहती है, ऐसे में आसपास की महिलाओं को जब उन्होंने पूछा कि क्या वे उनके साथ काम करेंगी, तो कुछ महिलाएं तैयार हो गईं और इस तरह उनके समूह का विस्तार होता गया।
सभी महिलाएं काम में किसी न किसी तरह से हिस्सेदारी करती हैं, जैसे रोज़ शरबत बनाना है तो कोई गुलाब की पंखुड़ियों को तोड़ती है, कोई इसे उबाल देती है। इस तरह से सब मिलकर काम करती हैं। वंदना जी बताती हैं कि छोटे-छोटे काम भी ये मिलकर करती हैं, जैसे जौ को भूनना, पीसना आदि। इस सामूहिक प्रयास से न केवल उत्पादन बढ़ा है, बल्कि खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing) के जरिए उनके उत्पादों की गुणवत्ता भी बेहतर हुई है, जो बाज़ार में एक अलग पहचान बना रहा है।
कहां से ली है ट्रेनिंग? (Where did you get your training from)
वंदना जी ने ऐसे ही काम नहीं शुरू कर दिया, उन्होंने बकायदा पहले इसकी ट्रेनिंग ली है। उन्होंने बताया कि पहले उन्होंने खादी विलेज इंडस्ट्री, राजघाट और फिर कृषि विज्ञान केंद्र, उज्वा से खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing) की ट्रेनिंग ली है। इसके बाद, उन्होंने WWP से भी प्रशिक्षण लिया, जहां से उन्हें बहुत सपोर्ट मिला। इसलिए वे महिलाओं से कहती हैं, “घर से बाहर निकलों, थोड़ा हाथ बंटाओ, तभी आगे बढ़ सकती हो।”
वंदना जी पहले स्कूल टीचर थीं, इसलिए उनके अंदर समाज के लिए कुछ करने की भावना और जज़्बा पहले से था। वे ऐसी महिलाओं को भी आगे बढ़ा रही हैं, जो खाद्य प्रसंस्करण के बजाय दूसरे काम करती हैं जैसे सिलाई-बुनाई आदि। एक विकलांग महिला के बारे में बताते हुए वे कहती हैं, “वह महिला बहुत सुंदर क्रोशिया का काम करती हैं, मगर वह घर से बाहर नहीं निकलना चाहती थीं। तो वंदना जी ने उनके काम को WWP के प्लेटफॉर्म तक पहुंचाया और अब वे उससे कुछ कमाई कर रही हैं।” उस महिला को पहले पता ही नहीं था कि वह अपने काम से कुछ कमाई भी कर सकती है।
इस तरह वंदना जी महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने में मदद कर रही हैं और उन्हें यह दिखा रही हैं कि सही दिशा में काम करने से वे अपनी ज़िंदगी को बदल सकती हैं।
कौन-कौन से उत्पाद बना रही हैं? (What products are you making)
वंदना जी का स्वयं सहायता समूह कई तरह के हेल्दी उत्पाद बना रहा है, जो पूरी तरह से नेचुरल चीज़ों से तैयार किए जाते हैं और इनमें किसी भी तरह के केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया गया है। उनके उत्पादों में शामिल हैं गुलाब शरबत, पान शरबत, आम पन्ना, जौ शरबत। इसके अलावा, वे जौ का सत्तू, जौ का दलिया भी बनाती हैं। वंदना जी का कहना है कि वे मिलेट्स को आगे बढ़ाना चाहती हैं। उनके उत्पाद के लिए कच्चा माल किसानों से ही मिलता है, और जब उनका उत्पादन बढ़ेगा, तो किसान भी ज़्यादा फ़सल उगाने के लिए प्रेरित होंगे और वे आगे बढ़ेंगे। जब किसान आगे बढ़ेगा तभी तो देश आगे बढ़ेगा।
वंदना जी किसानों की फ़सल को ही प्रोसेस्ड फूड में बदलकर लोगों तक पहुंचा रही हैं। उनके स्वयं सहायता समूह के उत्पादों में गेहूं का अंकुरित दलिया भी शामिल है, जिसे लोग बहुत पसंद कर रहे हैं क्योंकि यह आसानी से पच जाता है। इसके अलावा, वे आंवला चटनी, आंवला गुलकंद चटनी, मिलेट्स लड्डू, खजूर के लड्डू भी बनाती हैं, जो कि त्योहारों में खूब बिकते हैं।
वंदना जी कहती हैं कि दीवाली के मौके पर लोग एक दूसरे को मिठाईयां खिलाते हैं, तो खजूर के लड्डू एक हेल्दी विकल्प है। इसमें चीनी और खांड नहीं डाली जाती, बल्कि शहद डाला जाता है, और यह लड्डू लोगों को बहुत पसंद आता है। इसके अलावा, उनका पान का शरबत गर्मियों के लिए बहुत रिफ्रेशिंग ड्रिंक है। इसमें पान में इस्तेमाल होने वाली सारी सामग्री डाली जाती है, जैसे गुलकंद, इलायची, पान का पत्ता, और खांड डालकर इसे बनाया जाता है। गर्मियों में लू से बचाने में यह फ़ायदेमंद होता है।
इस तरह, खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing) की मदद से वंदना जी और उनके समूह ने न केवल स्वस्थ उत्पाद तैयार किए हैं, बल्कि स्थानीय किसानों की मदद भी की है, जिससे उनकी आय में भी वृद्धि हो रही है।
मौसम के हिसाब से बनाती हैं उत्पाद (Make products according to the season)
वंदना जी बताती हैं कि उनका स्वयं सहायता समूह मौसम के हिसाब से काम करता है यानी जो भी मौसमी चीज़ें होती हैं वो किसानों से लेकर उसके प्रोसेस्ड उत्पाद बनाती हैं। जैसे नींबू का मौसम आया तो नींबू का पानी बना लिया, नींबू का अचार बना दिया। इसके अलावा वो मीठी चीज़ों में चीनी की बजाय खांड का इस्तेमाल करती हैं, जबकि नकमीन चीज़ों के लिए सेंधा नमक का इस्तेमाल करती हैं।
किसान को अच्छी कीमत मिल जाती है (The farmer gets a good price)
वंदना जी का कहना है कि वे हमेशा किसानों से जुड़कर उनके साथ काम करना चाहती थीं। एक बार प्रगति मैदान में उनकी मुलाकात एक किसान से हुई, जो मेहंदी लेकर आए थे। उन्होंने किसान से कहा कि मुझे मेहंदी का बिज़नेस करना है, और उस किसान ने घर जाने के बाद उन्हें मेहंदी भेजी, और वंदना जी ने छोटा सा बिज़नेस शुरू किया, लेकिन खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing) के कारण यह काम आगे नहीं बढ़ पाया।
फिर भी, वे किसानों से जुड़कर उनके उत्पादों को कुछ अलग तरीके से आगे बढ़ाना चाहती थीं, इसलिए उन्होंने खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing) का काम शुरू किया। जहां तक किसानों के फ़ायदे का सवाल है, तो उन्हें अपनी फ़सल की अच्छी कीमत मिल जाती है, और उन्हें अपनी फ़सल को बेचने की टेंशन नहीं रहती है।
सेहत के लिए फ़ायदेमंद (Beneficial for health)
वंदना जी बताती हैं कि उनके उत्पाद पूरी तरह से कुदरती हैं। प्रिज़र्वेटिव के रूप में वो नींबू की कुछ बूंदें डालती हैं। साथ ही खांड मिलाने पर भी जल्दी चीज़ें ख़राब नहीं होती हैं। उनके उत्पाद केमिकल फ्री हैं। हालांकि, वो ये बात मानती हैं कि बाज़ार में पहले से मौजूद चीज़ों के बीच उनके उत्पादों के लिए जगह बनाना थोड़ा मुश्किल ज़रूर होगा, लेकिन धीरे-धीरे वो भी हो जाएगा। वंदना जी का मानना है कि खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing) के जरिए वे अपने उत्पादों की गुणवत्ता को बनाए रखते हुए, ग्राहकों तक एक स्वस्थ और सुरक्षित विकल्प पहुंचा सकती हैं।
महिलाओं को सलाह (Advice to women)
वंदना जी औरतों को सलाह देती हैं कि अपने हुनर को पहचानकर आगे बढ़िए। उनका कहना है कि महिलाओं में इतनी शक्ति है कि बच्चे और घर का काम करने के बाद भी उनके अंदर ये इच्छा बनी रहती है कि मैं कहां खड़ी हूं, उम्र चाहे जो भी हो जाए वो खुद की अलग पहचान चाहती हैं। इसलिए खाली समय में कुछ न कुछ सिलाई-बुनाई, कुकिंग जैसे काम करने लगती हैं, बस उन्हें अपने इसी हुनर को बिज़नेस के रूप में अपना लेना चाहिए। महिलाएं एक साथ कई ज़िम्मेदारियां बखूबी निभा सकती हैं, तभी तो उन्हें नवदुर्गा कहा जाता है।
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