AI-Based Weather Forecasting: AI की बदौलत बारिश की हर बूंद का अंदाजा! अब नहीं होगी मेहनत बेकार, मिलेगा अगले 4 हफ्ते का पूरा प्लान

भारत सरकार ने कृषि क्षेत्र में एक ऐतिहासिक और दुनिया में अपनी तरह का पहला प्रोग्राम शुरू किया है- एआई-आधारित मौसम पूर्वानुमान (AI-based weather forecasting)। ये सिर्फ एक टेक्नोलॉजी प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि करोड़ों किसानों की जिंदगी बदलने का एक ज़रिया है।

AI-Based Weather Forecasting: AI की बदौलत बारिश की हर बूंद का अंदाजा! अब नहीं होगी मेहनत बेकार, मिलेगा अगले 4 हफ्ते का पूरा प्लान

कल्पना कीजिए, एक किसान खेत की मेड़ पर बैठा मौसम का इंतज़ार कर रहा है। उसकी पूरी फसल, उसकी आमदनी और उसके परिवार का भविष्य बारिश की एक बूंद पर टिका है। अब सोचिए, अगर उसे पहले से ही पता चल जाए कि अगले चार हफ्तों में बारिश कैसी होने वाली है, तो उसके फैसले कितने आसान और सटीक हो सकते हैं? ये कल्पना अब भारत के 3.8 करोड़ किसानों के लिए हकीकत बन चुकी है।

भारत सरकार ने कृषि क्षेत्र में एक ऐतिहासिक और दुनिया में अपनी तरह का पहला प्रोग्राम शुरू किया है- एआई-आधारित मौसम पूर्वानुमान (AI-based weather forecasting)। ये सिर्फ एक टेक्नोलॉजी प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि करोड़ों किसानों की जिंदगी बदलने का एक ज़रिया है।

क्यों है AI-based weather forecasting ज़रूरी?

भारत में खरीफ की फसल (बरसात की फसल) करोड़ों किसानों की आय और आजीविका का मुख्य स्रोत है। परंपरागत रूप से, यह पूरी तरह से मानसून की अनिश्चितता (Uncertainty) पर निर्भर है। कभी देरी, कभी कम बारिश, तो कभी तेज बारिश,किसान की मेहनत बारिश के मिजाज के आगे बेबस नजर आती थी। लेकिन अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) ने इस चुनौती का समाधान निकाला है।

क्या है ये अनोखा कार्यक्रम?

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय (Ministry of Agriculture and Farmers Welfare) ने इस साल एक अनूठी पहल की। उन्होंने देश के 13 राज्यों के लगभग 3.8 करोड़ किसानों को सीधे उनके मोबाइल फोन परSMS के जरिए एआई-आधारित मानसून पूर्वानुमान (AI-based weather forecasting) भेजे। यानी, बारिश शुरू होने से पूरे चार हफ्ते पहले ही किसानों को ये जानकारी मिल गई कि उनके इलाके में बारिश कैसी होगी।

इससे किसानों को फैसला लेने में बहुत मदद मिली.कौन सी फसल बोनी है, कितनी मात्रा में बोनी है, और कब बोनी है। ये दुनिया में एआई मौसम पूर्वानुमानों (AI weather forecasts) का पहला टार्गेट और इतने बड़े पैमाने पर broadcast है, जिसने भारत को इस क्षेत्र में World-leading बना दिया है।

टेक्नोलॉजी कैसे काम कर रही है?

ये कोई साधारण मौसम अपडेट नहीं है। मंत्रालय ने दो शक्तिशाली ओपन-एक्सेस एआई मॉडल्स का इस्तेमाल किया:

1.Google’s Neural GCM (Neural GCM)

2.यूरोपियन सेंटर फॉर मीडियम-रेंज वेदर फोरकास्ट्स (European Centre for Medium-Range Weather Forecasts) का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस फोरकास्टिंग सिस्टम (AIFS)

कड़े विश्लेषण (Rigorous analysis) में, ये मॉडल भारतीय मानसून जैसी जटिल प्रक्रिया का पूर्वानुमान लगाने में दूसरे उपलब्ध मॉडल्स से कहीं ज्यादा सटीक साबित हुए। खास बात ये है कि इन्हें किसानों की ख़ास ज़रूरतों के हिसाब से ढाला गया है।

इस साल की सफलता 

इस साल मानसून समय से पहले आया, लेकिन फिर उत्तर की ओर बढ़ते हुए लगभग 20 दिनों के लिए रुक गया। ये एक बड़ी चुनौती थी। लेकिन मंत्रालय के एआई मॉडलों ने इस ‘ब्रेक’ या रुकावट की सटीक पहचान पहले ही कर ली थी। सरकार ने लगातार किसानों को हफ्तावार अपडेट भेजकर उन्हें सचेत और तैयार रखा।

kisan of india instagram

एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं?

  • डॉ. प्रमोद कुमार मेहरदा (अपर सचिव, कृषि मंत्रालय) कहते हैं, ‘ये कार्यक्रम एआई की ताकत से किसानों को जोखिम प्रबंधन और बेहतर योजना बनाने में मदद कर रहा है।’
  • नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर रमेश चंद इस पहल की सराहना करते हुए कहते हैं कि ये किसान-केंद्रित है और आसान भाषा में जानकारी देकर उनके निर्णय लेने की क्षमता बढ़ा रही है।
  • नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर माइकल क्रेमर इसे मंत्रालय की एक बड़ी उपलब्धि बताते हैं। उनका कहना है, ‘मंत्रालय का कार्यक्रम इस बात का एक मॉडल है कि एआई के युग में लोगों को कैसे प्रायोरिटी दी जाए।’

 भविष्य की ओर एक मज़बूत कदम

Climate change के कारण मौसम और ज्यादा अप्रत्याशित होता जा रहा है। ऐसे में, एआई आधारित ये पहल किसानों के लिए एक वरदान साबित हो रही है। ये सिर्फ एसएमएस भेजने का कार्यक्रम नहीं है, बल्कि टेक्नोलॉजी को ज़मीनी स्तर पर लाकर आम आदमी की जिंदगी बेहतर बनाने की मिसाल है।

ये प्रोग्राम दिखाता है कि सही दिशा में किया गया इनवेस्टमेंट और इनोवेशन किस तरह देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले किसान की तकदीर बदल सकता है। भविष्य में इसके और विस्तार और सुधार की संभावनाएं हैं, जो भारतीय कृषि को और भी ज्यादा स्मार्ट, सुरक्षित और मुनाफे का सौदा बना सकती हैं।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

इसे भी पढ़िए:  The Story of Golden Fibres: भारत की पश्मीना से लेकर शेख़ावटी ऊन ने दुनिया में बजाया अपना डंका,ऊन उत्पादन में भारत ने मारी बाजी!

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top