Climate Change: जलवायु परिवर्तन में किसानों का सहारा कैसे बन रही ये पहल और योजनाएं? जानिए जानकारी

AIF का उद्देश्य है-किसानों को उनके उत्पादों का 75-80% उपभोक्ता मूल्य दिलाना। पोस्ट-हार्वेस्ट प्रबंधन में सुधार और बिचौलियों पर निर्भरता को कम करना। जैविक इनपुट, बीज प्रसंस्करण और फार्म ऑटोमेशन जैसी परिसंपत्तियों में निवेश को बढ़ावा देना।

Climate Change: जलवायु परिवर्तन में किसानों का सहारा कैसे बन रही ये पहल और योजनाएं? जानिए जानकारी

वर्तमान कृषि ऋण व्यवस्थाएं जलवायु अनुकूल खेती (Climate friendly farming) की चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार की गई हैं। ये योजनाएं किसानों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती हैं और उन्हें सतत कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।

प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित किसानों के लिए ब्याज अनुदान

किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) योजना के तहत संशोधित ब्याज अनुदान योजना (MISS) किसानों को रियायती ब्याज दरों पर अल्पकालिक कृषि ऋण प्रदान करती है। इस योजना के तहत:

  • किसानों को 7% वार्षिक ब्याज दर पर ऋण मिलता है।
  • समय पर ऋण चुकाने पर 3% की प्रॉम्प्ट रिपेमेंट इंसेंटिव (PRI) दी जाती है, जिससे प्रभावी ब्याज दर 4% रह जाती है।
  • प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में पुनर्गठित ऋणों पर पहले वर्ष में ब्याज अनुदान प्रदान किया जाता है।
  • गंभीर प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में यह अनुदान अधिकतम 5 वर्षों तक बढ़ाया जा सकता है।

कृषि अवसंरचना कोष (AIF) के माध्यम से कृषि ऋण सहायता

AIF के तहत किसानों को मध्यम और दीर्घकालिक ऋण प्रदान किए जाते हैं, जिससे खेत स्तर पर भंडारण और लॉजिस्टिक्स जैसी संरचनाएँ विकसित की जा सकें। इस योजना के अंतर्गत:

  • अधिकतम 9% की ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराया जाता है।
  • 2 करोड़ रुपये तक के ऋण पर 3% वार्षिक ब्याज अनुदान दिया जाता है।
  • यह योजना जलवायु अनुकूल कृषि उपकरणों, सौर ऊर्जा संयंत्रों और जैविक खाद उत्पादन को प्रोत्साहित करती है।

जलवायु अनुकूल कृषि के लिए अन्य पहल

  • राष्ट्रीय नवाचार योजना (NICRA) के तहत जलवायु अनुकूल फसल और पशुपालन को बढ़ावा दिया जा रहा है।
  • एग्री-फिनटेक प्लेटफॉर्म जैसे ITC MAARS, किसानों को KCC और इनपुट ऋण प्रदान कर जलवायु-स्मार्ट कृषि पद्धतियों को अपनाने में मदद कर रहे हैं।

जलवायु वित्तीय उत्पादों का विकास

सरकार ने जलवायु वित्तीय उत्पादों को बढ़ावा दिया है, जो जलवायु अनुकूल संरचनाओं और तकनीकों में निवेश को बढ़ावा देते हैं। उदाहरण:

  • NABARD द्वारा ग्रीन क्लाइमेट फंड (GCF) और राष्ट्रीय अनुकूलन कोष (NAFCC) के माध्यम से कृषि में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए धन उपलब्ध कराया जाता है।

कृषि में नवीकरणीय ऊर्जा का प्रचार

सरकार ने पीएम-कुसुम योजना शुरू की है, जिसके तहत:

  • किसानों को सौर सिंचाई प्रणालियाँ स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है।
  • ग्रिड से जुड़ी सौर ऊर्जा उत्पादन योजनाओं को बढ़ावा दिया जाता है।
  • स्टैंडअलोन सौर पंपों की स्थापना के लिए 30% से 50% तक की केंद्रीय सब्सिडी प्रदान की जाती है।

जलवायु अनुकूलता के लिए NABARD की पहल

NABARD जलग्रहण विकास कार्यक्रम (Watershed Development Programme) के माध्यम से:

  • वर्षा आधारित क्षेत्रों में जल उपलब्धता बढ़ाने का कार्य कर रहा है।
  • फसल विविधीकरण और उच्च मूल्य वाली फसलों को बढ़ावा दे रहा है।
  • आदिवासी परिवारों को बागवानी, पशुपालन और सूक्ष्म उद्यमों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर रहा है।

कृषि में वॉलंटरी कार्बन मार्केट (VCM)

वर्तमान में Veera VCS प्लेटफॉर्म पर 11 कृषि परियोजनाएँ पंजीकृत हैं, जो स्थायी कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देती हैं।

 डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (DPI) और कृषि

सरकार एग्रीस्टैक के माध्यम से डेटा-आधारित निर्णय समर्थन प्रणाली (DSS) विकसित कर रही है।

  • यह प्रणाली किसानों को जलवायु परिवर्तन के अनुकूल निर्णय लेने में मदद करती है।
  • इससे डिजिटल कृषि उपकरण, सटीक कृषि और रियल-टाइम सलाह जैसी सेवाओं को बढ़ावा मिलेगा।

कृषि ऋण तक आसान पहुंच

किसान ऋण पोर्टल 1.89 लाख बैंक शाखाओं को जोड़ता है, जिससे किसानों को वित्तीय संसाधनों तक आसान पहुँच मिलती है।

  • यह पोर्टल जैविक इनपुट, बीज प्रसंस्करण और फार्म ऑटोमेशन को बढ़ावा देता है।
  • NABARD ICAR, KVKs के साथ मिलकर प्राकृतिक खेती और फार्म मशीनीकरण पर काम कर रहा है।
  • GIS, रिमोट सेंसिंग और AI के उपयोग से किसानों को बेहतर निर्णय लेने में सहायता मिल रही है।

नैनो यूरिया और नैनो DAP का उपयोग

सरकार नैनो खादों के उपयोग को बढ़ावा दे रही है।

  • PM-KSK केंद्रों पर नैनो खाद उपलब्ध कराई जा रही है।
  • ICAR द्वारा संतुलित उर्वरक उपयोग पर राष्ट्रीय अभियान चलाया गया है।
  • ‘नमो ड्रोन दीदी’ योजना के तहत 15,000 महिला स्वयं सहायता समूहों को ड्रोन उपलब्ध कराए गए हैं, जिससे नैनो उर्वरकों के छिड़काव में वृद्धि हुई है।
  • कृषि मंत्रालय ने 100 जिलों में नैनो यूरिया और नैनो DAP के प्रचार के लिए अभियान शुरू किया है।

कृषि अवसंरचना कोष (AIF) की भूमिका

AIF का उद्देश्य:

  • किसानों को उनके उत्पादों का 75-80% उपभोक्ता मूल्य दिलाना।
  • पोस्ट-हार्वेस्ट प्रबंधन में सुधार और बिचौलियों पर निर्भरता को कम करना।
  • जैविक इनपुट, बीज प्रसंस्करण और फार्म ऑटोमेशन जैसी परिसंपत्तियों में निवेश को बढ़ावा देना।

निष्कर्ष

सरकार कृषि को इनपुट-आधारित प्रणाली से ज्ञान-आधारित प्रणाली की ओर ले जा रही है।

  • किसान ऋण योजनाएं जलवायु अनुकूल कृषि को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
  • NABARD, ICAR, और अन्य संस्थाएं सतत कृषि को सशक्त बनाने के लिए प्रयासरत हैं।
  • डिजिटल तकनीकों और वित्तीय उत्पादों का प्रभावी उपयोग करके कृषि क्षेत्र को जलवायु परिवर्तन के लिए अधिक तैयार बनाया जा रहा है।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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