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क्लस्टर डेवलपमेंट प्रोग्राम (Cluster Development Programme) देश के किसानों की आय बढ़ाने की एक क्रांतिकारी रणनीति भारत सरकार की है। इसका मुख्य उद्देश्य किसानों की आय दोगुनी करना, कृषि को लाभ का व्यवसाय बनाना और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है। आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, मूल्य संवर्धन (Value Addition) और बाजार पहुंच इसके मुख्य घटक (Main components) हैं इस स्कीम को केंद्र और राज्य सरकारों की कई योजनाओं के तहत लागू किया जा रहा है, जैसे कि Agriculture Infrastructure Fund (AIF) और PM-FME (प्रधानमंत्री फॉर्मलाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइजेज) योजना।
भारत में दशकों से हमारे किसान छोटी जोत, पारंपरिक तरीकों, बिचौलियों के चंगुल और बाजार तक सीमित पहुंच के कारण संकटों से जूझ रहे हैं। इन्हीं चुनौतियों का समाधान करने और कृषि क्षेत्र में बदलाव लाने के लिए भारत सरकार ने क्लस्टर डेवलपमेंट प्रोग्राम (Cluster Development Programme – CDP) की शुरुआत की है। ये केवल एक योजना नहीं, बल्कि कृषि व्यवस्था में एक अहम परिवर्तन लाने का एक सशक्त मॉडल है।
क्लस्टर डेवलपमेंट प्रोग्राम क्या है?
आसान शब्दों में, क्लस्टर डेवलपमेंट प्रोग्राम (Cluster Development Programme – CDP) एक भौगोलिक क्षेत्र (जैसे एक ब्लॉक या कुछ गांवों का समूह) में एक ख़ास कृषि उत्पाद (जैसे आम, अमरूद, सब्जियां, दूध, मछली वगैरह) पर ध्यान केंद्रित करने की रणनीति है। इसके तहत एक ही तरह की फसल उगाने वाले छोटे किसानों को एक ‘क्लस्टर’ यानी ग्रुप में ऑर्गनाइज़ किया जाता है। फिर इस पूरे ग्रुप को एक इकाई मानकर आधुनिक बेसिक स्ट्रक्चर, प्रोसेसिंग, सुविधाएं और बाजार से सीधा जोड़ा जाता है।
ये कैसे काम करता है?
आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण-
- क्लस्टर में ही कोल्ड स्टोरेज, वेयरहाउस, प्राइमरी प्रोसेसिंग यूनिट्स (सफाई, छंटाई, ग्रेडिंग), पैक हाउस का निर्माण किया जाता है।
- इससे किसान अपनी उपज को लंबे समय तक सुरक्षित रख सकते हैं और मौसमी कीमतों के उतार-चढ़ाव से बच सकते हैं। फसल कटाई के तुरंत बाद मजबूरी में बेचने पर रोक लगती है।
मूल्य संवर्धन (Value Addition)-
- सिर्फ कच्चा माल बेचने के बजाय, क्लस्टर में ही उत्पादों का प्रसंस्करण (प्रोसेसिंग) शुरू किया जाता है।
- उदाहरण के लिए, टमाटर का सॉस बनाना, आम से अमचूर या आम का पल्प तैयार करना, दूध से दही-पनीर बनाना आदि।
- इससे किसानों को उनके कच्चे माल की कीमत से कहीं अधिक मूल्य प्राप्त होता है, जिससे आय में उल्लेखनीय वृद्धि होती है।
बाजार तक सीधी पहुंच-
- क्लस्टर को बड़े Retailers (Reliance, Big Basket), निर्यातकों, फूड प्रोसेसिंग कंपनियों और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स से सीधे जोड़ा जाता है।
- बिचौलियों को हटाने से किसानों को उनकी उपज का सही दाम मिल पाता है। ब्रांडिंग और पैकेजिंग पर भी फोकस रहता है। ताकि उत्पादों की बाज़ार में पहचान बने।
CDP के फायदे
1.किसानों की बढ़ती आमदनी: Infrastructure and Value Addition से प्रोडक्ट का मूल्य बढ़ता है, जिसका सीधा फायदा किसान को मिलता है।
2.खेती की लागत में कमी: क्लस्टर के ज़रीये से किसान सामूहिक रूप से बीज, खाद और अन्य आदानों की थोक खरीद करके लागत कम कर सकते हैं।
3.जोखिम में कमी: Cold storage and processing units होने से फसल खराब होने का जोखिम कम हो जाता है।
4.रोजगार सृजन: प्रोसेसिंग यूनिट्स और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर के चलते ग्रामीण इलाकों में नए रोजगार के अवसर पैदा होते हैं।
5.आत्मनिर्भरता: ‘Vocal for Local’ की भावना को बल मिलता है और स्थानीय अर्थव्यवस्था मजबूत होती है।
क्लस्टर डेवलपमेंट प्रोग्राम-कृषि के भविष्य की नींव
क्लस्टर डेवलपमेंट प्रोग्राम भारतीय कृषि के भविष्य की नींव रख रहा है। ये केवल एक आर्थिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन का रास्ता है, जो भारत के किसानों को आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाने के लक्ष्य पर आगे बढ़ रहा है।
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