मांग कम होने से कॉफी का मूल्य गिरा, बागान आए मुसीबत में

मांग कम होने की वजह से कॉफी का मूल्य भी गिरा है। इस कारण कॉफी बागानों को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि कोविड-19 के कारण ज्यादातर रेस्तरां बंद हो गए और पर्यटक भी नहीं आ पा रहे हैं। इस कारण कॉफी का सेवन कम हो रहा है।

कॉफी का मूल्य coffee prices down

जहां 2020 में लगभग सभी चीजों पर प्रभाव पड़ा है, वहीं कॉफी भी इससे अछूती नहीं रही। इस वर्ष कॉफी की मांग में अच्छी खासी कमी देखी गई है। मांग कम होने की वजह से कॉफी का मूल्य भी गिरा है। इस कारण कॉफी बागानों को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि कोविड-19 के कारण ज्यादातर रेस्तरां बंद हो गए और पर्यटक भी नहीं आ पा रहे हैं। इस कारण कॉफी का सेवन कम हो रहा है।

जहां 2019 में अरेबिका के 15 किलो के बैग 11000 रुपए में सेल हो रहे थे वहीं 2020 में इससे उल्टा है। इसकी मांग बहुत कम है और इसका दाम घटकर 9,600 रुपये हो गया है। इसके अलावा रोबस्टा का मूल्य भी 5,600 रुपये प्रति 15 किलोग्राम तक नीचे आ गया है।

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आपको बता दें कि कर्नाटक प्लांटर्स एसोसिएशन (KPA) कॉफी की गिरती कीमतों को लेकर चिंता में हैं। उनका मानना है कि आने वाले समय में कॉफी की कीमतों में और भी गिरावट आ सकती है और भारत की प्रिमियम कॉफी को सस्ती कॉफी से बदला जा सकता है। अब तक कॉफी निर्यात से करीब 200 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। अनुमान लगाया जा रहा है कि यह नुकसान बढक़र 700 करोड़ तक पहुंच सकता है।

मांग कम होने से कॉफी का मूल्य गिरा, बागान आए मुसीबत में

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बीमारी और खराब मौसम के कारण मजदूर भी उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। इस कारण कर्नाटक के लगभग 60-70 प्रतिशत कॉफी बागान मुसीबत में हैं। कर्नाटक प्लांटर्स एसोसिएशन (केपीए)के अध्यक्ष शिरीष विजयेंद्र का कहना है कि जो मजदूर कोविड-19 के कारण चले गए, यदि वे लौटकर नहीं आए तो प्लांटर्स समय पर कॉफी लेने और संसाधित करने का काम नहीं कर पाएंगे।

जानकारी के लिए बता दें कि कर्नाटक में ही कॉफी का 70 प्रतिशत तक उत्पादन होता है। कॉफी का घरेलू उत्पादन 2018-19 में 3,19,500 मीट्रिक टन तक था लेकिन 2019-20 में घटकर मात्र 2,98,000 तक रह गया है।

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