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बिहार राज्य ने कृषि क्षेत्र में निरंतर नवाचार और सरकारी योजनाओं की मदद से उल्लेखनीय प्रगति की है। विशेष रूप से केले की खेती में हुए बदलाव ने राज्य को फलों की खेती में अग्रणी बना दिया है। वर्ष 2004-05 में जहां कुल उत्पादन 5.45 लाख मीट्रिक टन था, वहीं 2022-23 में यह बढ़कर 19.68 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच गया है। इसी दौरान केले की खेती का रकबा भी 27,200 हेक्टेयर से बढ़कर 42,900 हेक्टेयर हो गया।
कृषि रोड मैप और टिश्यू कल्चर तकनीक की भूमिका (Agriculture road map and role of tissue culture technique)
इस उल्लेखनीय वृद्धि का श्रेय राज्य सरकार की कृषि रोड मैप नीति और वैज्ञानिक टिश्यू कल्चर खेती तकनीक को जाता है। टिश्यू कल्चर तकनीक से तैयार किए गए केले के जी-9, मालभोग और चीनिया जैसे प्रभेद न केवल रोगमुक्त हैं, बल्कि इनमें उपज भी अत्यधिक होती है। इस तकनीक के जरिए किसानों की केले की खेती से आमदनी में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
उत्पादकता में हुई जबरदस्त वृद्धि (Tremendous increase in productivity)
जहां पहले प्रति हेक्टेयर उत्पादकता 20 मीट्रिक टन थी, वहीं अब यह बढ़कर 45 मीट्रिक टन हो गई है। वर्ष 2022-23 के आंकड़ों के अनुसार, पिछले दो दशकों में केले की खेती के रकबे में 58%, उत्पादन में 261% और उत्पादकता में 125% की वृद्धि हुई है। इन आंकड़ों से साफ है कि बिहार टिश्यू कल्चर खेती के माध्यम से फलों की उत्पादकता में आत्मनिर्भर बन रहा है।
टिश्यू कल्चर खेती के लिए सरकार की सहायता (Government assistance for tissue culture cultivation)
बिहार सरकार की “फल विकास योजना” के तहत किसानों को टिश्यू कल्चर केले की खेती अपनाने के लिए 50% तक अनुदान प्रदान किया जा रहा है। प्रति हेक्टेयर 1.25 लाख रुपये की इकाई लागत पर 62,500 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में इस योजना से 3,624 किसान लाभान्वित हुए हैं। यह अनुदान किसानों को तकनीकी खेती के लिए प्रेरित करने में सफल साबित हो रहा है।
क्या है टिश्यू कल्चर खेती? (What is tissue culture farming?)
टिश्यू कल्चर खेती एक वैज्ञानिक विधि है, जिसमें पौधे की कोशिकाओं या ऊतकों को विशेष प्रयोगशाला वातावरण में पोषक माध्यम में विकसित किया जाता है। इस प्रक्रिया से तैयार पौधे बीमारी रहित, तेज वृद्धि करने वाले और उच्च गुणवत्ता वाले होते हैं। विशेषकर केले की खेती में यह तकनीक सफल मानी जा रही है क्योंकि इससे एक समान और बेहतर गुणवत्ता वाले पौध तैयार किए जा सकते हैं।
केले की खेती से जुड़ी नई संभावनाएं (New possibilities related to banana cultivation)
राज्य सरकार की योजना है कि आने वाले वर्षों में केले की खेती को और अधिक विस्तारित किया जाए। टिश्यू कल्चर तकनीक के प्रसार से बिहार के किसान अब वैश्विक मानकों की गुणवत्ता वाली फ़सलें उगा पा रहे हैं। इससे राज्य की अर्थव्यवस्था को भी मज़बूती मिली है और किसानों का जीवनस्तर ऊंचा हुआ है।
बिहार बना केला उत्पादन का हब (Bihar becomes a hub of banana production)
इन तमाम प्रयासों से बिहार आज केले की खेती के क्षेत्र में एक अग्रणी राज्य के रूप में उभरकर सामने आया है। सरकार के अनुसार आने वाले समय में टिश्यू कल्चर के जरिए अन्य फल फ़सलों में भी इसी तरह की तकनीकी क्रांति लाई जाएगी। इसका लाभ राज्य के लाखों किसानों को मिलेगा।
निष्कर्ष (Conclusion)
बिहार में केले की खेती का यह बदलाव न केवल तकनीकी प्रगति का उदाहरण है, बल्कि यह बताता है कि कैसे नीति, नवाचार और सरकारी सहयोग से खेती को लाभकारी व्यवसाय में बदला जा सकता है। टिश्यू कल्चर खेती के जरिए किसान अब कम समय में अधिक और बेहतर फ़सल प्राप्त कर रहे हैं, जिससे उनकी आमदनी में बढ़ोतरी और जीवन में स्थिरता आई है।
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