खेती को फ़ायदे का सौदा बनाने की चुनौती: ग्वालियर में कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रखी गेहूं और जौ उत्पादन पर ज़ोरदार बात

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान (Union Agriculture and Farmers Welfare Minister Shivraj Singh Chouhan) ने 26 अगस्त 2025 को ग्वालियर में राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय (Rajmata Vijayaraje Scindia Agricultural University) में आयोजित '64वीं अखिल भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान कार्यकर्ता गोष्ठी' ('64th All India Wheat and Barley Research Workers' Conference') में अपने संबोधन में देश में गेहूं उत्पादन में हुई शानदार बढ़ोत्तरी का जिक्र किया।

खेती को फ़ायदे का सौदा बनाने की चुनौती: ग्वालियर में कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रखी गेहूं और जौ उत्पादन पर ज़ोरदार बात

उत्पादन बढ़ाना अब अकेली प्राथमिकता (Priority) नहीं है, बल्कि खेती की लागत कम करना और इसे फायदेमंद बनाना हमारी सबसे बड़ी चुनौती है। ये बात केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान (Union Agriculture and Farmers Welfare Minister Shivraj Singh Chouhan) ने 26 अगस्त 2025 को ग्वालियर में राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय (Rajmata Vijayaraje Scindia Agricultural University) में आयोजित ’64वीं अखिल भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान कार्यकर्ता गोष्ठी’ (’64th All India Wheat and Barley Research Workers’ Conference’) में कही। 

कृषि मंत्री ने देश में खाद्य सुरक्षा (Food Security) की मजबूत नींव रखने वाले कृषि वैज्ञानिक डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन के शताब्दी वर्ष (Centenary year of agricultural scientist Dr. M.S. Swaminathan)  को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि (tribute) अर्पित की।

प्रोडक्शन में उछाल, लेकिन चुनौतियां बरकरार

कृषि मंत्री चौहान ने अपने संबोधन में देश में गेहूं उत्पादन में हुई शानदार बढ़ोत्तरी का जिक्र करते हुए बताया कि पिछले 10-11 सालों में गेहूं का उत्पादन 86.5 मिलियन टन से बढ़कर 117.5 मिलियन टन हो गया है, जो लगभग 44 फीसदी की भारी बढ़ोतरी को दिखाता है। ये सफलता देश के किसानों के अथक परिश्रम और वैज्ञानिकों के इनोवेटिव इनोवेशन का ही नतीजा है। हालांकि, कृषि मंत्री ने ये भी साफ किया कि अभी भी प्रति हेक्टेयर उत्पादन को वैश्विक औसत (global average) के स्तर तक लाने के लिए और काम करने की ज़रूरत है।

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दलहन-तिलहन और जौ पर ज़ोर

कृषि मंत्री ने एक महत्वपूर्ण मोड़ की ओर इशारा करते हुए कहा कि अब गेहूं और चावल के पर्याप्त उत्पादन के बाद, रणनीति बदलने का समय आ गया है। अब हमें दलहन (जैसे चना, मसूर) और तिलहन (जैसे सोयाबीन, मूंगफली) की उत्पादकता (Productivity) बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना होगा ताकि इनके आयात पर निर्भरता कम हो सके। साथ ही, उन्होंने जौ जैसे पारंपरिक अनाज के औषधीय महत्व को बताते हुए इसके प्रोडक्शन और प्रोत्साहन पर भी जोर दिया।

‘लैब टू लैंड’ और फ्यूचर की प्लानिंग 

कृषि मंत्री चौहान ने वैज्ञानिकों से कई अहम Expectations भी रखीं। उन्होंने Biofortified (पोषक तत्वों से भरपूर) गेहूं की किस्में विकसित करने, असंतुलित उर्वरकों (Unbalanced fertilizers) के इस्तेमाल से मिट्टी की क्वलिटी (Quality of soil) में आ रही गिरावट को रोकने और पराली मैनेजमेंट की प्रभावी तकनीकों पर रीसर्च को तेज़ करने की बात कही। उन्होंने जोर देकर कहा कि शोध के नतीजों को खेतों तक पहुंचाकर ही ‘Land from the Lab’ के टारगेट को हासिल किया जा सकता है।

फ़ेक इनपुट्स पर सख़्ती और इंटीग्रेटेड खेती का मंत्र

किसानों को नकली खाद और कीटनाशकों (Fake fertilizers and pesticides) से बचाने के लिए सरकार की सख़्त नीति का उल्लेख करते हुए मंत्री ने बताया कि ऐसी कंपनियों के लाइसेंस रद्द किए जा रहे हैं जिनके प्रोडक्ट से फसलों को नुकसान हुआ है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। छोटे और सीमांत किसानों (Small and marginal farmers) के लिए उन्होंने ‘एकीकृत खेती’ (‘Integrated Farming’) को फायदेमंद रास्ता बताया, जिसमें खेती के साथ-साथ पशुपालन, मधुमक्खी पालन, मत्स्य पालन और बागवानी को जोड़ा जाता है। इससे आमदनी के कई सोर्स बनते हैं और जोखि़म कम होता है।

 

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