Mushroom Farming In Bihar: बिहार में महिला किसानों के लिए ‘सोना’ उगाने का मौका! मशरूम योजना से महिलाएं बन रहीं आत्मनिर्भर

बिहार जैसे घनी आबादी वाले राज्य में जहां जोत छोटी है और संसाधन सीमित, मशरूम की खेती एक वरदान साबित हो सकती है। ये एक ऐसी कृषि तकनीक है जिसे छोटे से घर के आंगन या खेत के एक कोने में भी शुरू किया जा सकता है। सबसे बड़ा फायदा ये है कि मशरूम की फसल बेहद कम समय में तैयार हो जाती है।

Mushroom Farming In Bihar: बिहार में महिला किसानों के लिए ‘सोना’ उगाने का मौका! मशरूम योजना से महिलाएं बन रहीं आत्मनिर्भर

 बिहार की महिला किसानों (Women farmers of Bihar) के लिए एक नई क्रांति की शुरुआत हो रही है। जहां पारंपरिक खेती में घटते मुनाफे और बढ़ती लागत ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं, वहीं राज्य सरकार ने मशरूम की खेती (Mushroom Farming) को एक ऑप्शनल और फायदेमंद ऑप्शन के रूप में बढ़ावा देने का ऐलान किया है। उद्यान निदेशालय (Directorate of Horticulture) की इस नई योजना के तहत किसानों को न सिर्फ 90 फीसदी तक की भारी-भरकम सब्सिडी दी जाएगी, बल्कि महिला किसानों को खास प्राथमिकता देकर उनके आर्थिक सशक्तिकरण (Economic Empowerment) का रास्ता भी खोला जा रहा है।

क्यों है मशरूम खेती एक ‘गेम-चेंजर’?

बिहार जैसे घनी आबादी वाले राज्य में जहां जोत छोटी है और संसाधन सीमित, मशरूम की खेती एक वरदान साबित हो सकती है। ये एक ऐसी कृषि तकनीक है जिसे छोटे से घर के आंगन या खेत के एक कोने में भी शुरू किया जा सकता है। सबसे बड़ा फायदा ये है कि मशरूम की फसल बेहद कम समय में तैयार हो जाती है। जहां गेहूं या धान जैसी फसलों के लिए महीनों इंतजार करना पड़ता है, वहीं मशरूम की एक फसल (Mushroom Farming) मात्र 15-20 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इससे साल में कई फसल चक्र चलाकर किसान अपनी आय में शानदार इज़ाफा कर सकते हैं।

कितनी मिलेगी सब्सिडी? आंकड़ों में समझें

योजना की सबसे आकर्षक बात है अनुदान की राशि। सरकार किसानों की वित्तीय बोझ को कम करने के लिए भरपूर सहायता दे रही है:

:- पैडी और ऑयस्टर मशरूम किट: प्रति किट लागत 75 रुपये, 90 प्रतिशत अनुदान यानी 67.50 रुपये। किसान को केवल 7.50 रुपये देने होंगे।

:- बटन मशरूम किट: प्रति किट लागत 90 रुपये, 90 फीसदी अनुदान यानी 81 रुपये। किसान का अपना खर्च मात्र 9 रुपये प्रति किट।

:- किट की संख्या: एक किसान न्यूनतम 25 और अधिकतम 100 किट तक का फायदा उठा सकते है। 

:- झोपड़ी (मशरूम हट) निर्माण: मशरूम उगाने के लिए ज़रूरी संरचना ढ़ाचा पर 50 फीसदी तक का अनुदान।

:- ‘पहले आओ, पहले पाओ’ की नीति: किसान जल्द करें आवेदन

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इस योजना का लाभ ‘First-come, first-served’ के आधार पर दिया जाएगा। यानी जो किसान जितनी जल्दी अप्लाई करेंगे, उन्हें उतनी ही जल्दी योजना का फायदा मिलेगा। इसलिए इच्छुक किसानों को अपना आवेदन जमा करने में कोई देरी नहीं करनी चाहिए।

महिला सशक्तिकरण 

इस योजना की सबसे सराहनीय बात है महिला किसानों को दी जा रही विशेष प्राथमिकता। योजना में महिलाओं की 30% भागीदारी सुनिश्चित की गई है। ग्रामीण बिहार में जहां महिलाएं अक्सर आर्थिक गतिविधियों में पीछे रह जाती हैं, मशरूम की खेती उनके लिए एक सुनहरा अवसर लेकर आई है। यह काम उन्हें अपने घर के आस-पास रहकर ही आय अर्जित करने का मौका देता है, जिससे न केवल उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा बल्कि परिवार की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी।

स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए वरदान

मशरूम सिर्फ आर्थिक फायदे की ही बात नहीं है। ये एक ‘सुपरफूड’ है जो प्रोटीन, विटामिन, और खनिजों से भरपूर है, साथ ही इसमें वसा की मात्रा ज़ीरो होती है। पर्यावरण के हिसाब से भी ये खेती फायदेमंद है क्योंकि इसमें कृषि अवशेषों (जैसे पुआल, भूसा) को खाद के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इस तरह ये Waste Management में भी मददगार होती है।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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