प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के 5 साल, क्या कहते हैं मछली पालन से जुड़े ताज़ा आंकड़े?

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना: ब्लू इकोनॉमी की ताकत, तकनीक और रोजगार से बदल रहा है भारत का मत्स्य क्षेत्र।

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना

भारत सरकार की प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) को आज पांच साल पूरे हो गए। 10 सितंबर 2020 को शुरू हुई इस योजना ने मछली पालन के क्षेत्र में बड़े बदलाव लाए हैं। इस दौरान भारत न केवल दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक बना, बल्कि लाखों लोगों को रोजगार भी मिला और निर्यात के नए रिकॉर्ड भी बने।

मछली उत्पादन में रिकॉर्ड और वैश्विक पहचान

पिछले पांच साल में देश का मछली उत्पादन लगातार बढ़ा है।

  • 2019–20 में उत्पादन 141.64 लाख टन था।

  • 2024–25 में यह बढ़कर 195 लाख टन हो गया।

अब भारत दुनिया के कुल मछली उत्पादन का लगभग 8% योगदान करता है। ये उपलब्धि भारत को वैश्विक स्तर पर एक बड़ी ताकत बनाती है।

मछली निर्यात में जबरदस्त बढ़त

भारत का समुद्री और ताज़े पानी की मछलियों का निर्यात भी लगातार बढ़ा है।

  • 2019–20 में निर्यात ₹46,662 करोड़ का था।

  • 2023–24 में ये बढ़कर ₹60,524 करोड़ हो गया।

इससे भारत की समुद्री खाद्य मार्केट में साख और मजबूत हुई है।

महिलाओं के लिए 60% तक वित्तीय सहायता

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से अब तक 58 लाख से ज़्यादा लोगों को रोज़गार मिला है। खास बात ये है कि करीब 1 लाख महिलाएं सीधा लाभ उठा चुकी हैं। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए खास प्रावधान किए गए हैं। योजना के तहत महिलाओं को कुल प्रोजेक्ट लागत की 60% तक वित्तीय सहायता (₹1.5 करोड़/प्रोजेक्ट) प्रदान करके मत्स्य पालन में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देती है।

2020–21 से 2024–25 के बीच, महिलाओं से जुड़े ₹4,061.96 करोड़ के प्रस्ताव मंज़ूर किए गए, जिनसे 99,018 महिलाएं सीधे जुड़ीं। इसके अलावा, राज्य सरकारों ने महिलाओं के लिए प्रशिक्षण, जागरूकता और क्षमता-विकास कार्यक्रम भी चलाए हैं, ताकि उन्हें आर्थिक मदद के साथ-साथ व्यावहारिक ज्ञान और कौशल भी मिल सके।

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से जुड़ी सफ़लता की कहानी

उत्तराखंड के कपिल तलवार ने कोविड-19 महामारी के दौरान अपनी नौकरी गंवाने के बाद प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) से जुड़कर ज़िले का सबसे बड़ा बायोफ्लॉक यूनिट शुरू किया। आज उनकी यूनिट न केवल हज़ारों मछलियां पैदा कर रही है, बल्कि सात अन्य लोगों को रोज़गार और ग्रामीण महिलाओं को प्रशिक्षण भी दे रही है।

ढांचे और तकनीक पर ज़ोर

सरकार ने मछली पालन को टिकाऊ और आधुनिक बनाने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश किया है।

  • 58 मछली पकड़ने के बंदरगाह और लैंडिंग सेंटर स्वीकृत।

  • 734 कोल्ड स्टोरेज और आइस प्लांट, 21 आधुनिक थोक मछली बाजार, और 6,410 फिश कियोस्क।

  • 27,297 फिश ट्रांसपोर्ट यूनिट्स और 5 ई-प्लेटफॉर्म डिजिटल व्यापार के लिए।

  • 100 तटीय गांवों को जलवायु-संवेदनशील मछुआरा गांव के रूप में विकसित किया गया।

  • 22,000 से ज्यादा बायोफ्लॉक और आधुनिक टैंक सिस्टम लगाए गए।

  • बायोफ्लॉक तकनीक से मछली पालन कम पानी और खर्च में संभव हो पाया है। इसे पर्यावरण के लिए सुरक्षित और “ग्रीन सूप” कहा जाता है।

डिजिटल बदलाव और नई योजनाएं

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना की शुरुआत में ₹20,050 करोड़ का निवेश तय किया गया था। अब इसे बढ़ाकर 2025–26 तक जारी रखा गया है। 2024 में एक नई सब-स्कीम प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह योजना (PM-MKSSY) शुरू हुई, जिसमें ₹6,000 करोड़ का निवेश है। इसका फोकस है:

  • मछली पालन को औपचारिक रूप देना।

  • किसानों को बीमा और कर्ज की सुविधा देना।

  • वैल्यू चेन को और मजबूत करना।

नेशनल फिशरीज डिजिटल प्लेटफॉर्म (NFDP)

2024 में शुरू हुआ ये पोर्टल अब तक 27 लाख से ज्यादा मछुआरों और किसानों को जोड़ चुका है। इसके ज़रिए डिजिटल पहचान बनाई जा रही है, कर्ज और बीमा सुविधाएं मिल रही हैं, प्रशिक्षण और प्रदर्शन-आधारित प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं।

आने वाले सालों की राह

पांच साल में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) ने ये साबित किया है कि मछली पालन केवल भोजन और आजीविका का साधन नहीं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था और निर्यात का बड़ा स्तंभ बन चुका है।

आने वाले समय में योजना का लक्ष्य है:

  • मछली किसानों और मछुआरों की आमदनी दोगुनी करना।

  • रोजगार के और अवसर बनाना।

  • भारत को वैश्विक स्तर पर ब्लू इकोनॉमी का अग्रणी देश बनाना।

ये योजना अब तक का सबसे बड़ा “ब्लू रिवॉल्यूशन” (Blue Revolution) साबित हो रही है, जिसमें उत्पादन, रोजगार, तकनीक और महिलाओं की भागीदारी सब एक साथ बढ़ रहे हैं।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top