अरहर, मूँग और उड़द की पैदावार बढ़ाने के लिए 20 लाख ‘मिनी बीज किट’ मुफ़्त बाँटने की घोषणा

दलहन की खेती को प्रोत्साहित करने वाली ‘मिनी बीज किट’ का दाम करीब 82 करोड़ रुपये होगा। इसका खर्च केन्द्र सरकार उठाएगी। इन किट्स को 15 जून तक ज़िला स्तरीय वितरण केन्द्रों तक पहुँचा दिया जाएगा। सरकार का इरादा है कि ‘मिनी बीज किट’ के ज़रिये अगले साल अरहर, मूँग और उड़द का इतना उत्पादन बढ़ा लिया जाए कि भारत की आयात पर निर्भरता ख़त्म हो सके।

देसी बीज desi seeds

केन्द्र और राज्यों के साझा परामर्श के बाद देश में अरहर, मूँग और उड़द का रकबा तथा दालों का उत्पादन बढ़ाने के लिए एक ‘बूस्टर प्लान’ बनाया गया है। इसके तहत आगामी खरीफ सीज़न के लिए किसानों को उन्नत किस्मों के 20.27 लाख ‘मिनी बीज किट’ मुफ़्त दिये जाएँगे। ताकि देश में अरहर, मूँग और उड़द की खेती का रकबा 4.05 लाख हेक्टेयर तक पहुँचा दिया जाए। इसीलिए पिछले साल के मुकाबले इस साल किसानों को 10 गुना ज़्यादा यानी 20.27 लाख ‘मिनी बीज किट’ बाँटने का लक्ष्य रखा गया है।

82 करोड़ रुपये का बूस्टर प्लान

दलहन की खेती को प्रोत्साहित करने वाले ‘मिनी बीज किट’ पर इस साल केन्द्र सरकार करीब 82 करोड़ रुपये खर्च करेगी। इन किट्स को 15 जून तक देश के 332 ज़िलों में वितरण केन्द्रों तक पहुँचा दिया जाएगा। सरकार का इरादा है कि ‘मिनी बीज किट’ के ज़रिये अगले साल अरहर, मूँग और उड़द का इतना उत्पादन बढ़ा लिया जाए कि भारत की आयात पर निर्भरता ख़त्म हो सके। क्योंकि अपनी माँग की भरपाई के लिए भारत को अब भी करीब 4 लाख टन अरहर, 60,000 टन मूँग और 3 लाख टन उड़द का आयात करना पड़ रहा है। ये आयात हमारी कुल खपत का 3.1 प्रतिशत है।

7 साल में औसतन 3.7% रही सालाना वृद्धि दर 

ये आलम तब है जबकि बीते 7 साल में दालों की पैदावार 26 प्रतिशत बढ़ी है और इसकी सालाना औसत वृद्धि दर 3.7% रही है। 2013-14 में देश में दलहन उत्पादन 183.4 लाख टन था, जो 2020-21 में 244.2 लाख टन तक पहुँच गया। इसीलिए ‘दलहन के बूस्टर प्लान’ के तहत मुफ़्त बाँटे जाने ‘मिनी बीज किट’ के सदुपयोग के लिए खरीफ सीज़न के दौरान तमाम कृषि संस्थाओं के नेटवर्क की ओर से किसानों को उन्नत बीजों के उपयोग की तकनीक के बारे में भी प्रशिक्षित किया जाएगा।

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10 साल पुराना है A3P

दलहन की पैदावार में ज़बरदस्त उछाल लाने के लिए साल 2010 राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत Accelerated Pulses Production Programme (A3P) बनाया गया और साल 2016-17 तक देश के 644 ज़िलों को इस अभियान से जोड़ा गया। दालों के उत्पादन के मामले में देश के आत्मनिर्भर बनाने पर नरेन्द्र मोदी सरकार ने बहुत ज़ोर दिया। किसानों को दाल का रकबा और प्रति एकड़ उत्पादकता बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया गया। इसके लिए बजटीय समर्थन बढ़ाकर एक ओर किसानों को  उन्नत नस्ल के बीज और तकनीक मुहैया करवायी गयी तो दूसरी ओर दालों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लगातार बढ़ाया गया।

हालाँकि, दलहन फसलों की माँग हमेशा पैदावार से ख़ासी ज़्यादा रही है, इसलिए किसानों की MSP पर निर्भरता बहुत मामूली ही रही है। फिर भी दालों की खेती के प्रति किसानों का रुझान बढ़ाने के लिए 97 ज़िला कृषि विज्ञान केन्द्रों, 46 राज्य कृषि विश्वविद्यालयों और ICAR के 7 संस्थानों का ऐसा साझा नेटवर्क बनाया गया जो दालों के उन्नत बीजों की पर्याप्त मात्रा सुनिश्चित कर सके। इसके लिए 24 राज्यों में दालों के लिए 150 बड़े बीज उत्पादन केन्द्र बनाये गये और 11 राज्यों में 119 किसान उत्पादक संगठनों (FPO) को दलहन के उन्नत बीजों के उत्पादन से जोड़ा गया।

A3P की उपलब्धियाँ

Accelerated Pulses Production Programme (A3P) यानी दालों की पैदावार में तेज़ी लाने का मौजूदा कार्यक्रम अब दस साल से ज़्यादा पुराना है।

अरहर – A3P के तहत दस साल के दौरान अरहर की अधिक उपज देने वाले यानी High yielding variety of Seeds (HYVS) 13.51 लाख ऐसी ‘मिनी बीज किट्स’ बाँटी गयीं जिनकी एक से अधिक फसल के लिए उत्पादकता 15 क्विन्टल प्रति हेक्टेयर से कम नहीं है। इस बार भी मुफ़्त ‘मिनी बीज किट्स’ वितरण योजना से आन्ध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश के 187 ज़िलों को कवर किया जाएगा।

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मूँग –  A3P के तहत 10 वर्षों में HYVS वाले मूँग की 4.73 लाख ऐसी ‘मिनी बीज किट्स’ बाँटी गयीं जिसकी एक से अधिक फसल के लिए उत्पादकता 10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से कम नहीं है। इस साल भी मूँग की इंटरक्रॉपिंग खेती में आन्ध्र प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश के 85 ज़िलों को शामिल किया जाएगा।

उड़द – HYVS वाले उड़द की 93,805 ऐसी ‘मिनी बीज किट्स’ का पिछले 10 साल में वितरण किया गया जिसकी एक से अधिक फसल के लिए उत्पादकता 10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से कम नहीं है। इस बार भी आन्ध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश के 60 ज़िलों को उड़द की इंटरक्रॉपिंग खेती के लिए चुना गया है।

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